पूरी दुनिया में मशहूर है मध्य प्रदेश का दुरूम, ड्यूरम गेंहू से ही बनता है लजीज पास्ता
दुनियाभर के पास्ता उद्योग की पहली पसंद है ड्युरम गेहूं से तैयार होने वाला आटा सेमोलिना इसी से बनता है पास्ता। अब किसान जैविक गेहूं से सेमोलिना तैयार कर इसकी सीधी आपूर्ति भी कर रहे हैं। इसके लिए ड्यूरम को सबसे बेहतर गेंहू माना जाता है।
धार/मध्य प्रदेश (प्रेमविजय पाटिल)। धार जिले के 25 युवा किसानों ने बेंगलुरु की एक कंपनी को माह भर में 40 टन सेमोलिना की सप्लाई कर 60 लाख रुपये का कारोबार किया। यह एक बानगी भर है। मध्य प्रदेश, विशेषकर मालवा में, ड्युरम (गेहूं दड़ा) का उत्पादन कर किसान खासा मुनाफा कमा रहे हैं। इससे बनने वाला सेमोलिना (रवा या सूजी के समकक्ष रिफाइंड आटा) दुनियाभर में पास्ता उद्योग की पहली पसंद है। पास्ता इसी से बनता है।
किसान अब जैविक गेहूं से सेमोलिना तैयार कर इसकी सीधी आपूर्ति भी कर रहे हैं। पास्ता बनाने के लिए मध्य प्रदेश का दुरुम, जिसे विदेश में ड्युरम भी कहते हैं, सबसे बेहतर गेहूं माना जाता है। जबलपुर स्थित जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के पवारखेड़ा स्थित अनुसंधान केंद्र में तीन साल पहले इस गेहूं की एमपी01255 किस्म को प्रस्तुत किया गया था। इस किस्म को विकसित करने वाले पवारखेड़ा केंद्र के प्रभारी व ब्रीडर डॉ. पीसी मिश्र और गेहूं वैज्ञानिक केके मिश्र का कहना है लगभग सात साल के सघन शोध के बाद तैयार हुई इस किस्म में वह सारे तत्व मौजूद हैं, जो अच्छे पास्ता के लिए उपयोगी हैं, जैसे प्रोटीन, ग्लूटेन के अलावा स्वाद, रंग, गूंधने के बाद उसका लचीलापन इत्यादि।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र के प्रभारी डॉ. साईं प्रसाद का कहना है पास्ता के लिए इस गेहूं की अन्य किस्में पूसा (तेजस), पूसा (अनमोल), पूसा (मालव शक्ति) की भी काफी मांग है। इन गेहूं में ग्लूटेन के अलावा प्रोटीन, जिंक और आयरन की मात्र अधिक होती है, जिससे पास्ता की गुणवत्ता बढ़ जाती है। इससे बनने वाला सेमोलिना अंतरराष्ट्रीय बाजार के मानकों पर खरा है।
धार जिले के 25 युवा किसानों ने सकल ऑर्गेनिक सोसायटी के नाम से एक संस्था तैयार की। इसके तहत प्रोसेसिंग आधारित स्टार्टअप अगस्त में शुरू किया। सबसे पहले जैविक गेहूं से सेमोलिना तैयार करना प्रारंभ किया। बेंगलुरु की एक बड़ी कंपनी से 40 टन का पहला बड़ा ऑर्डर तुरंत मिल गया। माहभर में ही इसकी आपूर्ति कर 60 लाख का कारोबार किया। सेमोलिना बनाने के लिए पहले गेहूं की सिंकाई की जाती है। फिर इसका छिलका निकाल लिया जाता है। टुकड़ों से रिफाइंड चमकदार आटा तैयार किया जाता है, जो रवा या सूजी जैसा ही दानेदार होता है। यही सेमोलिना कहलाता है।
संस्था से जुड़े एक किसान समीर गोस्वामी बताते हैं कि जैविक गेहूं (मालव शक्ति) का दाम इस समय 2500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि ड्युरम वैरायटी का दाम 2700 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक है। मालव शक्ति से तैयार सेमोलिना का दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि इससे बने पास्ता का दाम 25 हजार रुपये क्विंटल तक है। ड्युरम की अलग-अलग वैरायटी पर दाम बढ़ता जाता है।