Coronavirus In Odisha: ओडिशा में 5 मई से 11 जून के बीच लॉकडाउन में हुई 1122 संक्रमितों की मौत, 1 जून से बढ़ी मृत्यु दर
Coronavirus In Odisha ओडिशा में मई माह में कोरोना संक्रमण के प्रतिदिन 10 हजार नए मामले सामने आ रहे थे। 1 जून से संक्रमण के मामलों में कमी आयी लेकिन मृत्यु दर बढ़ गई। स्वास्थ्य विभाग का कहना है मृत्यु दर अगले कुछ दिन इसी तरह से रह सकती है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। मई महीने से संक्रमण घातक रूप में था। एक महीने तक दैनिक संक्रमण के मामले 10 हजार से अधिक सामने आए। संक्रमण बढ़ने से स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पिछले महीने की 5 तारीख से सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया। पहले चरण के तालाबंदी में संक्रमण के नियंत्रण में ना आने से पुन: तालाबंदी अवधी को सरकार ने बढ़ा दिया। इसके बाद 1 जून से संक्रमण की रफ्तार में कमी आनी शुरू हुई, मगर मृत्यु दर में कोई कमी नहीं आयी। तीसरे चरण की तालाबंदी को खत्म होने में महज पांच दिन बाकी हैं। इस बीच 5 मई से 11 जून के बीच 1122 लोगों की जान इस वायरस ने ले ली है।
एक मई से संक्रमण की रफ्तार बढ़ने के साथ ही मृतकों की संख्या में भी इजाफा होने लगा। हालांकि 1 जून से संक्रमण की रफ्तार में कमी आनी शुरू जरूर हुई मगर मृतकों की संख्या में कमी नहीं आ पायी। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि मृत्यु दर अगले कुछ और दिनों इसी तरह से रह सकती है।
खबर के मुताबिक कोरोना से अब तक राज्य में 3210 लोगों की मृत्यु हो चुकी है। मृत्यु दर के मामले में खुर्दा जिला सबसे ऊपर है, जहां अब तक 522 लोगों की मौत हो चुकी है। सुन्दरगड़ जिले में 303, गंजाम जिले में 296, कटक जिले में 201, पुरी जिले में 167, अनुगुल जिले में 148, कालाहांडी जिले में 146, रायगड़ा जिले में 126, बालेश्वर जिले में 113 तथा मयूरभंज जिले में 107 लोगों की मृत्यु हुई है। सबसे कम 28 लोगों की मृत्यु देवगड़ जिले में हुई है। भद्रक जिले में 34, मालकानगिरी में 34 एवं जाजपुर जिले में 35, सोनपुर जिले में 35 लोगों की कोरोना से जान गई है।
राज्य में प्रत्येक दिन संक्रमण की दर .05 से 1 प्रतिशत तक कम हो रही है। इस रफ्तार से यदि संक्रमण कम होता है तो फिर निश्चित रूप से जब तालाबंदी में ढिलाई दिया जाएगा तब संक्रमण नियंत्रण में होगा। संक्रमण नियंत्रण में आने के बावजूद सम्पूर्ण तालाबंदी खत्म नहीं की जाएगी। कमेटी बैठकर तालाबंदी खोलने के संबंध में निर्णय लेने की बात स्वास्थ्य निदेशक डा. विजय महापात्र ने कही है। उन्होंने कहा है कि पहले संक्रमण की दर 23 प्रतिशत से अधिक थी। हालांकि 10 जून तक संक्रमण दर घटकर 7.9 प्रतिशत तक आ गई है।
इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. निरोज मिश्र ने कहा है कि राज्य में संक्रमण लगभग 9 प्रतिशत कम हुआ है। संक्रमण की दर 5 प्रतिशत से कम होने के बाद ही तालाबंदी में ढिलाई दी जानी चाहिए। 17 जून तक लगभग राज्य में संक्रमण दर 5 प्रतिशत या फिर इससे नीचे आने की उम्मीद है। भुवनेश्वर एवं कटक में संक्रमण दर कम नहीं रही है, ऐसे में यहां और कुछ दिनों तक प्रतिबंध जारी रह सकता है। यदि लोग कोविड गाइडलाइन एवं सरकार द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंध का अनुपालन करेंगे तो फिर निश्चित रूप से संक्रमण घट जाएगा। उन्होंने कहा है कि तालाबंदी में ढिलाई दिए जाने के बाद अधिक सतर्क रहने की जरूरत होगी। जिन लोगों की मृत्यु हो रही है वे दो सप्ताह पहले से संक्रमित होकर इलाज करा रहे थे। संक्रमण कम होने पर आगे चलकर मृत्यु दर भी कम होगी।
डा. मानस रंजन पटनायक ने कहा है कि संक्रमित के 15 दिन तक पीड़ित रहे के बाद गम्भीर होने पर मृत्यु की संभावना अधिक रहती है। पहले से जो लोग गंभीर रूप से संक्रमित होकर आईसीयू एवं वेंटिलेटर में हैं उन्हीं की मृत्यु हो रही है। आईसीयू एवं वेंटिलेटर में अधिक मरीज होने से आगामी कुछ दिनों तक मृत्यु की दर में कमी आने की सम्भावना कम है। संक्रमित को निगेटिव होने में 21 से 25 दिन का समय लग रहा है।
14 दिन तक संगरोध की अवधि खत्म होने के बावजूद व्यक्ति सम्पूर्ण निगेटिव नहीं हो जाता है। संक्रमण सम्पूर्ण नियंत्रण में जब तक नहीं आ जाता है, तालाबंदी में ढिलाई देना ठीक नहीं है। मृत्यु दर में वृद्धि पर स्वास्थ्य निदेशक डा. महापात्र ने कहा है कि मृत्यु दर बढ़ने का कारण आईसीयू एवं वेंटिलेटर में वर्तमान समय में 60 प्रतिशत से अधिक मरीज हैं। आईसीयू एवं वेंटिलेटर में इलाज करा रहे मरीजों के क्षेत्र में स्वस्थ होने की दर काफी कम है। लोग सरकार की गाइडलाइन का अनुपालन करें तो फिर आगामी दिनों में संक्रमण की दर में निश्चित रूप से कमी आएगी।