ओडिशा की महानदी में 43 साल बाद दिखा लुप्तप्राय घड़ियालों का प्राकृतिक बसेरा

ओडिशा की महानदी में 43 साल बाद घड़ियालों का प्राकृतिक बसेरा देखा गया है। ओडिशा के पाये जाने वाले मूल घड़ियाल अब मर चुके हैं। ये एक मात्र ऐसा राज्‍य हैं जहां सभी 3 प्रजातियां हैं- मीठे पानी के घड़ियाल मगर और खारे पानी के मगरमच्छ पाए जाते हैं।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 07:40 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 07:52 AM (IST)
ओडिशा की महानदी में 43 साल बाद दिखा लुप्तप्राय घड़ियालों का प्राकृतिक बसेरा
ओडिशा में 43 साल बाद महानदी नदी के पास लुप्तप्राय घड़ियालों का प्राकृतिक बसेरा देखा गया है।

भुवनेश्‍वर, एएनआइ। ओडिशा में सतकोसिया के पास बलदामारा क्षेत्र में 43 साल बाद महानदी नदी के पास लुप्तप्राय घड़ियालों का प्राकृतिक बसेरा देखा गया है। अनुगुल के सहायक वन संरक्षक सुवेंदु बेहरा ने कहा, "ओडिशा एकमात्र ऐसा राज्य है जहां सभी 3 प्रजातियां हैं- मीठे पानी के घड़ियाल, मगर और खारे पानी के मगरमच्छ" पाए जाते हैं।

ओडिशा में वर्षों पहले पाए जाने वाले सभी मूल घड़ियाल अब मर चुके हैं। उनकी संख्या स्वाभाविक रूप से बढ़ने और अंडे देने के लिए 40 से अधिक वर्षों तक प्रतीक्षा करने के बाद पिछले तीन वर्षों में 13 घड़ियाल सामने आये हैं जिनमें से केवल शेष बचे हैं। वन विभाग अभी भी इन घडि़यालों में से दो को अपने रेडियो कॉलर के माध्यम से ट्रैक कर रहा है, जबकि अन्य छह इसके रडार से बाहर हो चुके हैं।

वन प्रभागों के लगभग 50 वनवासी जल निकायों में गश्‍त लगा रहे हैं और घड़ियाल को संरक्षित करने में हरसंभव सहायता पहुंचा रहे हैं। इसे लेकर महानदी के समीप स्थित 300 गांवों में लोगों को इसके लिए जागरुक भी किया जा रहा है।

घड़ियालों के बसेरे के पास करीब छह अधिकारियों को तैनात किया गया है। सतकोसिया रेंज के संभागीय वन अधिकारी रवि मीणा ने बताया कि, “हमारे पास यहां निगरानी रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे भी हैं जो सौर ऊर्जा से चलाये जाते हैं, इससे सरीसृपों की आवाजाही का मैन्युअल रूप से अपडेट मिलता रहता है।”

chat bot
आपका साथी