Odisha Tourism: प्रकृति के गोद में बसा ओड़िशा, एक तरफ अथाह पानी तो कुछ ही दूरी पर बसे हैं घने जंगल

Odisha Tourism सैर-सपाटे के शौकीनों के लिए ओड़िशा एक ऐसा स्‍थान हैं जहां प्रकृति ने एक से बढ़कर एक मनोरम दृश्य प्रदान किये हैं। ओड़िशा को 500 किमी लंबी तटरेखा का वरदान प्रकृति से प्राप्त है तथा दुनिया के कई सर्वाधिक सुंदर समुद्र तट यहां विद्यमान हैं।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 20 Mar 2021 10:14 AM (IST) Updated:Sat, 20 Mar 2021 10:26 AM (IST)
Odisha Tourism: प्रकृति के गोद में बसा ओड़िशा, एक तरफ अथाह पानी तो कुछ ही दूरी पर बसे हैं घने जंगल
ओड़िशा जल से लेकर थल तक प्राकृतिक सौंदर्य भरा पड़ा है।

भुवने​श्वर, शेषनाथ राय। क्या आप सैर-सपाटे का  शौक रखते हैं? अगर हां, तो हो जाइये तैयार। हम ऐसे ही सैर-सपाटे वाले स्थानों की यहां चर्चा करने जा रहे हैं। स्थान बाहरी नहीं, वरन अपने ही राज्य में हैं, जहां आप भरपूर लुत्फ उठा सकते हैं। भौगोलिक दृष्टिकोण के हिसाब से प्रकृति ने राज्य को एक से बढ़कर एक मनोरम दृश्य प्रदान किये हैं। एक तरफ अथाह पानी तो, कुछ ही दूरी पर घने जंगल और उसमें विभिन्न प्रकार के जीव-जंतु। जल से लेकर थल तक प्राकृतिक सौंदर्य भरा पड़ा है। वाकई हम कितने भाग्यशाली हैं कि इतना सब कुछ प्रकृति ने हमारे राज्य को प्रदान किया है। बस जरूरत है समय निकालकर लुत्फ उठाने की। हम आपको राज्य का सैर-सपाटा इस खबर के माध्यम से कराने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है आप भरपूर आनंदित होंगे। 

 ओड़िशा को 500 किमी लंबी तटरेखा का वरदान प्रकृति से प्राप्त है तथा दुनिया के कई सर्वाधिक सुंदर समुद्र तट यहां विद्यमान हैं। चिलका, जो एक एशिया की सबसे बड़ी ब्रैकिश जल की झील है, न केवल सैंकड़ों पक्षियों को आश्रय स्थल प्रदान करती है, बल्कि की भारत के उन कुछेक स्थानों में से एक है, जहां हम डाल्फिन भी देख सकते हैं। ओड़िशा का लहलहाता हरित वन आवरण फल-फूलों तथा पशु पक्षियों की व्यापक किस्मों के लिए मेजबान का काम करता है, जिनमें सुप्रसिद्ध रायल बंगाल टाइगर शामिल है। चित्रलिखित सी पहाड़ियों तथा घाटियों के मध्य अनेक चौंका देने वाले जल प्रपात तथा नदियां हैं, जो विश्वभर से अतिथियों को आकृष्ट करती हैं।

 ओड़िशा में जनजातीय समुदायों की सबसे विशाल विविधता है जो सामाजिक-आर्थिक विकास के विभिन्न चरणों पर है। एक सिरे पर वे समूह है, जो जीवनयापन की सापेक्षतया एकांतिक तथा पुराकालीन विधि का अनुसरण करते हैं, जिससे उनकी मूल संस्कृति सशक्त बनी हुई है। जनजातीय लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान तथा सुभिन्नता को अपने सामाजिक संगठन, भाषा, रीति-रिवाजों तथा त्यौहारों में तथा साथ ही अपनी वेशभूषा, अलंकरणों, कला तथा शिल्पकारिता में अभिव्यक्त करते हैं।

