Odisha: कभी दो वक्त के खाने के मोहताज, आज हजारों गरीबों के मसीहा हैं डा. अच्यूत सामन्त

कोरोना काल में भी 30 हजार बच्चों को मुफ्त भोजन की व्यवस्था कराने के साथ जारी रखें हैं शिक्षण प्रक्रिया मानव अपने सतकर्म एवं कड़ी मेहनत से नसीब में लिखी लकीरों को भी बदल सकता है डा. अच्यूत सामन्त

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 01:26 PM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 01:26 PM (IST)
Odisha: कभी दो वक्त के खाने के मोहताज, आज हजारों गरीबों के मसीहा हैं डा. अच्यूत सामन्त
उत्कल की धरा में निहाहत ही गरीब परिवार में जन्म लेने वाले डा. अच्यूत सामन्त

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। मानव अपने सतकर्म से नसीब में लिखी लकीरों को भी बदल सकता है। गीता एवं रामायण जैसे ग्रंथों में भी कर्म की प्रधानता को विस्तार से वर्णन किया गया है। मनुष्य यदि सच्ची लगन, कड़ी मेहनत एवं निष्ठा से कर्म करता है तो निश्चित रूप से वह विधाता की लिखी लकीरों को बदल सकता है। आज के युग में कहने एवं सुनने में यह अतिशयोक्ति जरूर लग रही है लेकिन आज हम ऐसे ही व्यक्तित्व की चर्चा करने जा रहे हैं जिसने अपनी कड़ी मेहनत एवं लगन के बल पर न सिर्फ खुद को समाज के बीच स्थापित किया है बल्कि अपने प्रदेश एवं देश का नाम भी दुनिया के मानचित्र में बुलंद किया है। कभी खुद की पढ़ाई एवं खाने के लिए दो दाने के मोहताज इस व्यक्ति का नाम आज पूरी दुनिया में गर्व से लिया जाता है।

जी हां यह महान व्यक्तित्व और कोई नहीं बल्कि उत्कल की धरा में निहाहत ही गरीब परिवार में जन्म लेने वाले डा. अच्यूत सामन्त की। 7 भाई बहनों में से एक अच्यूत सामन्त जिनका बचपन न सिर्फ गरीबी में कटा है बल्कि बचपन में ही अपने पिता को खो देने के बाद जिंदगी एवं मानवता से भी संघर्ष करना पड़ा है, दो वक्त की रोटी के लिए मां को दुसरों के घरों में काम धंधा करना पड़ा। हालांकि डा. सामन्त ने अपनी कड़ी मेहनत एवं लगन के बल पर आज वह सब मुकाम हासिल कर लिया है जिसके लिए मानव जाति में जन्म लेने वाले लोग लालायित रहते हैं। ऐसे में डा. सामन्त से दैनिक जागरण ने उनके बचपन से लेकर अब तक चल रहे सफरनामें के बारे में विस्तार से जानकारी ली है।

कीट एवं कीस के प्रतिष्ठाता डा. अच्युत सामन्त ने दैनिक जागरण से बात करते हुए बताया कि कामयाबी की थोड़ी सी सफलता मिलते ही लोग अपनी अतीत की जिदंगी को भूल जाते हैं, जो मानव जाति की सबसे बड़ी भूल होती है। उन्होंने बताया कि जब हम अपनी कड़ी मेहनत ए​वं लगन के बल पर कामयाब हो जाते हैं तो फिर हमें अपनी अतीत को भुलने के बदले उसे याद करते हुए समाज के कल्याण के निरंतरता के साथ कुछ न कुछ करना चाहिए। डा. सामन्त ने बताया कि मां से मिले संस्कार एवं अतीत की यादों का ही परिणाम है कि आज हम एक दो नहीं बल्कि 30 हजार बच्चों को अपने कीस अनुष्ठान के जरिए उपकृत कर पा रहे हैं।

प्रोफेसर डा. अच्यूत सामन्त ने बताया कि कीस आवासीय विद्यालय आज न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया का सर्वश्रेष्ठ विश्व विद्यालय है, जहां आज 30 हजार गरीब एवं आदिवासीय बच्चे नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त कर देश एवं दुनिया में खुद को स्थापित कर रहे है। उन्होंने बताया कि आज जब कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया 13 महीने से ठप पड़ी है तब भी हमारे अनुष्ठान में पढ़ने वाले बच्चों की आन लाइन पढ़ाई जारी है। यहां पढ़ने वाले बच्चों को हर महीने सूखा खाद्य जैसे चिउरा, सूजी एवं दाल से लेकर उनके किताब कापी, ड्रेस आदि कीस संस्थान की तरफ से मुहैया किया जा रहा है। इतना ही नहीं डा. सामन्त ने कहा है कि सभी बच्चों के पास मोबाइल की व्यवस्था ना होने से हमने अपने कलिंगा टीवी के जरिए हर दिन एक घंटे क्लास की व्यवस्था की है, जिसका लाभ ना सिर्फ कीस के बच्चे बल्कि प्रदेश के तमाम बच्चों को मिल रहा है।

