आज एक दूसरे के सबसे करीब आएंगे शनि और पृथ्वी, होगी अद्भुत खगोलीय घटना

Astronomical Event 2 अगस्‍त सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर शनि और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब आएंगे लेकिन दुनिया के जिस हिस्‍से में भी रात होगी वहां के लोगों को एक उज्ज्वल शनि दिखाई देगा। हर साल एक बार पृथ्वी और शनि एक-दूसरे के करीब आते हैं।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 08:24 AM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 08:42 AM (IST)
आज एक दूसरे के सबसे करीब आएंगे शनि और पृथ्वी, होगी अद्भुत खगोलीय घटना
शनि और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब आ जाएंगे

भुवनेश्‍वर, एएनआइ। पठानी सामंत तारामंडल के उप निदेशक डॉ. सुवेंदु पटनायक ने बताया कि 2 अगस्‍त सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर शनि और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब आ आएंगे। दुनिया के जिन देशों में उस समय रात होगी वह लोग इस उज्ज्‍वल शनि को देख पाएंगे। डॉ पटनायक के अनुसार, “भारतीय मानक समय (आईएसटी) के अनुसार सुबह 11 बजकर 30 मिनट पर शनि और पृथ्वी एक-दूसरे के सबसे करीब होंगे। भारत में इस समय दिन होगा, लेकिन दुनिया के जिस हिस्‍से में भी रात होगी वहां के लोगों को एक उज्ज्वल शनि दिखाई देगा।”

वरिष्ठ तारामंडल अधिकारी ने बताया कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगभग 365 दिन लगते हैं जबकि शनि को सूर्य की एक पूरी परिक्रमा पूरी करने में लगभग 29.5 वर्ष लगते हैं। “हर साल एक बार, पृथ्वी और शनि अपने कक्षीय पथ में घूमते हुए एक-दूसरे के करीब आ जाते हैं। एक साल 13 दिनों के अंतराल में वे एक-दूसरे के सबसे करीब आ जाते हैं। इससे पहले, वे 20 जुलाई, 2020 को करीब आए थे और 14 अगस्त, 2022 को फिर से ऐसा होगा।

वरिष्ठ तारामंडल अधिकारी डॉ. सुवेंदु पटनायक ने बताया कि “जब वे एक-दूसरे के बहुत करीब होंगे, तो उनके बीच की औसत दूरी लगभग 120 करोड़ किलोमीटर होगी, जो उनके बीच की अधिकतम दूरी की तुलना में 50 करोड़ किलोमीटर कम है, ऐसा छह माह के बाद होता है जब पृथ्वी के दूसरी तरफ शनि इस पार होगा।”

दुर्लभ ब्रह्मांडीय घटना जब बृहस्पति, शनि का हुआ था‘ विलय’

बीते वर्ष 2020 में 21 दिसंबर को, अंतरिक्ष के प्रति उत्साही लोगों को एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने का मौका मिला था जब बृहस्पति और शनि ग्रह विलीन हो गए थे और ये दोनों ग्रह एक चमकीले तारे की तरह नजर आ रहे थे। इस प्रकिेया को संयोजन कहा जाता है। यह खगोलीय घटना करीब 400 वर्षों के बाद हुई थी और कोलकाता और पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में ये नजारा दिखाई दिया था। हालांकि सर्दियों का मौसम होने के कारण कोहरा छाया हुआ था जिससे दृश्य साफ नजर नहीं आ रहा था।

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