Dakota Aircraft: बीजद सरकार का बीजू प्रेम, डाकोटा विमान को वापस लाने के लिए कसरत शुरू

बीजद सरकार ने बीजू बाबू (Biju Patnaik) के प्रिय डाकोटा विमान (Dakota Aircraft) को ओडिशा लाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। भुवनेश्वर एयरपोर्ट के सामने चिन्हित किए गए ढाई एकड़ जमीन में डाकोटा विमान को रखने की योजना है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:49 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 12:27 PM (IST)
Dakota Aircraft: बीजद सरकार का बीजू प्रेम, डाकोटा विमान को वापस लाने के लिए कसरत शुरू
बीजू बाबू के डाकोटा विमान को वापस लाने के लिए कसरत शुरू

भुवनेश्वर, शेषनाथ राय। प्रवाद पुरुष बीजू पटनायक के नाम पर बीजू जनता दल का गठन हुआ है। 21 साल से यह पार्टी प्रदेश में सत्ता पर काबिज है। हालांकि अब एक फिर बीजद सरकार ने बीजू बाबू के डाकोटा विमान को वापस लाने के लिए कसरत शुरू कर दी है। बीजू बाबू के जन्म शतवार्षिकी को भव्य तरीके से मनाने के लिए बीजद ने 2016 में एकाधिक कमेटी का गठन किया था। इस समय बीजू बाबू के प्रिय डाकोटा विमान को ओडिशा लाने के लिए तैयारी शुरू की गयी, मीडिया में भी तब इसे लेकर खूब चर्चा हुई। हालांकि यह आज तक सम्भव नहीं हो सका है। यहां तक कि 2017 दिसम्बर महीने से डाकोटा विमान को कोलकाता से ओडिशा लाने के लिए सभी प्रकार की मदद करने का आश्वासन भारतीय विमन बंदरगाह प्राधिकरण (एएआई) के अधिकारियों ने खुद अपनी तरफ से ओडिशा सरकार को दिया था। बावजूद इसके विमान वापस नहीं आ पाया और अब एक बार फिर विमान को वापस लाने के लिए सरकार तत्पर हो उठी है।

 राज्य व्यापार एवं परिवहन विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक भुवनेश्वर एयरपोर्ट के सामने पहचान किए गए ढाई एकड़ जमीन में डाकोटा विमान को रखने की योजना है। इस संदर्भ में एएआई अधिकारी को जरूरी एनओसी के लिए केन्द्र सरकार के बेसामरिक चलाचल सचिव प्रदीप सिंह खारोल को भी राज्य व्यापार एवं परिवहन सचिव मधुसूदन पाढ़ी ने पत्र लिखकर जरूरी कदम उठाने को अनुरोध किया है। इस साल जुलाई महीने में राज्य परिवहन मंत्री पद्मनाभ बेहेरा ने डाकोटा विमान को स्थानान्तरण के लिए टेंडर बुलाए जाने तथा कोलकाता की एक संस्था इस कार्य को करने के बारे में जानकारी दे चुके हैं।

बीजू बाबू से पूरे प्रदेश के लोग करते हैं प्रेम 

डाकोटा विमान को कोलकाता से स्थानांतरण के लिए अतीत में सभी बैठक में केन्द्र सरकार एवं एएआई अधिकारी सकारात्मक संदेश देकर सहयोग का हाथ बढ़ाने के बावजूद अब तक आखिर क्यों डाकोटा का स्थानांतरण नहीं हो पाया इस पर अभी भी संशय बना हुआ है। बीजू बाबू से पूरे प्रदेश के लोग प्रेम करते हैं और बीजू की याद एवं साहसिकता के साथ जड़ित डाकोटा विमान को कोलकाता से लाने के लिए विभिन्न समय में मांग होती रही है। यहां तक कि 2017 में एएआई के अध्यक्ष के तौर पर ओडिआ आईएएस गौरप्रसाद महापात्र अवस्थापित हुए थे, उस समय वह व्यक्तिगत तौर पर इस ऐतिहासिक डाकोटा विमान को ओडिशा स्थानांतरित करने के लिए राज्य सरकार को 13 दिसम्बर 2017 को खुला प्रस्ताव दिए थे।

