समुद्र में उठ रहा ऊंचा ज्वार कुशभद्रा नदी में कर रहा है प्रवेश, लोगों में दहशत

ओडिशा की कुशभद्रा नदी में ज्‍वार देख लोगों में दहशत पैदा हो गयी है दरअसल समुद्र में उठ रहा ज्‍वार कुशभद्रा नदी में प्रवेश कर रहा है। इससे बेलामार्ग में पर्यटकों को आकर्षण का केंद्र रहे हरित क्षेत्र को भी काफी नुकसान हुआ है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 12:32 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 12:43 PM (IST)
समुद्र में उठ रहा ऊंचा ज्वार कुशभद्रा नदी में कर रहा है प्रवेश, लोगों में दहशत
कुशभद्रा नदी में उठ रहे ज्‍वार को देख दहशत में लोग

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कुशभद्रा नदी के किनारे से समुद्र से भारी मात्रा में ज्वार कुशभद्रा नदी में घुस रहा है। परिणाम स्वरूप नदी का जलस्तर बढ़ने लगा है। खासकर लघुचाप के समय कुशभद्रा नदी में समुद्र का पानी प्रवेश कर रहा है, जिससे कुशभद्रा नदी में भी ज्वार देखने को मिल रही है। नदी में उठ रही ज्वार रामचंडी मंदिर के पीछे मौजूद सुरक्षा दीवार से टकरा रही है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। रामचंडी से साहूखणता बुलाणी (बोटिंग काम्पलेक्स) तक मौजूद सुरक्षा दीवार एवं जीओ सिंथेटिक बांध के लिए बेलामार्ग बेलामार्ग सुरक्षित है मगर साहुखणता बुलाणी से लोटस होते हुए इको रिट्रिट उत्सव स्थल तक मौजूद मार्ग के पास कटान होने से यहां स्थिति दयनीय हो गई है। बेलामार्ग से लोटस रिसर्ट तक रास्ता ज्वार के प्रभाव से प्रभावित हो रहा है। रास्ते के किनारे कटान होनी शुरु हो गई है। इतना ही नही बेलामार्ग में पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र रहने वाले हरियाली घेरे को भी इससे काफी नुकसान पहुंचा है। 

बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बना है, जिसके प्रभाव से समुद्र में उठ रही ऊंची-ऊंची ज्वार के कारण बोटिंग काम्पलेक्स के पास मौजूद राष्ट्रीय दमकल प्रशिक्षण केन्द्र के तम्बू घर में भी पानी घुस गया है। इस साल पर्यटन विभाग की तरफ से दूसरी बार चंद्रभागा बेलाभूमि में इको रिट्रिट उत्सव आयोजित करने की तैयारी कर रही है, मगर इस जगह पर दोनों तरफ से कुछ दूरी तक ज्वार के प्रभाव से समुद्र किनारे से अपनी गर्त में लेते जा रहा है। कुछ महीने पहले खालकटापाटणा गांव के पीछे मौजूद निआखिया नदी बांध से रामचंडी होते हुए पुराने बेलामार्ग तक जीओ सिन्थेटिक सुरक्षा बांध निर्माण के लिए आकलन किया गया था। जल संसाधन विभाग की तरफ से इस कार्य के लिए तैयारी भी तेजी से शुरु हो गई थी। 

हालांकि यह कार्य शुरु होने से पहले अचानक बंद हो गया। परिणाम स्वरूप यदि किसी भी समय ज्वार चार से पांच घंटे तक लगातार उठती रही तो फिर बेलामार्ग पर इसका खतरा बढ़ जाएगा। कोणार्क-पुरी बेलामार्ग एवं पर्यावरण पर्यटन प्रोजेक्ट को सुरक्षित रखने के लिए जल्द से जल्द सुरक्षा दिवार या जीओ सिंथेटिक बांध का निर्माण करने की मांग स्थानीय लोगों ने की है।

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