नंदनकानन अभयारण्य में जल्द चलायी जाएगी शिशु रेलगाड़ी, बुलेट ट्रेन की तरह की गई है तैयार
Nandankanan Sanctuaryनंदनकानन अभयारण्य में बहुत जल्द शिशु रेलगाड़ी चलायी जाएगी। इस ट्रेन को बुलेट ट्रेन की तरह ही तैयार किया गया है। इसमें एक बार में 72 पर्यटक सवार हो सकते हैं। दिव्यांग बच्चों के लिए इसमें बैठने की खास व्यवस्था की गई है।
भुवनेश्वर, जागरण संवाददाता। राजधानी भुवनेश्वर स्थित नंदनकानन अभयारण्य में बहुत जल्द शिशु रेलगाड़ी चलायी जाएगी। इसमें बैठकर पर्यटक नंदनकानन अभयारण्य का मजा लेंगे। इस संदर्भ में तैयारी जारी रहने की बात नंदननकानन के अधिकारियों ने कही है। बुलेट ट्रेन की तरह ही शिशु ट्रेन को तैयार किया गया है। इसमें दिव्यांग बच्चों के लिए बैठने की खास व्यवस्था की गई है। जानकारी के मुताबिक सन् 1985 से ही नंदनकानन अभयारण्य में शिशु रेलगाड़ी सेवा चलायी जा रही है। हालांकि वर्ष 2013 में तकनीकी गड़बड़ी के कारण इस सेवा को बंद करना पड़ा था। राज्य सरकार के द्वारा 3 करोड़ 5 लाख रुपये खर्च कर इस शिशु रेलगाड़ी एवं ट्रैक का नवीनीकरण कार्य किया गया है। इस शिशु ट्रेन में एक साथ में 72 पर्यटकों को बैठने की व्यवस्था की गई है।
कोविड महामारी के कारण नंदननकान को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया था। अब प्रदेश में कोविड संक्रमण के मामले कम होने के बाद नंदनकानन अभयारण्य को राज्य सरकार द्वारा पुन: एक बार खोला गया है। अभयारण्य में शिशु ट्रेन की व्यवस्था को पुन: बहाल किए जाने से यहां आने वाले पर्यटकों को अभयारण्य घूमने में मजा आएगा। इस रेलगाड़ी में बैठकर पर्यटक नंदनकानन के प्राकृतिक सौंदर्य का उपभोग कर पाएंगे। इसके साथ ही पर्यटकों को काफी नजदीक से पशु-पक्षियों को देखने का सौभाग्य मिलेगा।
चिड़ियाघर, अभयारण्य और वनस्पति उद्यान का संयोजन
नंदन कानन चिड़ियाघर, अभयारण्य और वनस्पति उद्यान का एक संयोजन है। नंदनकानन जूलॉजिकल पार्क ओडिशा मेँ भुवनेश्वर से 20 किलोमीटर दूर स्थित 437 हेक्टेयर का चिड़ियाघर और वनस्पति उद्यान है। इसकी स्थापना का कार्य 1960 में शुरू हुआ था और 1971 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया था। वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ़ ज़ूज़ एंड एक्वेरियम (डब्ल्यूएजेडए) में 2009 मेँ शामिल होने वाला यह भारत का पहला चिड़ियाघर बन गया। इसमें एक वनस्पति उद्यान भी और इसके एक हिस्से को अभयारण्य घोषित किया गया है। चंदका जंगल के राजमहल में राजधानी भुवनेश्वर के पास चण्डका वन के वातावरण में स्थित है और इसमें 54 हेक्टेयर में फैली कांजिया झील भी शामिल है।