Odisha: भगवान अलारनाथ के दर्शन से भी वंचित रहेंगे भक्त, मंदिर के चारों तरफ धारा 144

कोरोना महामारी के कारण रथयात्रा समारोह में शामिल होने से वंचित रहने वाले भक्त इस बार भगवान अलारनाथ के दर्शन भी नहीं कर पाएंगे। ऐसी मान्‍यता है कि भगवान अलारनाथ के दर्शन करने से भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 11:17 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 11:27 AM (IST)
Odisha: भगवान अलारनाथ के दर्शन से भी वंचित रहेंगे भक्त, मंदिर के चारों तरफ धारा 144
भगवान अलारनाथ के दर्शन से भी वंचित रहेंगे भक्त

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। रथयात्रा के समय पुरी के ब्रह्मगिरी में मौजूद भगवान अलारनाथ के दर्शन करने से भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन के समान पुण्य मिलने की मान्यता है। हालांकि इस साल कोरोना महामारी के कारण रथयात्रा समारोह में शामिल होने से वंचित रहने वाले भक्तों को भगवान अलारनाथ के दर्शन से भी वंचित होना पड़ रहा है। मंदिर के चारों तरफ धारा 144 लगा दी गई है।

ऐसी जानकारी है कि सत्युग में स्वयं ब्रह्माजी आकर यहां पर प्रतिदिन तपस्या किया करते थे। भगवान अलारनाथ मंदिर का निर्माण 9वीं सदी में राजा चतुर्थभानुदेव ने किया था जो स्वयं दक्षिण भारत के वैष्वभक्त थे। दक्षिण भारत में आज भी विष्णुभक्त चतुर्भुज नारायण के रुप में उनकी पूजा करते हैं। ब्रह्मगिरी के भगवान अलारनाथ मंदिर की देवमूर्ति काले पत्थर की बनी है जो साढे पांच फीट की है। 1510 ई. में महाप्रभु चैतन्यजी स्वयं वहां आकर भगवान अलारनाथ के दर्शन किये थे। आज सैलानियों का स्वर्ग भी है ब्रह्मगिरी।

भगवान अलारनाथ के खीर भोग की भी मान्यता

मंदिर में भगवान अलारनाथ को खीर का भोग प्रतिदिन लगता है जो काफी स्वादिष्ट होता है। ऐसी मान्यता है कि जिस प्रकार जगन्नाथ मंदिर पुरी के महाप्रसाद की जैसी मान्यता है ठीक उसी प्रकार भगवान अलारनाथ के खीर भोग की भी मान्यता है। पिछले कई वर्षों से भगवान अलारनाथ मंदिर, ब्रह्मगिरी की साफ-सफाई आदि का जिम्मा स्वयं ओडिशा सरकार ने ले रखा है। यह भी प्रतिवर्ष देखने को मिलता है कि ओडिशा के बडे-बुजुर्ग जगन्नाथ भक्त उन 15 दिनों में कम से कम एक बार ब्रह्मगिरी जाकर भगवान अलारनाथ के दर्शन अवश्य करते हैं।

कोरोना के कारण लगी दर्शन पर रोक

लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के कुप्रभाव को देखकर इस वर्ष ओडिशा सरकार ने दर्शन पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। ऐसे में, जिस प्रकार 15 मई, 2021 को अक्षय तृतीया, 21 दिवसीय चंदनयात्रा तथा 24 जून को देवस्नान पूर्णिमा पुरी में बिना भक्तों के, सिर्फ सेवायतों के द्वारा संपन्न हुई। दूरदर्शन तथा सभी टेलीविजन चैनलों के सीधे प्रसारण के माध्यम से करोडों जगन्नाथ भक्त अपने-अपने घर पर ही उनका अलौकिक आनन्द उठाये, ठीक उसी प्रकार से आगामी 12 जुलाई, 2021 को भगवान जगन्नाथ की विश्वप्रसिद्ध रथयात्रा का भी अलौकिक आनन्द उठाएंगे। रथारुढ महाबाहु के दर्शन मात्र से अपने मानव-जीवन को सार्थक बनाएंगे।

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