बच्चों पर सही ध्यान दिया जाए तो नहीं पड़ेगी ट्यूशन की जरूरत

शिक्षा के महत्व के बारे में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसे पता नहीं होगा। हालांकि इस आधुनिक दौर में स्कूल से लेकर कालेज एवं प्रतियोगी परीक्षाके लिए ट्यूशन का महत्व काफी बढ़ गया है। इस संदर्भ में डा. सामन्त से जब पूछा गया कि कीस के बच्चे बिना ट्यूशन के आखिर किस प्रकार से शत प्रतिशत परिणाम लाते हैं, इसके पीछे क्या कारण है। जवाब में डा. सामन्त ने कहा कि कीस पूरी तरह से रेसिडेंशियल शिक्षानुष्ठान है। साल के 365 दिन यहां बच्चों पर ध्यान दिया जाता है। विद्यालय अथारिटी एवं अध्यापक यदि चाहेंगे तो फिर ट्यूशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। आज 15 साल से कीस मे शत प्रतिशत परिणाम इसके ज्वलंत उदाहरण हैं।

कीट के बच्चों पर नहीं पड़ा है कोरोना का कोई प्रभाव

डा. सामन्त ने कहा कि कीस अनुष्ठान का बड़ा भाई कीस है। कीट के जरिए ही कीस के बच्चे पढ़ रहे हैं। कोरोना काल का भी कीट के बच्चों पर कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने बताया की कीट विश्व विद्यालय पूरी दुनिया के आधुनिक विश्व विद्यालयों में से एक है। कीट में पढ़ने वाले हर बच्चों के पास लैपटाप है। ऐसे में आन लाइन के जरिए इन बच्चों की पूरी पढ़ाई उसी तरह से यहां हो रही है जैसे आफ लाइन में हुआ करती थी। कीट में हमेंशा से गुणात्मक शिक्षा पर महत्व दिया जाता रहा है। यही कारण है कि आज कीट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में से एक है।

कीट का हर वरिष्ठ कर्मचारी एम्पायर होता है

डा. सामन्त ने कहा कि आज कीट, कीस ए​वं कीम्स को मिलाकर यहां 10 हजार से अधिक कर्मचारी हैं। इतने ब़ड़े अम्पायर को सम्भालना अकेले मेरे बस की बात नहीं है। ऐसे में हमने संस्थान को लेकर हायर अथारिटी का गठन किया हुआ है, जिसके पास सभी प्रकार के निर्णय लेने के अधिकार हैं। यहां तक कि चेक साइन करने का भी अधिकार हायर अथारिटी के पास दिया हुआ है।

सभी प्रकार की आपदा में मदद के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा रहता है कीट विश्व विद्यालय

डा. सामन्त ने कहा है कि कोविड महामारी ही नहीं बल्कि सभी प्रकार की आपदा के समय कीट अनुष्ठान प्रदेश के लोगों के साथ खड़ा रहता है। चक्रवात से लेकर बाढ़ एवं तूफान तथा अब कोविड महामारी में हम सदैव सरकार ए​वं समाज की मदद करने को तत्पर रहते हैं। आज कीम्स अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज के लिए प्रदेश सरकार के आह्वान पर विशेष व्यवस्था की गई है। यहां पर वर्तमान समय में 1100 बेड की व्यवस्था की गई है जबकि और 600 बेड की व्यवस्था करने का प्रस्ताव है जो जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा अनुष्ठान की तरफ से हर दिन प्रदेश भर में 3 लाख लोगों तक खाना मुहैया किया जा रहा है। 15 जिलों में हमारी यह योजना चल रही है। राजधानी भुवनेश्वर में 4 जगहों पर लोगों को मुफ्त में भोजन आदि सामग्री दी जा रही है।

कुल मिलाकर कभी बेहद ही गरीबी में बचपन गुजारने वाले कीट-कीस के संस्थापक डा. अच्यूत आज प्रदेश के हजारों गरीब एवं आदिवासीय परिवार के मसीहा माने जाते हैं। वनवासी क्षेत्र में जहां शिक्षा के महत्व को समझने वाले आज भी लोगों की संख्या काफी कम हो वहां के बच्चों को राजधानी में लाकर मुफ्त शिक्षा देकर उनकी जिंदगी को संवार रहे हैं। कोविड काल में समाज के प्रति उनके योगदान की चर्चा आज राजधानी भुवनेश्वर के साथ पूरे प्रदेश में हो रही है। 

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