केन्द्र मंत्री पीयूष गोयल से मिला बीजद सांसदों का प्रतिनिधि दल: 6,081.45 करोड़ रुपये की लंबित सब्सिडी जारी करने की मांग

बीजद सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात कर 6081.45 करोड़ रुपये की लंबित सब्सिडी जारी करने की मांग की और ओडिशा से अधिशेष चावल की शीघ्र निकासी और बोरियों की कमी के मुद्दे को भी उठाया।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 09:18 AM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:18 AM (IST)
केन्द्र मंत्री पीयूष गोयल से मिला बीजद सांसदों का प्रतिनिधि दल: 6,081.45 करोड़ रुपये की लंबित सब्सिडी जारी करने की मांग
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल

भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। बीजू जनता दल (BJD) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goel) से मुलाकात की और 6,081.45 करोड़ रुपये की लंबित सब्सिडी जारी करने की मांग की। पार्टी के राज्यसभा नेता प्रसन्न आचार्य सहित सांसदों ने गोयल को एक ज्ञापन सौंपा और ओडिशा से अधिशेष चावल की शीघ्र निकासी और बोरियों की कमी के मुद्दे को भी उठाया। बीजद के एक सांसद ने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया कि वह इसके लिए जरूरी कदम उठाएंगे।

सांसदों ने ज्ञापन के माध्यम से कहा कि एमएसपी कार्यक्रम के तहत धान/चावल खरीद कार्य केंद्र के अधिकार क्षेत्र में है। हालांकि दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्रों में एमएसपी की पहुंच बढ़ाने के लिए, ओडिशा सरकार ने 2003-04 में राज्य में किसानों से धान की खरीद की जिम्मेदारी संभाली। केंद्र के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के अनुसार, राज्य सरकार या राज्य की खरीद एजेंसी पर शून्य वित्तीय देयता होनी चाहिए। हालांकि, ओडिशा को अग्रिम सब्सिडी जारी करना अनियमित है।

राज्य सरकार की प्रमुख खरीद एजेंसी, ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम को 5,365.11 करोड़ रुपये की अंतिम सब्सिडी और 716.34 करोड़ रुपये की अग्रिम सब्सिडी के रूप में प्राप्त करना है। इसके अलावा, सांसदों ने कहा कि रिलीज में देरी और सब्सिडी जारी न करने के कारण अतिरिक्त ब्याज लगभग 4,883.55 करोड़ रुपये आता है, जिसकी भरपाई नहीं की जाती है और केंद्र द्वारा भुगतान किया जाना चाहिए। प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय मंत्री को ओडिशा से भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा अधिशेष चावल नहीं उठाने के बारे में अवगत कराया। सांसदों ने आगे कहा कि एफसीआई द्वारा राज्य से अधिशेष चावल की समय पर निकासी सुनिश्चित करने में विफलता के कारण गोदामों में चावल भरे पड़े हैं, कोई लेने वाला नहीं है।

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