49 दिन की तलाश के बाद समुद्र में मिला इंडोनेशियार्इ किशोर

आपने सच्ची घटनाआें पर आधारित फिल्में बहुत देखी होंगी पर फिल्मी कहानी जैसी सच्ची घटना के बारे में सुना है क्या। एेसी ही कहानी है इंडोनेशिया के एक युवक की।

By Molly SethEdited By: Publish:Tue, 25 Sep 2018 04:58 PM (IST) Updated:Thu, 27 Sep 2018 09:14 AM (IST)
49 दिन की तलाश के बाद समुद्र में मिला इंडोनेशियार्इ किशोर
49 दिन की तलाश के बाद समुद्र में मिला इंडोनेशियार्इ किशोर

समुद्र के बीच करता था काम 

19 साल का अल्दी नोवल अदिलांग नाम का ये युवक जकार्ता की एक मत्स्य पालक कंपनी में नौकरी करता था। वे इंडोनेशिया के सुलावेसी द्वीप समूह में रहने वाले कर्इ आदिवासी परिवारों की तरह आल्दी भी इस काम के लिए एक 'रोम्पॉन्ग' का इस्तेमाल करते थे। रोम्पॉन्ग मछली पकड़ने वाली एक नाव को कहते हैं जो बिना किसी पैडल या इंजन के चलती है। इसमें मछली पकड़ने की विशालकाय जाल रहती है। उनकी यह रोम्पॉन्ग सुलावेसी समुद्र तट से 125 किलोमीटर दूर समुद्र में मौजूद थी, आैर एक रस्सी के जरिए तट से बंधी हुई थी। नाव पर एक लैंप भी होता है जो रात में जला दो तो मछलियां रोशनी से आकर्षिक होकर जाल में फंस जाती थी। उन्हें एक वॉकी-टॉकी भी दिया गया था, ताकि वे जाल भरने की खबर कंपनी के अधिकारियों को दे सके। 

जुलार्इ में हुआ हादसा 

सीएनएन की खबर के मुताबिक इस साल 14 जुलाई को सुलावेसी में जबरदस्त तूफान आया जिसमें अल्दी की नाव की रस्सी टूट गई। इससे पहले कोर्इ जान पाता वो तेज हवाओं के साथ बहकर हजारों मील दूर गुआम इलाके में पहुंच गई। अब चारों आेर अथाह पानी के बीच समुद्र में अल्दी सिर्फ अकेला ही नहीं था बल्कि उसके पास खाना भी नाममात्र को ही था आैर पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं था। सबसे बड़ी बात ये थी कि पैडल आैर इंजन के आभाव वो किसी भी दिशा में खुद नहीं जा सकता था बल्कि बहाव के साथ भटकने के लिए मजबूर था। रोशनी का एक मात्र जरिया था जेनरेटर जिसका डीजल भी हफ्ता बीतते बीतते सूख गया।  

49 दिन का डरावना सफर 

हाॅलीवुड फिल्म लाइफ आॅफ पार्इ की तरह अब अल्दी अथाह समुद्र के बीच अकेला था। अपने आप को जिंदा रखने के लिए उसने कर्इ तरह के जतन किए। जैसे ठंड से लड़ने के लिए उसने अपनी ही नाव की लकड़ियां काट कर जलार्इं आैर उसमें समुद्र से पकड़ी मछलियां भून कर खा कर जिंदा रहे। इसके साथ ही पीने के पानी के लिए उन्होंने समुद्री जल में अपनी टी शर्ट भिगो कर निचोड़ी आैर वो पानी पिया। एेसा करने से पानी का नमक कम हो जाता था आैर वो खारेपन आैर नमक की अधिकता का शिकार होने से बचे रहे। ये सब लगभग 49 दिन चला। जैसे जैसे समय बीत रहा था अल्दी की जीवन की उम्मीदें खत्म हो रही थीं यहां तक कि वो आत्महत्या के बारे में सोचने लगे थे, लेकिन अपने मां बाप की शिक्षा के चलते उन्होंने एेसा नहीं किया आैर उम्मीद बनाये रखी।  

पनामा के जहाज ने बचाया 

इस दौरान उन्हें ढूंढने गए कर्इ दल आैर जहाज, नावें आदि आसपास से गुजरे पर किसी को अल्दी नजर नहीं आये आैर उनके जीवित मिलने की आशा क्षीण होने लगी। तभी बीते माह 31 अगस्त को गुआम तट से से पनामा का एक जहाज ‘एमवी अरपेगियो’ वहां से गुजरा। संभवत उनकी नजर भी अल्दी पर नहीं पड़ती आैर वो उसे छोड़ कर चल देता पर उसने समझदारी दिखार्इ आैर अपने रेडियो को उसकी फ्रीक्वेंसी पर सेट किया जिससे उनकी लोकेशन जहाज के कैप्टन को मिली आैर उन्होंने अपना जहाज वापस मोड़ा। इसके बाद एक रस्सी की मदद से तैर कर अल्दी अरपेगियो पर पहुंचे। इस तरह किसी एक्शन थ्रिलर के अंदाज में अल्दी की कहानी अपनी हैप्पी एंडिंग पर पहुंची। 

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