ओडिशा में पुरातन स्मारकों की प्राचुर्यता है, जो शिशु पालनगृह के खंडहरों से लेकर भव्य लिंगाराज तथा जगन्नाथ के मंदिरों, कोणार्क सूर्य मंदिर के विरासत स्थल से लेकर अद्भुत शिल्पकारिता वाले मुक्तेश्वर तथा ऐसे अन्य मंदिरों में परिलक्षित होता है। रतनगिरि, ललितगिरि, उदयगिरि तथा अन्य अवस्थलों में पाए जाने वाले विभिन्न पुरातत्वीय अवशेष सिद्ध करते हैं कि ओडिशा बौद्ध मतधारा से भी प्रभावित रहा है। जैन मत ने भी खंडागिरि और उदयगिरि की चट्टानों से काटकर बनाई गई गुफाओं के रूप में ओड़िशा पर अपने निशान छोड़े है।

 पर्यटन को एक नया आयाम देते ओडिशा के तट 

 बालेश्वर तट : बालेश्वर का शांत समुद्र तट निश्चित रूप से देश के अनेक अति सुंदर सतुद्रतटों में से एक है। विसर्पी लताओं तथा हवा से गूंजी आकाश बेलों से युक्त रेतीले टीलों की हरियाली लहरों के खेल का अवलोकन करने में मग्न पर्यटकों के लिए एक अद्भुत क्षण का सृजन करती है।

 बालीघई तट : आकाश बेलों से ढका बालीघई का समुद्र तट, जो पुरी से 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, एक सुप्रसिद्ध पिकनिक स्थल है। कोमल आकाश बेलों की रेखायुक्त नदी के साथ भारी आवाज के साथ गिरता विध्वंसकारी महासमुद्री तट का सान्निध्य एक विस्मयकारी तथा अत्यंत सुंदर नजारा है। सूर्योदय तथा सूर्यास्त का अवलोकन चिरसंचित यादगार बन जाता है। एक धार्मिक स्वरलहरी इस बहुमुखी समुद्र तट की यात्रा को और भी अधिक अर्थपूर्ण बना देती है।

चांदीपुर तट : चांदीपुर आकाश बेल के वृक्षों की संगीतमय गूंज तथा विसर्पी रेतीले टीलों से ढका हुआ है। यह एक शांत समुद्री तट है। निम्न ज्वार के समय समुद्र का जल लगभग 5 किलोमीटर पीछे हट जाता है, तथा ऊंचे ज्वार के समय पुन: तट रेखा तक बढ़ जाता हैं; प्रत्येक दिन इस समुद्री तट को अद्वितीय बना देता है। यह समुद्री तट इसकी उथली गहराइयों में चलने का अवसर प्रदान करता है। इस प्रलोभनीय सौंदर्य के साथ साथ यह समुद्री तट प्राचीन धरोहर तथा धार्मिक मंदिरों से भरा हुआ है।

 समुद्र पर गोपालपुर : दक्षिणी ओडिशा के क्लब ब्रह्मपुर से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी में गोपालपुर का छोटा सा नगर अवस्थित है। ओडिशा का एक लोकप्रिय समुद्री तट होने की ख्याति प्राप्त होने के साथ-साथ इसका गहरा तथा स्पष्ट नीला जल उन लोगों को तत्काल उत्तेजित कर देना है, जो अच्छे तैराक हैं।

 कोणार्क तट : कोणार्क समुद्री तट पुरी की सड़क पर सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। इस विश्व सबसे उत्कृष्ट समुद्र तटों में से एक माना गया है। हम यहां स्थानीय मात्स्यिकी बेड़े को काम करते हुए देख सकते हैं। इस समुद्र तट पर सूर्योदय का दृश्य अत्यंत आकर्षक होता है तथा सूर्य स्नान के लिए यह सर्वथा आदर्श स्थान है। स्वच्छ रेत के दीर्घ विस्तार तथा अपनी स्वयं की लुभावनी सौम्यता के साथ यह समुद्र तट संपूर्ण बर्फ पर्यटकों को आकृष्ट करता है।

 पारादीप तट : पारादीप के समुद्री तट का बहुत महत्व है। एक आकर्षक पर्यटक स्थल होने के अलावा, ओडिशा में पारादीप का समुद्री तट देश के सर्वाधिक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक समुद्री पत्तनों में से एक है। यह हरे जंगलों से आच्छादित है तथा प्राकृतिक दर्रों तथा द्वीपसमूह द्वारा अंलकृत है, पाराद्वीप का समुद्री तट सभी समुद्र प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। पर्यटक सहज ही समुद्र में नहाते हुए या सुंदर नीले जल में खिलवाड़ करते हुए कई घंटे बिता सकते हैं।

