गोवर्धन मठ में मनाया गया धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का प्रकट उत्सव

सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का प्रकट महोत्सव गोरक्षा दिवस के रूप में मनाया गया। इस कार्यक्रम का यू-ट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया। समारोह का आयोजन 10 अगस्त 2021 मंगलवार अपराह्न में किया गया।धर्मसम्राट स्वामी करपात्री (1907- 1982) भारत के एक संत स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनेता थे।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 01:14 PM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 01:14 PM (IST)
गोवर्धन मठ में मनाया गया धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का प्रकट उत्सव
सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का प्रकट महोत्सव

पुरी, जागरण संवाददाता। जगतगुरु शंकराचार्य गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में गोरक्षा आंदोलन के सूत्रधार, धर्मसापेक्ष राजनीतिक के प्रणेता, भारत अखंड हो इस उद्घोष के साथ आध्यात्मिक क्रांति के प्रेरणास्रोत यज्ञयुग प्रवर्तक, रामराज्य परिषद के संस्थापक धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का प्रकट महोत्सव गोरक्षा दिवस के रूप में मनाया गया। श्रावण शुक्ल द्वितीया तिथि में 10 अगस्त 2021 मंगलवार अपराह्न को आयोजित इस समारोह में देश विदेश के प्रख्यात विद्वान भाग लेकर अपने अपने विचार शंकराचार्य जी के सामने प्रकट किए। इस कार्यक्रम का यू-ट्यूब चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया।

समारोह में आदित्य वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद्र झा, संयोजक ऋषिकेश ब्रह्मचारी जी, श्री सुरेश सिंह जी, आलोक तिवारी जी, प्रफुल्ला चेतन ब्रह्मचारी जी एवं विभिन्न राज्य से आए संत महात्मा शामिल हुए। इस दिवस को अपने घर, गांव, शहर, तहसील और जिले में सभी भक्तों ने गोरक्षा दिवस के रूप में पालन किया। समारोह में गोवद्ध से समुत्पन्न कलंक जल्द खत्म करने एवं करपात्री जी महाराज द्वारा संस्थापित धर्म संग उत्कर्ष प्राप्त हो के संदेश का अनुपालन करने को संकल्प लिया गया और अपने सगे सबंधियों को भी इससे जुड़ने और संकल्प लेने के लिए प्रेरित किया गया।

 इस पुनीत अवसर पर गोवर्द्धन मठ पुरी के पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज की पावन कृपा एवं प्रेरणा के फलस्वरूप जनकल्याणार्थ, गौ संरक्षण, पर्यावरण शुद्धि, सनातन संस्कृति संरक्षणार्थ, सामूहिक रूद्राभिषेक शिव आराधना, वृक्षारोपण, फल प्रसाद वितरण, रामायण पाठ सतसंग, प्रवचन, संगोष्ठी, भजन संकीर्तन का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 गौरतलब है कि धर्मसम्राट स्वामी करपात्री (1907- 1982) भारत के एक संत, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं राजनेता थे। उनका मूल नाम हरि नारायण ओझा था। वे दशनामी परम्परा के संन्यासी थे। दीक्षा के उपरान्त उनका नाम 'हरिहरानन्द सरस्वती' था किन्तु वे 'करपात्री' नाम से ही प्रसिद्ध थे। क्योंकि वे अपने अंजुलि का उपयोग खाने के बर्तन की तरह करते थे। (कर = हाथ, पात्र = बर्तन, करपात्री = हाथ ही बर्तन हैं जिसके)। उन्होने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद नामक राजनैतिक दल भी बनाया था। धर्मशास्त्रों में इनकी अद्वितीय एवं अतुलनीय विद्वता को देखते हुए इन्हें 'धर्मसम्राट' की उपाधि प्रदान की गई। स्वामी जी की स्मरण शक्ति इतनी तीव्र थी कि एक बार कोई चीज पढ़ लेने के वर्षों बाद भी बता देते थे कि ये अमुक पुस्तक के अमुक पृष्ठ पर अमुक रूप में लिखा हुआ है।

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