Coronavirus: ओडिशा में कोरोना के 805 नए मामले और सात मौतें
Coronavirus ओडिशा में कोरोना के सबसे ज्यादा 346 ताजा मामले खुर्दा जिले से सामने आए जबकि 98 मामले कटक जिले में सामने आए। इस बीच मयूरभंज केंद्रपाड़ा और बालासोर जिलों ने क्रमशः 37 33 और 30 मामले दर्ज किए।
भुवनेश्वर, आइएएनएस| ओडिशा में पिछले 24 घंटे में 18 साल से कम उम्र के 131 लोगों सहित 805 लोग कोविड-19 से संक्रमित हुए हैं। नए मामलों का पता क्वारंटाइन केंद्रों से लगाया गया, जबकि 338 स्थानीय संपर्क मामले हैं। इनमें 131 0-18 वर्ष के आयु वर्ग के हैं, जो नए मामलों का 16.27 प्रतिशत है। सबसे ज्यादा 346 ताजा मामले खुर्दा जिले से सामने आए, जबकि 98 मामले कटक जिले में सामने आए। इस बीच, मयूरभंज, केंद्रपाड़ा और बालासोर जिलों ने क्रमशः 37, 33 और 30 मामले दर्ज किए। अन्य सभी जिलों में रविवार को 30 से कम मामले दर्ज किए गए। इन नए मामलों के साथ, राज्य में कुल सक्रिय मामलों की संख्या 7,158 तक पहुंच गई। राज्य ने भी नियत आडिट प्रक्रिया पूरी करने के बाद कोविड -19 के कारण सात लोगों की मौत की पुष्टि की है। प्रत्येक जिले में अंगुल और बालासोर में दो मौतें हुई हैं, जबकि खुर्दा, कटक और भद्रक जिलों से एक की मौत हुई है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि अब तक ओडिशा में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद 8,047 लोगों की मौत हो चुकी है।
भाजपा ने पटनायक सरकार पर साधा निशाना
भुवनेश्वर से जागरण संवाददाता के मुताबिक, राज्य में कोरोना पाजिटिव पाए जाने वाले मरीजों में बच्चों की लगातार बढ़ती संख्या चिंता का कारण बनी हुई है। प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि करोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार ने कोई तैयारी नहीं की है। भाजपा महिला मोर्चा के राज्य अध्यक्ष स्मृति पटनायक ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार केवल प्रचार में व्यस्त हैं, जबकि वास्तविक तौर पर कोई काम नहीं हो रहा है। स्मृति पटनायक ने कहा कि विशेषज्ञों के अनुसार तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक हो सकती है। जबकि राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। इसे देखते हुए भाजपा ने सभी 30 जिलों के लिए महिला मोर्चा को जिला अस्पताल सहित कटक और भुवनेश्वर के शिशु भवन का दौरा कर स्थिति का आकलन करने को कहा है। भाजपा महिला मोर्चा ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार कोविड संकट से निपटने को हर संभव मदद कर रही है, लेकिन राज्य सरकार इसे गंभीरता से नहीं ले रही है। राज्य के विभिन्न अस्पतालों में शिशु रोग विशेषज्ञ डाक्टर हैं ही नहीं, ऐसे में करोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रदेश सरकार को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। अगर समय रहते इसके लिए प्रयास नहीं किया गया तो हमें इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है।