हालांकि उनके इस पत्र का जवाब देने में राज्य सरकार ने 22 जनवरी 2020 तक इंतजार किया। इस साल व्यापार एवं परिवहन विभाग के सचिव के तौर पर जब ओड़िआ आईएएस मधुसूदन पाढ़ी ने जब दायित् सम्भाला तब से एक बार फिर डाकोटा विमान के स्थानांतरण की प्रक्रिया फिर से शुरू हुई है। भुवनेश्वर अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा प्रवेश मार्ग से जुड़े रहने वाले थाना एवं एयरपोर्ट के अधिकारियों के प्रशासनिक इमारत के पास खाली पड़े ढाई एकड़ जमीन में डाकोटा विमान को रखने के लिए जरूरी अनुमति देने को केन्द्र सरकार से अनुरोध किया गया है। एएआई अधिकारी एनओसी देने पर यह विमान स्थानांतरण की प्रक्रिया सम्भव होगी।

यहां सवाल यह उठता है कि बीजू बाबू के नाम गठित दल बीजू जनता दल हर चुनाव में बीजू बाबू के आदर्श एवं सपने को साकार करने की बात करती है, मगर 21 साल तक शासन करने के बावजूद किसी भी प्रोजेक्ट को नया रूप देने में सक्षम नहीं पायी है। अब बीजू बाबू का डाकोटा कोलकाता से लाने की प्रक्रिया शुरू करने वाली राज्य सरकार कब इसको अंतिम रूप देगी तथा मुंबई अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट में रहने वाले और एक डाकोटा के लिए प्रक्रिया शुरू करेगी, उस पर कई तरह के सवाल जवाब खड़े हो रहे हैं।

पायलट बीजू पटनायक की भूमिका अतुलनीय

जम्मू एवं कश्‍मीर में 1947 अक्टूबर में अस्थिरता जारी थी। पाकिस्तान जम्मू-काश्मीर को अपने कब्जे में लेने के लिए इसी समय महाराजा हरि सिंह की राजनीति को चुनौती देकर जोरदार प्रयास कर रहा था। पाकिस्तानी सेना की मदद से आतंकवादियों के सामने महाराज हरि सिंह की सेना कमजोर हो रही थी। परिस्थिति इतनी गम्भीर हो गई की धीरे-धीरे राजधानी श्रीनगर पर कब्जा जमाने के लिए पाकिस्तान ने अपनी सेना उतार दी। जब पाकिस्तानी सेना वहां से मात्र 30 किमी. दूर थी उसी समय भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से महाराज हरि सिंह ने भारतीय सेना भेजकर श्रीनगर की रक्षा करने का अनुरोध किया। ऐसी विकट स्थिति में प्रवाद पुरुष तथा साहसी पायलट बीजू पटनायक की भूमिका अतुलनीय थी।

बीजू बाबू का दु:साहसिक अभियान

बीजू बाबू ने भारतीय सेना को एयरलिफ्ट कर पाकिस्तानी दुश्मन के कैप में घुसकर श्रीनगर बचाने में सफलता हासिल की थी। बीजू बाबू ने यह दु:साहसिक अभियान 27 अक्टूबर 1947 को चलाया था। दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से सूर्य उदय से पहले ही डीसी-थ्री डाकोटा विमान को लेकर बीजू बाबू श्रीनगर के लिए रवाना हुए थे। गोलीबारी की परवाह किए बगैर दुश्मन के रडार को चकमा देकर एवं सफलता के साथ सिख रेजीमेंट के जवानों को बीजू बाबू ने श्रीनगर में पहुंचा दिया था। इसके बाद भारतीय सेना का पलड़ा भारी हुआ और यहीं से जम्मू-कश्‍मीर को भारत में मिलने का रास्ता साफ हुआ।

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