 पुरी तट 

पुरी का समुद्र तट भगवान जगन्नाथ के निवास स्थल पर पारम्परिक पवित्रीकरण डुबकी लगाने वाले असंख्य तीर्थ यात्रियों के लिए गमन स्थल रहा है। इसे एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण हिंदु तीर्थ स्थल गंतव्य भी माना जाता है। पुरी का समुद्र तट ओडिशा की विशाल तथा विदेशागत तटरेखा पर तथा इसके दक्षिणपूर्वी क्षेत्र में अवस्थित है। इस तट की यात्रा संपूर्ण वर्ष कभी भी की जा सकती है, तथापि पुरी समुद्र तट पर जाने का आदर्श समय वार्षिक पुरी समुद्री तट के समारोह के दौरान है, जिसका आयोजन नवंबर के माह में किया जाता है।

 स्वर्गद्वार तट : स्वर्गद्वार समुद्र तट पुरी में सर्वाधिक वांछनीय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। यह पर्यटकों द्वारा अवश्य दर्शनीय स्थलों की श्रेणी में आता है। इस स्थान का लोगों के लिए अत्यधिक धार्मिक महत्व है क्योंकि यह श्री चैतन्य देव, जो एक सुविख्यात वैष्णव गुरु थे, का स्थान स्थल है। लहरों की गर्जन ध्वनि के साथ यहां की शीतल हवा अत्यधिक रोमांचक लगती है।

 तालासरी : तालासरी समुद्र तट बालेश्वर से 88 किमी, चंदनेश्वर से 4 किलोमीटर तथा दीघा (पश्चिम बंगाल) 8 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है। यहां बंगाल की खाड़ी के चमकते वैभव को देखना आश्चर्य चकित कर देता है, जो जहां तक नजर जाती है, दमकते हीरों के गलीचे की तरह विस्तारित है। तालासरी बीच वस्तुत: ही विस्मयाकुलक प्रतीत होता है, जब सायं के समय हम स्वर्णिम रेत पर टहलने जाते हैं।

 वन्य जीवन अभयारण्य

सिमलीपाल नेशनल पार्क : भुवनेश्वर से 320 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सिमलीपाल नेशनल पार्क एक 2750 वर्ग किमी के क्षेत्रफल वाला अभ्यारण्य तथा एक परियोजना टाइगर प्रारक्षित क्षेत्र है। सिम्लीपाल टाइगर रिजर्व बंगाल निहारा सीमा क्षेत्र के निकट ओडिशा के उत्तरी भाग में मयूरगंज जिले में अवस्थित है। यह घने वनों का एक सघन पहाड़ी क्षेत्र है जो 2,750 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में विस्तारित है। रायल बंगाल टाइगर के वास स्थल के रूप में इसका स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 यहां सात प्रमुख नदियां हैं। इस नेशनल पार्क में लगभग 1076 पौध प्रजातियां, 231 पक्षी प्रजातियां तथा 42 स्तनधारी प्रजातियां और 29 रेंगने वाले जीवों की तथा 12 एम्फीबियन प्रजातियां है। यहां हम टाइगर, लेपर्ड, हाथी, स्लोथ बियर तथा चित्तीदार हिरण को देख सकते हैं। पक्षी प्रजातियां हैं - पीफोऊल, जंगल फोऊल, हिल हिना, चील तथा पाराकीट। मगरमच्छ, घडिय़ाल, छिपकलियां, टर्टल तथा कोबरा जैसे रेंगने वाले जीव यहां आम तौर पर पाए जाते हैं।

