शव को 12 घंटे ICU में रख किया इलाज, पुलिस ने सील किया निजी अस्‍पताल; दो गिरफ्तार

ओडिशा के एक निजी अस्‍पताल से एक मरीज की मौत के बाद उसे 12 घंटे तक आइसीयू में रखा गया और उसे इंजेक्‍शन दिए गए। इस मरीज को कटक बड़ा मेडिकल से एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। अन्नपूर्णा अस्पताल को सील कर दिया गया है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 02:44 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 02:49 PM (IST)
शव को 12 घंटे ICU में रख किया इलाज, पुलिस ने सील किया निजी अस्‍पताल; दो गिरफ्तार
एक मरीज की मौत होने के बावजूद उसे आईसीयू में रखकर दवाई इंजेक्शन दिया जा रहा था

कटक, जागरण संवाददाता। ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होकर निजी अस्पताल में भर्ती होने वाली एक मरीज की मौत हो जाने के बावजूद उसे 12 घंटे तक आईसीयू में रखकर दवाई इंजेक्शन दिया जा रहा था। कटक बड़ा मेडिकल से एक निजी अस्पताल को स्थानांतरण कर लिए जाने वाले एक मरीज की इस तरह से इलाज किया जाने का मामला थाने में आया है। मंगलाबाग थाना में यह मामला आने के बाद अन्नपूर्णा अस्पताल के ऊपर छापेमारी कर दलाली कार्य में शामिल दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

अन्नपूर्णा अस्पताल के मैनेजमेंट स्टाफ मधुपटना तीनघरिया इलाके का शक्ति रंजन महाराणा और फार्मासिस्ट के तौर पर कार्य करने वाला केन्दुझर रामचंद्रपुर का देवाशीष बेहेरा को मंगलवार थाना पुलिस गिरफ्तार किया है। दूसरी ओर जिला प्रशासन की ओर से अन्नपूर्णा अस्पताल को सील कर दिया गया है। इस बारे में अगली कार्रवाई जिलाधीश की ओर से की जाएगी। सोमवार को मरने वाली मरीज की लाश को कटक बड़ा मेडिकल में पंचनामा के लिए भेजा गया।

इस सम्बन्ध में सोमवार शाम को कमिश्नरेट पुलिस द्वारा एक पत्रकार सम्मेलन के जरिए दी जाने वाली सूचना के मुताबिक, झारखंड प्रदेश के पश्चिम सिंहभूम इलाके की मंजू करवा की बहन गौरी करवा को हाई ब्लड प्रेशर के चलते ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। मार्च 30 तारीख को ब्रेन स्ट्रोक होने के बाद उसे पहले चंपुआ मेडिकल में भर्ती किया गया था। वहां डॉक्टर की सलाह पर उसी दिन मंजू अपनी बहन गौरी को कटक बड़ा मेडिकल लाई थी। 

बड़ा मेडिकल के आपातकालीन विभाग में इलाज के दौरान एक दलाल मंजू के साथ संपर्क में आया था और कम कीमत में बेहतर इलाज दिए जाने का भरोसा देकर उसे मंगलाबाग में मौजूद निजी अस्पताल अन्नपूर्णा में एंबुलेंस द्वारा स्थानांतरण किया था। अप्रैल 3 तारीख रात को गौरी की मौत हो जाने के बावजूद उन्हें अस्पताल की ओर से मृत घोषित नहीं किया गया और 4 तारीख को बाकी के 80 हजार रुपए चुकाने के लिए अस्पताल की ओर से कहा गया। 

 गौरी की मौत हो जाने की बात परिवार के लोग 3 अप्रैल तारीख को ही जान चुके थे। यह बात जानने के बाद लाश को उनके हवाले करने के लिए मांग कर रहे थे। लेकिन रुपए ना चुकाने से लाश नहीं मिलेगी यह बात अस्पताल की ओर से स्पष्ट की गई थी। ऐसे में मंजू 4 अप्रैल को मंगलाबाग थाने में यह आरोप लाई थी। पुलिस घटना की जांच करने के बाद सच सामने आया था कि 3 तारीख देर रात को ही गौरी की मौत हो गई थी। उसके बावजूद भी रुपए हड़पने के लिए अस्पताल की ओर से 12 घंटे तक आईसीयू में रखा गया था। इस छापेमारी में जोन 2 के एसीपी शेख शरीफउद्दीन, मंगलाबाग थाना अधिकारी अमिताभ महापात्र, एडीएमओ डॉ सुधांशु गिरी और डॉक्टर उमेश राय प्रमुख शामिल थे। दोनों आरोपियों के नाम पर पुलिस मामला दर्ज कर कोर्ट चालान करते हुए जेल भेज दिया है।

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