विश्व हवा दिवस: NCR पर प्रदूषण की सर्वाधिक मार, देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में भिवाड़ी, नोएडा और दिल्ली टॉप पर
मार्च-अप्रैल-मई के दौरान देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में पहले तीन पायदान पर क्रमश भिवाड़ी सेक्टर 62 नोएडा और बवाना दिल्ली हैं। इन तीनों के औसत पीएम 2.5 का स्तर 109 से 120 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली एनसीआर में सर्दियों का पर्याय माना जाने वाला वायु प्रदूषण अब गर्मियों में भी तेजी से बढ़ रहा है। आलम यह है कि मार्च-अप्रैल और मई में एनसीआर देश का सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र रहा है। हैरत की बात यह है कि इस दौरान यहां आंशिक लाॅकडाउन भी बेअसर रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि नासूर बन रही वायु प्रदूषण की इस समस्या से दीर्घकालिक उपायों से ही निपटा जा सकता है।
देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में पहले तीन पायदान पर भिवाड़ी, नोएडा और दिल्ली
केंद्र सरकार के नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत एक ट्रैकर उपलब्ध है। इस ट्रैकर से ही डाटा संकलन और मूल्यांकन के जरिये प्रदूषण स्तर पर नजर बनाए रखना संभव हो पा रहा है। ट्रैकर का डाटा सोर्स केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) का कंटीन्यूअस एयर क्वालिटी मानिटरिंग (सीएएक्यूएमएस) डेशबोर्ड है। इसी डेशबोर्ड से यह तस्वीर सामने आई है कि मार्च-अप्रैल-मई के दौरान देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में पहले तीन पायदान पर क्रमश: भिवाड़ी, सेक्टर 62 नोएडा और बवाना दिल्ली हैं। इन तीनों के औसत पीएम 2.5 का स्तर 109 से 120 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है।
एनसीआर के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में सोनीपत पहले पायदान पर
इसी तरह एनसीआर के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में सोनीपत पहले पायदान पर है। यहां पर उक्त समयावधि के ही दौरान पीएम 10 का औसत स्तर 233 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है। दिल्ली के 10 सर्वाधिक प्रदूषित इलाकों में बवाना का नंबर पहला है। यहां पर पीएम 2.5 का औसत स्तर 109 प्रति क्यूबिक मीटर रहा है। वर्ष 2020 के विपरीत इन तीन माह में देश के कई प्रमुख शहरों में तो प्रदूषण का स्तर न केवल विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की निर्धारित सीमा बल्कि सीपीसीबी की निर्धारित सीमा से भी ऊपर रहा है।
वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए देश भर में सरकारी प्रयास आवश्यक
सेंटर फार पालिसी रिसर्च दिल्ली के फेलो डाॅ संतोष हरीश कहते हैं, हम वायु प्रदूषण के बारे में तभी बात करते हैं जब यह सर्दियों के दौरान उत्तर भारत में जहरीले स्तर तक पहुंच जाता है, लेकिन पांच में चार भारतीय साल भर प्रदूषण के खतरनाक स्तर के संपर्क में रहते हैं। राष्ट्रीय मानकों से अधिक वायु प्रदूषण के स्तर के नियमित जोखिम को कम करने के लिए पूरे वर्ष और देश भर में निरंतर सरकारी प्रयासों की आवश्यकता है।
वायु प्रदूषण मौसमी समस्या नहीं, दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फार रिसर्च ऑन क्लीन एयर (सीईआरसीए) व आइआइटी दिल्ली के समन्वयक डाॅ सग्निक डे प्रदूषण स्तर की लगातार निगरानी और इसे कम करने की प्लानिंग पर जोर देते हुए कहते हैं कि वायु प्रदूषण एक मौसमी समस्या नहीं है। इसलिए इसे कम करने के लिए दीर्घकालिक योजना की आवश्यकता है। समस्याओं को प्राथमिकता देना, समय सीमा और संसाधनों की पहचान करना तथा जवाबदेही तय करना महत्वपूर्ण है। हमें परिवहन, उद्योग और कई अन्य स्त्रोतों से उत्सर्जन को भी प्राथमिकता देने और उसे कम करने की आवश्यकता है।
देश के 10 सर्वाधिक प्रदूषित शहर और उनके पीएम 2.5 का औसत स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर)
1. रिको औद्योगिक क्षेत्र, भिवाड़ी - 120
2. सेक्टर 62, नोएडा - 113
3. बवाना दिल्ली - 109
4. विंध्याचल, सिंगरौली - 106
5. मुंडका दिल्ली - 104
6. मथुरा रोड दिल्ली - 104
7. लोनी गाजियाबाद - 103
8. तालकटोरा डिस्ट्रिक्ट इंडस्ट्रियल सेंटर, लखनऊ - 103
9. आइटीओ दिल्ली - 100
10. एनएसआइटी द्वारका दिल्ली - 99
दिल्ली के 10 सर्वाधिक प्रदूषित इलाके और उनके पीएम 2.5 का औसत स्तर (माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर)
1. बवाना - 109
2. मुंडका - 104
3. मथुरा रोड - 104
4. आइटीओ - 100
5. एनएसआइटी द्वारका - 99
6. नरेला - 92
7. डीटीयू - 92
8. जहांगीर पुरी - 92
9. आनंद विहार - 90
10. नार्थ कैंपस - 86