पॉलिथीन से बने घर में 20 बकरियों के साथ रहने को मजबूर दिव्यांग बहनें, सुध लेने वाला कोई नहीं

ओडिशा के बालेश्‍वर में रहने वाली चार बहनें जन्‍म से ही गूंगी और बहरी हैं। 40 वर्ष से पार ये सभी बहनें अविवाहित हैं और बीमार पिता और मां के साथ बकरियों के रहने वाले पॉलिथीन से बने घरों में रहने को मजबूर है।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Thu, 10 Dec 2020 09:50 AM (IST) Updated:Thu, 10 Dec 2020 09:50 AM (IST)
पॉलिथीन से बने घर में 20 बकरियों के साथ रहने को मजबूर दिव्यांग बहनें, सुध लेने वाला कोई नहीं
बालेश्वर में दिव्यांग बहनें एक ही घर में बकरियों के साथ रहती हैं।

 बालेश्वर, लावा पांडे। जीवन ऐसा कि अपना दुख बताने के लिए किसी के पास मानो शक्ति रह नहीं गयी हो। भगवान इस तरह का दुख किसी को भी ना दें शायद इनके मन में इसी तरह की बातें आ रही होंगी। चार बहनें सुकांति, बसंती, अवंती और जयंती बालेश्वर जिला के अंतर्गत रिमुना ब्लॉक के अधीन निजामपुर पंचायत के दमदा गांव की रहने वाली हैं। दुख और कष्ट की बात यह है कि ये सभी बहनें जन्म से गूंगी और बहरी है‌ न बोल पाती है ना ही सुन पाती है जिसके चलते आज भी वे अविवाहित हैं। 

 सभी बेटियां 40 वर्ष की उम्र के पार 

जिनके पास दो वक्त की रोटी नहीं है आखिर वे विवाह की चिंता या बात कैसे सोच सकती हैं। सभी बेटियां 40 वर्ष की उम्र को पार कर चुकी है। इस परिवार का मुखिया बाइधर जेना विगत कई वर्षों से रोग ग्रस्त हो जाने के कारण बिस्तर पर पड़ा है। इन लड़कियों की मां हरामणि देवी मानो अपनी जिंदगी से अब हार मानने लगी है। इनके पास संपत्ति के नाम पर मात्र 3 डिसमिल जमीन ही है। बाइधर को इंदिरा आवास तो मिला है लेकिन काम अधूरा रह जाने के कारण आज वह धीरे-धीरे जर्जर होता चला जा रहा है।

 रहने के लिए समुचित घर ना होने के कारण आखिरकार यह पूरा का पूरा परिवार बकरियों के रहने वाले पॉलिथीन से बने घरों में रहने को मजबूर है। इनके पास करीब 20 बकरियां है तथा सरकार से मिलने वाला 500 रुपया भत्ता और प्रति व्यक्ति 5 किलो चावल । यही इस पूरे परिवार को जिंदा रखे हुए है। एक दो महीने में ये लोग एक बकरी बेच देते हैं तथा अपना कर्ज अदा कर देते हैं और पिता की दवाई भी ले आते हैं। 

 सुध लेने वाला कोई नहीं

यहां के स्थानीय लोगों की मानें तो अधिकारी आते हैं देखते हैं और चले जाते हैं लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं दिखता। यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि जो चीजें आम जनता को दिख रही है क्या सरकार और प्रशासन को नहीं दिखती। क्या सरकार और प्रशासन अंधा हो चुका है गूंगा और बहरा हो चुका है यह अपने आप में एक बड़ा सवाल बन चुका है। इस संपर्क में हमने जिला के कई वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही लेकिन कोई भी कुछ भी साफ-साफ कुछ नहीं बता पाया। आखिर सरकारी योजनाएं किसके लिए है, क्या सरकार किस्मत के मारे इन लोगों का सुध लेगी जिन्हें ऊपर वालों ने मारा है।

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