कोरोना वैक्सीन से ग्रामीणों का कथित डर महिलाओं ने किया दूर, पहले खुद लगवाई, अब कर रहीं प्रेरित

समूहों से जुड़ीं इन महिलाओं ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि गांवों में कोराना वैक्सीन के प्रति लोगों के भ्रम दूर करेंगी। स्वयं उदाहरण बनकर ग्रामीणों की समझाइश देने का यह असर हुआ कि 16 ग्राम पंचायतों में एक माह के भीतर 5500 लोगों ने वैक्सीन लगवा ली।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 06:09 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:09 PM (IST)
कोरोना वैक्सीन से ग्रामीणों का कथित डर महिलाओं ने किया दूर, पहले खुद लगवाई, अब कर रहीं प्रेरित
महिलाओं के जागरूकता अभियान से टीकाकरण में हुई वृद्धि

गुनेश्वर सहारे, बालाघाट। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल बालाघाट जिले में कोरोना वैक्सीन को लेकर ग्रामीण सहज नहीं थे। तमाम अफवाहों की वजह से उससे दूरी बनाए हुए थे। ऐसे में आजीविका मिशन के 250 स्व सहायता समूह की 1300 महिलाओं ने मोर्चा संभाला। पहले खुद वैक्सीन लगवाई फिर इनमें से कई महिलाओं ने लोगों को प्रेरित करने का काम शुरू किया।

कहानी परसवाड़ा तहसील की 16 ग्राम पंचायतों की है। समूहों से जुड़ीं इन महिलाओं ने दृढ़ निश्चय कर लिया था कि गांवों में कोराना वैक्सीन के प्रति लोगों के भ्रम दूर करेंगी। स्वयं उदाहरण बनकर ग्रामीणों की समझाइश देने का यह असर हुआ कि 16 ग्राम पंचायतों में एक माह के भीतर 5500 लोगों ने वैक्सीन लगवा ली। वहीं तहसील की शेष 41 ग्राम पंचायतों में 11085 लोग ही टीका लगवा पाए हैं।

महिलाओं ने चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक करने का काम 15 मई से शुरू किया था। रोज सुबह दस बजे से अपराह्न चार बजे तक गांव-गांव में यह काम चलता रहता है। स्व सहायता समूह से जुड़ीं रोशनी सिंगोर, गीता ठाकरे, अनिता राहंगडाले, कविता चौहान, उमा चौहान, तनुश्री बिसेन और विमला ठाकरे के नेतृत्व में यह काम जारी है।

संगम महिला आजीविका संकुल स्तरीय संगठन की अध्यक्ष कुंता चौधरी के मुताबिक समूह की महिलाओं ने पहले खुद वैक्सीन लगवाई ताकि अन्य लोग प्रेरित हो।

मध्य प्रदेश के राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन परसवाड़ा के ब्लॉक प्रबंधक संदीप चौरसिया ने बताया कि स्व सहायता समूह की महिलाएं करीब एक माह से रोजाना करीब छह घंटे गांव में चौपाल लगाकर वैक्सीन के फायदे लोगों तक पहुंचा रही है। लोग जागरूक हो रहे हैं और टीकाकरण में भी तेजी आ रही है। 

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