युवा किसान ने फसल परिवर्तन की दिखाई राह, हर साल 2.70 लाख रुपये तक हो रही कमाई

छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के मल्हार गांव के युवा किसान व कृषि की पढ़ाई कर रहे रोहन वर्मा ने एक एकड़ में केले की उन्नत किस्म जी-9 की ब्रीड लगाकर फसल परिवर्तन की नई राह दिखाई है। रोहन के नवाचार से प्रेरित होकर पिता ने इसे पिछले साल लगाया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 08:27 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 08:27 PM (IST)
युवा किसान ने फसल परिवर्तन की दिखाई राह, हर साल 2.70 लाख रुपये तक हो रही कमाई
केले की उन्नत किस्म जी-9 की ब्रीड लगाकर फसल परिवर्तन की नई राह

राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बिलासपुर जिले के मल्हार गांव के युवा किसान व कृषि की पढ़ाई कर रहे रोहन वर्मा ने एक एकड़ में केले की उन्नत किस्म जी-9 की ब्रीड लगाकर फसल परिवर्तन की नई राह दिखाई है। कृषि के क्षेत्र में रोहन के नवाचार से प्रेरित होकर उनके पिता ने इसे पिछले साल लगाया था। अब वे 10 सालों तक उसी पेड़ से फसल लेंगे। इस किस्म में तने के निचले हिस्से को काट देने से अगले सीजन में फिर नया पेड़ तैयार हो जाता है।

कृषि के क्षेत्र में युवक ने किया नवाचार, पिता ने एक कदम आगे बढ़कर दिया साथ

कृषि के क्षेत्र में रोहन के नवाचार को पिता जदुनंदन ने हाथों-हाथ लिया। सबसे पहले एक एकड़ के खेत को इसके लिए तैयार किया। केले की खेती कैश क्राप के रूप में की जाती है। जदुनंदन ने खेत को केले की खेती लायक तैयार किया। एक एकड़ में 950 केले के पेड़ लगाए। आठ महीने की हाड़तोड़ मेहनत अब खेतों में नजर आने लगी है। केले के पेड़ फलों से लद गए हैं। रोहन का नवाचार और जदुनंदन की मेहनत अब रंग ले आई है। एक महीने के बाद केले की तोड़ाई करेंगे और फिर बाजार में बेचेंगे।

हर साल 2.70 लाख रुपये तक कमाई

जदुनंदन ने बताया कि एक एकड़ में सामान्य धान की फसल लेने पर 12 हजार रुपये खर्च आता है और उत्पादन करीब 50 हजार रुपये तक होता है। केले की इस फसल में उन्हें पहले साल 60 हजार रुपये और इस साल 30 हजार रुपये खर्च करने पड़े। अब केले से पहले साल दो लाख 40 हजार और अगले नौ सालों में दो लाख 70 हजार रुपये प्रति वर्ष आय अर्जित करेंगे।

जैविक खेती पर जोर

जदुनंदन ने बताया कि फसल परिवर्तन के साथ ही जैविक खेती पर उनका पूरा फोकस रहा। केले के पेड़ों को कीट पतंगों से बचाने के लिए रासायनिक दवाओं के बजाय दसपर्णी रस का निर्माण कर छिड़काव किया था। धान की खेती में भी वे पूरी तरह जैविक खाद का उपयोग करते हैं। उन्होंने बताया कि जैविक खेती आज की जरूरत है।

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