लाल आतंक सेे मुक्‍त हुए ओडिशा के पांच जिले, कमजोर हुई लालवाहिनी; माओ हिंसा में आयी कमी

ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को राज्य के पांच जिलों को माओ मुक्‍त घोषित कर दिया है। अभी आठ जिलों में माओवादी सक्रिय हैं।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Sat, 11 Jul 2020 02:47 PM (IST) Updated:Sat, 11 Jul 2020 02:47 PM (IST)
लाल आतंक सेे मुक्‍त हुए ओडिशा के पांच जिले, कमजोर हुई लालवाहिनी; माओ हिंसा में आयी कमी
लाल आतंक सेे मुक्‍त हुए ओडिशा के पांच जिले, कमजोर हुई लालवाहिनी; माओ हिंसा में आयी कमी

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। ओडिशा के माओवादी प्रभावित जिलों में लगातार हो रहे विकास कार्य एवं नियमित चलाए जा रहे कांबिंग आपरेशन से लाल वाहिनी (माओ संगठन) कमजोर हुआ है। पुलिस की सख्त जवाबी कार्रवाई के कारण माओ हिंसा में भी कमी आयी है। इसलिए शुक्रवार को राज्य सरकार ने पांच जिलों को माओ मुक्त घोषित कर दिया है। हालांकि अभी भी आठ जिलों में माओवादी सक्रिय हैं, इन जिलों में सक्रिय माओवादियों से हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा में शामिल होने के लिए पुलिस डीजी अभय ने आह्वान किया है। ओडिशा को माओवादी मुक्त राज्य बनाने के लिए पुलिस काम कर रही है। पांच जिलों का माओ मुक्त घोषित होना इसकी शुरुआत है। 

प्रदेश के जो पांच जिले माओ मुक्त हुए हैं उसमें अनुगुल, बौद्ध, सम्बलपुर, देवगड़ एवं नयागड़ जिला शामिल है। इन पांच जिलों में पिछले पांच साल में एक भी माओवादी हिंसा नहीं हुई है। ऐसे में सिक्योरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर (एसआरइ) सूची से उक्त पांच को हटाने की घोषणा सरकार ने किया है। इन जिलों में सुरक्षा स्थिति में सुधार लाने के बाद कदम उठाए जाने की जानकारी पुलिस महानिदेशक अभय ने दी है। इससे पहले 2018 अप्रैल महीने में 6 जिले जैसे कि जाजपुर, ढेंकानाल, केन्दुझर, मयूरभंज, गजपति एवं गंजाम को माओवादी कार्यकलाप से मुक्त घोषित किया गया था।

इससे प्रदेश के माओ प्रभावित 19 जिलों में से वर्तमान समय में 11 जिले माओवादी प्रभाव से मुक्त हो गए हैं। केवल आठ जिला अब माओवादी प्रभाविज जिला की सूची में शामिल हैं। पुलिस डीजी ने कहा है कि 2020 में 17 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। अब जिन इलाकों में माओवादी सक्रिय हैं, उन इलाको में कांबिंग आपरेशन जोरदार किया जाएगा। अधिक सुरक्षा बल नियोजित किए जाएंगे। माओवादियों को मुख्यधारा में शामिल होकर राज्य सरकार के पुनर्वास योजना का लाभ उठाने के लिए पुलिस डीजी ने सलाह दी है।

गौरतलब है कि 2012 में राज्य के 19 जिले को माओवादी प्रभावित जिला के तौर पर घोषित किया गया था। हालांकि सख्त सुरक्षा व्यवस्था तथा विकास से जुड़ी योजनाओं के कारण पिछले कुछ सालों में राज्य में बड़ा परिवर्तन आया है। धीरे-धीरे लालवाहिनी संगठन कमजोर हो रहा है और इन जिलों में सरकार की विकास की योजना कारगर साबित हो रही है।

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