Odisha: प्रभु जगन्नाथ ने सोना वेश में दिए दर्शन
Odisha महाप्रभु के इस अनुपम वेश को देखने के लिए हर साल जहां 10 से 12 लाख भक्तों का जमावड़ा जगन्नाथ धाम में होता था वहीं इस साल बिना भक्तों के ही महाप्रभु को सोने के वेश में सजाया गया।
पुरी/भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। पुरी जगन्नाथ धाम में कड़ी सुरक्षा के बीच बुधवार को प्रभु जगन्नाथ, प्रभु बलभद्र व देवी सुभद्रा का सोना वेश किया गया है। तीनों रथों के ऊपर सिंहारी, पालिया, खुंटिया, भंडार मेकाप, चांगड़ा मेकाप सेवकों ने नाना प्रकार के आभूषण से चतुर्धा विग्रहों को सजाया। हालांकि रथयात्रा व बाहुड़ा यात्रा की ही तरह भक्तों को चतुर्धा विग्रहों के इस अनुपम वेश का साक्षात दर्शन करने की अनुमति नहीं थी, ऐसे में भक्त अपने-अपने घरों में बैठकर टेलीविजन के माध्यम से महाप्रभु के सोना वेश के दर्शन किए। मंगल आरती, मइलम, तड़प लागी, अवकाश, वेश संपन्न, गोपाल बल्लभ भोग, सकाल धूप, मइलम, महास्नान तथा सर्वांग वेश आदि नीति संपन्न होने के बाद चतुर्धा विग्रहों को सोने के वेश में सजाया गया। महाप्रभु के इस अनुपम वेश को देखने के लिए हर साल जहां 10 से 12 लाख भक्तों का जमावड़ा जगन्नाथ धाम में होता था, वहीं इस साल बिना भक्तों के ही महाप्रभु को सोने के वेश में सजाया गया।
जगन्नाथ को प्रमुख आभूषण
महाप्रभु जगन्नाथ जी श्रीभुज, श्रीपयर, किरीट, ओड़ियाणी, चन्द्र सूर्य, आड़कानी, घागड़माली, कदम्बमाली, तिलक, चन्द्रिका, अलका, झोबा कंठी, स्वर्ण चक्र तथा चांदी के शंख, हरिड़ा, कदम्ब माली, बाहाड़ा माली, ताबिज माली, सेवती माली, त्रिखंडिका, त्रिखंडिका कमरपट्टी आदि आभुषणों से सजाया गया।
बलभद्र के आभूषण
प्रभु बलभद्र जी को श्रीपयर, श्रीभुज, ओड़ियाणी, कुंडल, चन्द्र सूर्य, आड़कानी, घागड़ा माली, कदम्ब माली, तिलक, चन्द्रिका, अलका, झोबा कंठी, हल, एवं मुसल, बाहाड़ा माली, बाघनख, सेवती माली, त्रिखंडिका कमरपट्टी आदि आभूषण से सजाया गया।
सुभद्रा के आभुषण
देवी सुभद्रा के विशेष आभुषणों में किरीट, ओड़ियाणी, कान, चन्द्र सूर्य, घागड़ा माली, कदम्ब माली, दो तगड़ी, सेवती माली आदि शामिल हैं। प्रभु के इस अनुपम एवं मनमोहक वेश का प्रत्यक्ष दर्शन करने से भले ही भक्त वंचित रहे मगर अपने अपने घरों से टेलीविजन के माध्यम से लाखों भक्तों ने प्रभु का दर्शन किया है।
प्रभु के सोना वेश के लिए पुरी शहर के कुछ इलाकों में ही कर्फ्यू लगाया गया था। जगन्नाथ मंदिर को जोड़ने वाले तमाम मार्ग नार्केट चौक, काकुड़ी खाई चौक आदि जगहों पर कर्फ्यू को जारी रखा गया है, जो कि 24 जुलाई सुबह छह बजे तक जारी रहेगा।
सोनावेश को बड़तढ़ाऊ वेश, राजराजेश्वर वेश भी कहा जाता है। यह वेश महाप्रभु का एक अनुपम व विशेष वेश होता है। वैसे तो महाप्रभु जगन्नाथ को साल में छह बार सोने के वेश में सुसज्जित किया जाता है, इसमें से एक बार जगन्नाथ मंदिर के बाहर रथ के ऊपर प्रभु को सोने के वेश में सजाया जाता है। इसके अलावा पांच बार रत्न सिंहासन के ऊपर चतुर्धा विग्रहों को सोने के वेश में सजाया जाता है। इसमें कार्तिक पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा, दोल पूर्णिमा व दशहरा, कुमारपूर्णिमा तिथि सोने के वेश में सजाया जाता है।