 नंदनकानन अभ्यारण्य तथा नेशनल पार्क

बारंग रेलवे स्टेशन के निकट कोलकाता चेन्नई रेलवे लाइन के साथ अवस्थित नंदनकानन प्राणिविज्ञान पार्क की स्थापना 27 दिसंबर 1960 को की गई थी। नंदनकानन का अर्थ है आनंद का बाग तथा कंजिया झील के छलछलाते जल के साथ-साथ चंदक वन के भव्य पर्यावरण में भुवनेश्वर से 20 किमी की दूरी पर चिडिय़ाघर, वनस्पति बगीचे तथा अभ्यारण्य का यह संयोजन इस विवरण के सर्वथा उपयुक्त है। अपनी परिधियों के भीतर, यह प्राणिविज्ञान पार्क 362 हेक्टेयर के लहरिया वन क्षेत्रों, प्राकृतिक बंजरभूमि तथा केझिया झील में फैला है जो स्वयं की 66 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में विस्तारित है। यहां स्तनधारियों की 46 प्रजातियों, पक्षियों की 59 प्रजातियों तथा रेंगने वाले जीवों की 21 प्रजातियों का पोषण होता है। श्वेत चीतों के अतिरिक्त, लुप्त प्राय: प्रजातियां जैसे एशियाटिक लायन, तीन भारतीय क्रोकोडिलियन, संघाई, लायन टेलड, मैकेक, नीलगिरी लंगूर, भारतीय पांगोलिन, माउस डियर तथा असंख्य पक्षी, रेंगने वाले जीव तथा मछलियां यहां सफलतापूर्वक वास कर रही है।

 नंदनकानन प्राणिविज्ञान पार्क ओडिशा के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। मूलत: रीवा, मध्य प्रदेश में पैदा होने वाले श्वेत टाइगर के कैप्टिव पोषण के लिए विश्व का मेजबान चिडिय़ाघर होना इसकी सुभिन्नता है। श्वेत टाइगर के अपने विशाल संग्रहण के लिए अंतर्राष्ट्रीय रूप से प्रत्यायित, नंदनकानन वन्य जीवन के प्रति जागरुकता का सृजन करने के लिए लुप्तप्राय: प्रजातियों का सबसे प्रथम कैप्टिव प्रजनन केंद्र भी है। विविध प्रकार के पशुओं के साथ नंदनकानन का अद्वितीय प्राकृतिक परिवेश समस्या ग्रस्त जंगली पशुओं के पुनर्वास केंद्र के रूप में भी कार्य करता है। यह व्यक्त, चोटग्रस्त तथा अशक्त हो चुके पशुओं के लिए बचाव केंद्र के रूप में भी कार्य करता है।

  भीतरकनिका वन्य जीवन अभ्यारण्य

भीतरकनिका वन्य जीवन अभ्यारण्य 672 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। कच्छ वनस्पति, विसर्यी नदियों, असंख्य क्रिस क्रास वाले ज्वारीय घने दर्रों वाला यह अभ्यारण्य पहले से ही लुप्तप्राय: लवण जल क्रोकोडाइल (क्रोकोडाइल पोरोसस) को अंतिम आश्रय प्रदान करता है। क्रोकोडल के अतिरिक्त, यह अभ्यारण्य एस्टुरीन, एवीकाना, स्तनधारी तथा रेंगने वाले जीवों की संख्या में समृद्ध है। ये कच्छ वनस्पति वन किंग कोबरा, भारतीय पाइथन तथा वाटर मानीटर लिर्जड के लिए अच्छे वास स्थल है। इस क्षेत्र में अनेकों पक्षी आते है। अधिकांश पक्षी एशियाई ओपन बिल, इग्रेट, ब्लैक इबिस, कोर्मोरेंट, डार्टर तथा अन्य हैं।

 चिलका झील पक्षी अभ्यारण्य

चिलका झील ओडिशा में पुरी में स्थित है। इसे एशिया का सबसे बड़े अंतर्देशीय लवण जलीय लागून माना जाता है। नाशपती के आकार की यह झील 1100 वर्ग किमी में फैली हुई है तथा इसके ब्रैकिश जल में तथा इसके ब्रैकिश जल में तथा इसके आसपास पाए जाने वाले जलीय जीवजंतुओं और वनस्पति की श्रृंखला से युक्त इसकी प्रास्थिति की प्रणाली अद्वितीय है। पक्षियों के अलावा, चिलका के तटों पर ब्लैक बक, धब्बेदार हिरण, गोल्डन जैकाल तथा हिना निवास करते हैं। इस झील में जलीय जीवजंतुओं की प्रचुरता है- इसके पानी में मछलियां, क्रस्टेसियन तथा अन्य समुद्री जीव जंतुओं की लगभग 160 प्रजातियां रहती हैं, जिनमें प्रसिद्ध चिलका डाल्फिन, झींगा, केंकड़ा तथा मैकेरल शामिल है। यहां मात्स्यिकी स्थानीय लोगों की आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

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