महिलाओं को मिलेगी भूमिगत खदानों में नौकरी की अनुमति
खान अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के मुताबिक किसी महिला को भूमिगत खदान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता। इसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए केंद्र सरकार उन्हें भूमिगत खदानों में नौकरी करने की छूट देने जा रही है। इसके लिए खान नियमों में संशोधन किया जाएगा। अभी भूमिगत खदानों में महिलाओं को रोजगार देने पर कानूनन पाबंदी है।
खान अधिनियम, 1952 के प्रावधानों के मुताबिक किसी महिला को भूमिगत खदान में नौकरी पर नहीं रखा जा सकता। इसका उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है। अधिनियम के छठे अनुच्छेद के नियम 46 के अनुसार किसी भी महिला को भूमिगत खदान में कार्य के लिए नहीं रखा जा सकता। केवल खुली (ओपेनकास्ट) खदानों में महिलाओं को नौकरी पर रखा जा सकता है। लेकिन उसमें भी उनकी ड्यूटी सुबह छह बजे से शाम सात बजे के बीच अर्थात दिन में होनी चाहिए। रात्रिकालीन ड्यूटी वर्जित है।
सरकार का मानना है कि ये कानून और इसके नियम काफी पुराने हैं और अब नई परिस्थितियों के अंतर्गत इनमें संशोधन की आवश्यकता है। वैसे भी मौजूदा कानून के तहत महिलाओं के भूमिगत खदानों में खनन संबंधी अध्ययन और प्रशिक्षण के उद्देश्य से जाने पर कोई रोक नहीं है। खनन क्षेत्र की पढ़ाई और प्रशिक्षण में महिला और पुरुष के बीच कोई भेदभाव नहीं होता है। खनन प्रौद्योगिकी में अंडरग्रेजुएट, पीजी करने वाली अनेक छात्राएं हर साल विभिन्न भूमिगत कोयला खदानों का दौरा करती हैं। लेकिन कोई महिला खान के भीतर मजदूरी या सुपरवाइजरी का कार्य नहीं कर सकती। सरकार का कहना है कि जब महिलाओं के टैक्सी, ट्रेन चलाने और विमान उड़ाने पर कोई पाबंदी नहीं है तो भूमिगत खदान में काम करने पर रोक क्यों।
दरअसल, भूमिगत खदानों में महिलाओं पर रोक मुख्यतया उनकी सुरक्षा के मद्देनजर लगाई गई थी। खदान में काम करने वाली कुछ महिलाओं के साथ हुई यौन उत्पीड़न की घटनाओं के बाद यह प्रावधान किया गया था। लेकिन सरकार का मानना है कि कानून-व्यवस्था से जुड़ी इस तरह की इक्का-दुक्का घटनाएं किसी भी पेशे में संभव हैं। लेकिन पुख्ता इंतजामों, त्वरित कार्रवाई और कड़े दंड के जरिए इन पर अंकुश लगाया जा सकता है। खदान में कार्य करने वाली महिलाएं समाज से अलग नहीं हैं। योग्यता, आवश्यकता और इच्छा के बावजूद उन्हें भूमिगत खदानों में काम करने का मौका न देना उनके साथ अन्याय है। इस अन्याय और भेदभाव को दूर करने के लिए नियमों में संशोधन किया जाएगा। इस संबंध में जल्द ही अधिसूचना जारी होने वाली है।