Sawan 2021: सावन का पहला सोमवार, सुनसान शिवालय नहीं सुनाई दिया कावड़ियों का बोलबम स्वर; लिंगराज मंदिर के बाहर सुरक्षा कड़ी

Sawan Somvar 2021 कोरोना प्रतिबंधों के कारण आज सावन के पहले सोमवार पर भुवनेश्वर में मौजूद प्रभु लिंगराज मंदिर के साथ ही प्रदेश के तमाम शिवालयों सन्नाटा पसरा रहा। जल भरने से लेकर शिवालयों में जल चढ़ाने या फिर कांवड़ यात्रा निकालने पर पूरी तरह से पाबंदी।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:17 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:22 AM (IST)
Sawan 2021: सावन का पहला सोमवार, सुनसान शिवालय नहीं सुनाई दिया कावड़ियों का बोलबम स्वर; लिंगराज मंदिर के बाहर सुरक्षा कड़ी
प्रभु लिंगराज मंदिर के साथ ही प्रदेश के तमाम शिवालयों में पसरा सन्नाटा।

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। सावन महीने की पहली सोमवारी को राजधानी भुवनेश्वर में मौजूद प्रभु लिंगराज मंदिर के साथ ही प्रदेश के तमाम शिवालयों सन्नाटा पसरा रहा। ना ही भक्तों के बोलबम के जयकारे सुनाई दिए और ना ही सड़कों के किनारे बोलबम भक्तों के लिए कहीं कोई कैंप दिखा। सावन के सोमवार को बोल बम भक्तों से सटे रहने वाले तमाम शिवालयों के बाहर यदि कुछ दिखाई दिया तो सिर्फ पुलिस का सख्त पहरा दिखा। ऐसे में राज्य के तमाम प्रमुख शिवालयों में आज सावन के पहली सोमवारी को सन्‍नाटा पसरा रहा।

 जानकारी के मुताबिक कोविड महामारी के कारण ओडिशा सरकार ने पहले से ही कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी है। नदी से जल भरने से लेकर शिवालयों में जल चढ़ाने या फिर कांवड़ यात्रा निकालने पर सरकार ने पूरी तरह से पाबंदी लगा रखी है। ऐसे में रविवार रात से ही भक्तों के कांवड़ लेकर आने वाले मार्ग से लेकर शिवालयों के बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सरकार ने पहले से ही कांवड़ियों के लिए स्टैंडर्ड आपरेशन प्रोशिजियोर (एसओपी) जारी किया हुआ है। ऐसे में तमाम शिवालयों में कांवड़ियों के जल चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है। रीति नीति के अनुसार भोले बाबा के समस्त कार्य सम्पन्न किए गए। शिवालयों के बाहर प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। केवल शिवालय ही नहीं बल्कि नदी घाटों पर भी प्रशासन की पैनी नजर बनी रही।

 यहां उल्लेखनीय है कि सावन का महीना शुरू होते ही एक या दो दिन पहले से ही भोले बाबा के भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर पैदल यात्रा करते हुए विभिन्न शिवालयों में पहुंचते थे। भोले बाबा पार करेगा, जटिया बाबा पार करेगा, जैसे नारों से कटक से लेकर भुवनेश्वर लिंगराज मंदिर एवं पुरी लोकनाथ मंदिर के साथ तमाम शिवालय वाले मार्ग गुंजायमान हो जाते थे। कांवड़ियों के स्वागत के लिए तथा उनके रहने, खाने एवं विश्राम व उनका मनोरंजन करने के लिए जगह-जगह स्वयंसेवी संगठनों की तरफ से कैंप लगाए जाते थे। सावन के महीने में शिवालयों को जोड़ने वाले तमाम मार्ग कांवड़ लेकर जाने वाले भक्तों के जयकारे से गुंजायमान रहते थे। हालांकि पिछले साल की तरह इस साल भी ना ही कांवड़िये भक्त दिखे और ना ही भक्तों के जयकारे सुनाई दिए।

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