पिछले 7 साल से केंद्र से कोयला रॉयल्टी बढ़ाने की मांग कर रही है ओडिशा सरकार, 12000 करोड़ की हो रही है हानि
ओडिशा पिछले 7 साल से कोयला रॉयल्टी संशोधन (Revision in Coal Royalty) की मांग केंद्र से कर रहा है मगर केंद्र सरकार इस पर कोई भी कदम नहीं उठा रही है। इससे राज्य को 12000 करोड़ रुपए का राजस्व हानि हो रही है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। कोयला रॉयल्टी में संशोधन किया जाए। ग्रीन सेस का प्राप्य राज्य को दिया जाए। इस संदर्भ में एक बार फिर राज्य सरकार, केंद्र सरकार से मांग करेगी। विधानसभा के इस्पात एवं खदान स्टैंडिंग कमेटी बैठक में यह निर्णय लिया गया है। ग्रीन सेस राज्य को केंद्र सरकार ना देने से राज्य के राजस्व में करोड़ों रुपए का घाटा होने का आरोप कांग्रेस एवं बीजू जनता दल ने लगाया है।
पिछले 7 साल से राज्य मांग कर रहा है किंतु कोयला रॉयल्टी संशोधन केंद्र नहीं कर रहा है। इससे राज्य को 12000 करोड़ रुपये की राजस्व हानि हो रही है। बार-बार केंद्र सरकार के पास कोयला रॉयल्टी संशोधन करने के लिए राज्य मांग कर रहा है मगर केंद्र सरकार इस पर कोई भी कदम नहीं उठा रही है। विधानसभा स्टैंडिंग कमेटी में इस पर विस्तृत रूप से चर्चा हुई है और तुरंत केंद्र सरकार से कोयला रॉयल्टी संशोधन करने के साथ ही रॉयल्टी को 14% से बढ़ाकर 20% करने की मांग की गई है। इस संदर्भ में विधानसभा स्टैंडिंग कमेटी में एक प्रस्ताव भी पास हुआ है जिसे जल्द ही केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा।
राज्य सरकार का कहना है कि कोयला उत्तोलन एवं प्रदूषण राज्य को सहना पड़ रहा है। इस संदर्भ में राज्य को मिलने वाला ग्रीन सेस केंद्र नहीं दे रहा है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक बार-बार केंद्र सरकार के पास इस संदर्भ में मांग कर रहे हैं। संसद में भी बीजू जनता दल ने इस प्रसंग को उठाया है। बावजूद उसके केंद्र सरकार राज्य को उसका हक नहीं दे रही है। इसे लेकर अब बीजू जनता दल एवं कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने नाराजगी जाहिर किया है। विधानसभा स्टैंडिंग कमेटी ने केंद्र सरकार से तुरंत कोयला रॉयल्टी संशोधन करने के साथ ही ग्रीन सेस के बाबत राशि राज्य को देने की मांग किया है। हर क्षेत्र में केंद्र सरकार ओडिशा के प्रति सौतेला व्यवहार अपना रही है। संघीय व्यवस्था में राज्य के हक को भी केंद्र सरकार अनदेखी कर रही है।