Zydus Cadila's PegIFN drug: कोरोना महामारी में रामबाण बन सकती है भारत की ये दवा, ट्रायल में आए अचंभे परिणाम

Zydus Cadilas PegIFN drug कोरोना महामारी के बीच गुजरात की जायडस कैडिला कंपनी की PegIFN एक उजाले की उम्‍मीद बनकर आई है। कंपनी का दावा है कि क्लीनिकल ट्रायल्स में यह दवा 91 फीसद तक असरदार साबित हुई है। ऑक्सीजन चढ़ाने की जरूरत भी कम हुई है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 09:55 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 09:58 PM (IST)
Zydus Cadila's PegIFN drug: कोरोना महामारी में रामबाण बन सकती है भारत की ये दवा, ट्रायल में आए अचंभे परिणाम
कोरोना महामारी में रामबाण बन सकती है जायडस कैडिला की PegIFN दवा। फाइल फोटो।

नई दिल्‍ली, ऑनलाइन डेस्‍क। कोरोना महामारी के बीच गुजरात की जायडस कैडिला कंपनी की PegIFN एक उजाले की उम्‍मीद बनकर आई है। कंपनी का दावा है कि उसने कोविड-19 वायरस का महातोड़ खोज लिया है। कंपनी का यह तर्क हवा में नहीं है। जायडस ने बकायदा दवा की टेस्टिंग और वैज्ञानिक आधार पर अपना दावा पेश किया है। आइए जानते हैं क्‍या है कंपनी का दावा। क्लीनिकल ट्रायल्स में यह दवा 91 फीसद तक असरदार साबित हुई है। इसकी वजह से ऑक्सीजन चढ़ाने की जरूरत भी कम हुई है। जायडस ने यह भी कहा कि कंपनी यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन के साथ मिलकर काम कर रही है। इसके अलावा मैक्सिको में भी इस तरह के ट्रायल्स होने वाले हैं। कंपनी ने इस दवा के लिए अब सरकारी रेगुलेटर से अप्रूवल मांगा है। 

कोरोना संक्र‍मित मरीजों पर ट्रायल के परिणाम कंपनी का दावा है कि 250 कोरोना मरीजों पर किए गए परीक्षण सफल रहे। कोरोना संक्र‍मित मरीज ट्रायल के दौरान सात दिन में ही आरटी पीसीआर निगेटिव हुए। परीक्षण के दौरान मरीजों के ऑक्‍सीजन लेबल पर भी नजर रखी गई। इस दवा के प्रयोग से ऑक्‍सीजन के इस्‍तेमाल की अवधि में कमी आई। 84 घंटे के मुकाबले PegIFN देने के बाद मॉडरेट मरीजों को सिर्फ 56 घंटे ही ऑक्‍सीजन देनी पड़ी। देश में ऑक्‍सीजन की किल्‍लत को देखते हुए यह दवा वरदान साबित हो सकती है। यह दवा बढ़ती उम्र के लिए भी बेहद कारगर है। बढ़ती उम्र के साथ इंटरफेरॉन अल्‍फा बनाने की क्षमता कमजोर होती है। यह सिंगल डोज इंटरफेरॉन बनाने में मदद करता है, जो वायरस को रोकेगा। इसका सिंगल डोज देने पर मरीजों की हालत में काफी सुधार दिखा है। जायडस का दावा हे कि उसने कोरोना वायरस से प्रभावति मरीजों पर पेगिलेटेड इंटरफेरॉन अल्‍फा 2 दवा का क्‍लीनिकल ट्रायल किया है। यह ट्रायल्‍स दिसंबर, 2020 में शुरू हुए थे। कंपनी का दावा है कि इसी साल कोरोना के इलाज पर नेचर पब्लिकेशन में छपी एक स्टडी में भी इंटरफेरॉन ट्रीटमेंट को स्टेरॉइड्स के साथ देने पर सामने आए नतीजों की जानकारी दी गई थी।

रेमडेसिविर जैसी महंगी दवा हो सकती है विकल्‍प

खास बात यह है कि कोरोना वायरस संक्रमितों के इलाज के लिए एंटी वायरल दवाओं का प्रयोग किया जा रहा है। यह दवा ऐसे में बेहद उपयोगी हो जाती है, जब रेमडेसिविर जैसी दवाएं गरीबों की पहुंच से बाहर हो रहीं हैं। यह काफी महंगी दवा है। वहीं PegIFN दवा गरीबों के लिए रामबाण हो सकती है। यह ट्रीटमेंट सिंगल डोज है। यह कम खर्चीली है। यह कहा जा रहा है कि यदि इस दवा को शुरुआती चरण में दिया जाता है तो इसके बेहद अच्‍छे नतीजे सामने आएंगे। यह मरीज को तेजी से रिकवर करने में मददगार होगी। इतना ही नहीं इस दवा से कोरोना के एडवांस स्‍टेज में होने वाली जटिलताओं को भी रोकने में मदद मिलती है।

बुजुर्गों के लिए संजीवनी है ये दवा

यह भी दावा किया जा रहा है कि बुजुर्गों के शरीर की वायरस इंफेक्‍शन के जवाब में इंटरफेरॉन अल्‍फा बनाने की क्षमता कम हो जाती है। इसके चलते कोरोना वायरस पॉजिटिव बुजुर्गों की मौत हो जाती है। अगर बुजुर्गों को PegIFN दवा की डोज दी जाती है तो इससे इस कमी को दूर किया जा सकता है। उनकी रिकवरी प्रक्रिया में तेजी लाई जा सकती है। सामन्‍य रोगियों के बारे में कंपनी का दावा है कि यदि कोविड-19 मरीजों को शुरू में ही यह दवा दी जाती है तो वायरस को रोकने में मदद मिलती है।

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