एससीबी मेडिकल में शुरू हुआ एकमो चिकित्सा, पहला मरीज भर्ती हुई कटक की अन्नपूर्णा

इस सेवा को राज्य सरकार मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस एकमो चिकित्सा का शुभ उद्घाटन करने के बाद शनिवार से इस चिकित्सा सेवा शुरू किया गया है। ऐसे में इस सेवा को लेकर मरीजों के बीच बेहतर सेवा प्राप्त करने की आशा संचार हुई है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 02:06 PM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 02:17 PM (IST)
एससीबी मेडिकल में शुरू हुआ एकमो चिकित्सा, पहला मरीज भर्ती हुई कटक की अन्नपूर्णा
एससीबी मेडिकल में शुरू हुआ एकमो चिकित्सा, पहला मरीज भर्ती हुई कटक की अन्नपूर्णा

भुवनेश्‍वर, जागरण संवाददाता। कटक बड़ा मेडिकल में शनिवार रात से शुरू हुई है एकोम चिकित्सा। कटक जिला निश्चिंतकोईली ब्लाक अंतर्गत बड़ाखीरा इलाके की अन्नपूर्णा नायक(58) पहला मरीज के तौर पर एससीबी के कार्डियोथोरेसिक सर्जरी विभाग में यह चिकित्सा सुविधा मिला है। कोरोना से संक्रमित होने के बाद हालत गंभीर होने के पश्चात उन्हें कटक बड़ा मेडिकल में वेंटिलेटर में रखा गया था ।

ऐसे में उन्हें स्वतंत्र व्यवस्था के तहत कार्डियोथोरसिसी वैस्कुलर सर्जरी विभाग में स्थापित एकमो यूनिट को स्थानांतरण की गई है और चिकित्सा शुरू किया गया है। एससीबी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डाक्टर दत्तेस्वर होता की अगुवाई में प्रफेसर मनोज कुमार पटनायक को लेकर गठित स्वतंत्र टीम शनिवार रात को चिकित्सा शुरू किया है। इसमें कोलकाता से आने वाले डाक्टर दीपांजन की अगुवाई में 3 जानकार और एक प्रशिक्षण प्राप्त 5 डाक्टरों की टीम चिकित्सा में शामिल हुए है।

इस सेवा को राज्य सरकार मुफ्त में मुहैया करा रहे हैं। शुक्रवार को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक इस एकमो चिकित्सा का शुभ उद्घाटन करने के बाद शनिवार से इस चिकित्सा सेवा शुरू किया गया है। ऐसे में इस सेवा को लेकर मरीजों के बीच बेहतर सेवा प्राप्त करने की आशा का संचार हुआ है। दूसरी ओर दरघाबाजार का एक व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होकर भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हुआ हैं।

वहां पर उनकी हालत बिगड़ गई । ऐसे में उसे एकमो चिकित्सा की जरूरत होने की बात वहां के डाक्टर कह रहे हैं। ऐसी स्थिति में उस मरीज के अभिभावक शनिवार को कटक बड़ा मेडिकल अधीक्षक कार्यालय में पहुंचकर वहां के अधिकारियों से भेंट किया । लेकिन छुट्टी होने हेतु मंगलवार को आकर अधीक्षक को भेंट करने के लिए उन्हें सलाह दी गई है। ऐसी स्थिति में मरीज के अभिभावक निराश हो कर कहा कि अगर 3 दिन के अंदर उनके मरीज को कुछ हो गया तो, उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।

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