भारत को एक वैश्विक शक्ति और मोदी को विश्व नेता के रूप में मानने लगी है दुनिया

आज दुनिया भारत की तरफ आशा भरी नजरों से देख रही है। ऊर्जा अंतरिक्ष कारोबार शिक्षा जैसे क्षेत्रों में इसकी बदल रही तस्वीर इसके साफ्टपावर की झलक दे रही है। इसके लिए निश्चय ही देश में सतत और मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 12:33 PM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 12:33 PM (IST)
भारत को एक वैश्विक शक्ति और मोदी को विश्व नेता के रूप में मानने लगी है दुनिया
सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं के एक सर्वे में मोदी को लगातार शीर्ष स्थान पर काबिज हैं

गोविन्द सिंह। यद्यपि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते 1991 के बाद सुधरने लगे थे। 2001 में राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा तक वे काफी मजबूत हो गए थे लेकिन मई 2014 से पहले नरेन्द्र मोदी को अमेरिका आने की इजाजत नहीं थी। सितंबर के आखिरी सप्ताह में प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा और 28 सितंबर को न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वायर की 19,000 की खचाखच भीड़ और 50 से अधिक सीनेटरों और संसद-प्रतिनिधियों व गवर्नरों की मौजूदगी में जब हाल मोदी-मोदी के नारों से गूंज उठा तो न्यूयार्क टाइम्स ने लिखा कि ‘एक नए विश्व राजनयिक और वैश्विक नेता’ के रूप में मोदी स्थापित हो गए हैं। आज दुनिया भारत को एक वैश्विक शक्ति और मोदी को विश्व नेता के रूप में मानने लगी है। सर्वाधिक लोकप्रिय नेताओं के एक सर्वे में मोदी को लगातार शीर्ष स्थान पर काबिज हैं।

हाल में कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिनसे इन दावों की पुष्टि होती है। हाल में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की भविष्यवाणी आई है कि उत्तर-कोविड युग में दुनिया की अर्थव्यवस्था छह प्रतिशत की दर से बढ़ेगी जबकि भारत की अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की दर से कुलांचे भरेगी। विश्व आर्थिक मंच ने कहा है कि उत्तर-कोविड युग में वैश्विक अर्थव्यवस्था पश्चिम की बजाय एशिया की ओर मुड़ जायेगी, इसमें भारत और चीन की विशेष भूमिका होगी। जिस तरह से हाल के वर्षों में विश्व में भारत की स्वीकार्यता बढी है, और चीन की छवि में गिरावट आई है, उसमें भारत से दुनिया की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं। विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष बोर्ज ब्रेंडे का कहना है कि जिस तरह से भारत ने कोविड का सामना किया है, और मानवता के हित में काम किया है, उससे स्पष्ट होता है कि भारत ने दुनिया के हितों का सर्वाधिक ध्यान रखा है।

कोविड महामारी ने साबित किया है कि किसी आकस्मिक संकट के सामने दुनिया के तमाम उन्नत देश निस्सहाय-निरुपाय हो जाते हैं, जबकि भारत ने अपनी तमाम दिक्कतों के बाद संकट का बहादुरी से सामना किया। हालांकि कोविड की दूसरी लहर में भारत एक वक्त तो लड़खड़ा गया था, लेकिन जिस तरह से उसने दूसरी लहर पर विजय प्राप्त की, और जिस गति से 100 करोड़ पात्र लोगों को टीका लगाने में कामयाबी हासिल की, उसने दुनिया भर में भारत का कद ऊंचा उठा दिया। उन तमाम विशेषज्ञों और देशों की जुबान पर ताला लगा दिया जो महामारी की शुरुआत के समय यह आशंका जता रहे थे कि भारत की स्थिति बहुत भयावह होगी। भारत ने न सिर्फ अपने नागरिकों को टीके लगाने का अभियान चलाया, बल्कि 95 देशों को 6 करोड़ 63 लाख टीके भी दिए। इसे वैक्सीन मैत्री का नाम दिया गया। इनमें भारत के पड़ोसी देश तो हैं ही, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के तमाम गरीब देश भी शामिल हैं।

इस बीच हुए दो बड़े आयोजनों में भी भारत को दुनिया की एक साफ्टपावर के तौर पर मान्यता मिली। पहला आयोजन था ग्लासगो में हुई जी-20 देशों की शिखर बैठक। दुनिया के ज्यादातर देशों ने भारत के प्रस्तावों पर मुहर लगाई। इसके बाद जलवायु परिवर्तन पर हुए काप-26 में भारत ने पहल की कि दुनिया के तमाम देशों को धरती के भविष्य को बचाने के लिए नेट-जीरो यानी कार्बन उत्सर्जन शून्य करना होगा। भारत ने आगे बढ़ कर 2030 तक 40 प्रतिशत पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा पर निर्भरता बढाने का संकल्प लिया और 2070 तक पूरी तरह से नेट जीरो के लक्ष्य को प्राप्त करने की घोषणा की।

प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक सूर्य, एक विश्व और एक ग्रिड’ के जरिये दुनिया के तमाम देशों को जोड़ने की बात कही। भारत पहले ही राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू कर चुका है, जिसके तहत इलेक्ट्रोलिसिस प्रक्रिया के जरिये पानी के अवयवों को अलग-अलग करके ऊर्जा प्राप्त की जाती है। भारत हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में दुनिया की एक बड़ी ताकत बन सकता है और दुनिया को ऊर्जा निर्यात कर सकता है। भविष्य की जरूरत को देखते हुए देश तेजी से बढ़ रहा है।

भारत अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को भी निजी क्षेत्र के लिए खोलने की तैयारी में है। इसरो के अध्यक्ष के. सिवन के मुताबिक इससे भारत विश्व नेता बन जाएगा। भारत पहले ही अंतरिक्ष बाजार के क्षेत्र में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, निजी क्षेत्र के प्रवेश के बाद यह और भी तेजी से आगे बढेगा। यही नहीं, यदि भारत अपनी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ईमानदारी से लागू कर लेता है तो इतिहास फिर से खुद को दोहराएगा और शिक्षा के क्षेत्र में वह एक बार फिर से विश्व गुरु बन जाएगा।

(डीन, अकादमिक, भारतीय जन संचार संस्थान, नई दिल्ली)

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