कितना खुशनसीब हूं कि इस मुल्क का मुसलमान हूं-सुनकर क्यों भावुक हुए अमिताभ बच्चन

इससे पहले सदी के महानायक बिग बी हनुमान चालीसा को अपनी आवाज दे चुके हैं।

By Brij Bihari ChoubeyEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 12:53 PM (IST) Updated:Wed, 26 Sep 2018 07:13 PM (IST)
कितना खुशनसीब हूं कि इस मुल्क का मुसलमान हूं-सुनकर क्यों भावुक हुए अमिताभ बच्चन
कितना खुशनसीब हूं कि इस मुल्क का मुसलमान हूं-सुनकर क्यों भावुक हुए अमिताभ बच्चन

नई दिल्ली (जेएनएन)। कौन बनेगा करोड़पति यानी केबीसी के 10वें संस्करण को होस्ट कर रहे सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के सामने मंगलवार की रात को हॉट सीट पर बैठे मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के फैज मोहम्मद खान ने उनसे एक ऐसा अनुरोध किया जिसकी शायद बिग बी ने भी कल्पना नहीं की होगी। इस प्रतियोगिता से 12.50 लाख रुपये जीतने वाले फैज ने बच्चन साहब से गुजारिश की कि जैसे उन्होंने हनुमान चालीसा को अपनी आवाज दी है, वैसे ही वे नर्मदा अष्टक यानी मां नर्मदा की आरती को भी रिकॉर्ड करवाएं।

दरअसल, फैज जब होशंगाबाद से केबीसी में भाग लेने आ रहे थे तो उनके दोस्तों ने उन्हें नर्मदा अष्टक भेंट करते हुए कहा था कि वे बिग बी से इसे अपनी आवाज देने का आग्रह जरूर करेंगे। उन्होंने वैसा किया भी और अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर पिछले कई दशकों से राज कर रहे अमिताभ बच्चन ने अपने व्यवहार से भी सबको कायल कर दिया। उन्होंने बड़ी विनम्रता से कहा कि वे इसे रिकॉर्ड कराने की कोशिश जरूर करेंगे। इसी दौरान बिग बी ने यह भी बताया कि मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धिविनायक मंदिर में उन्होंने गणेश वंदना को भी गाया ह।

वैसे तो केबीसी के दौरान बिग बी प्रतियोगियों से काफी दिलचस्प बातचीत करते हैं, लेकिन कुछ-कुछ प्रतिभागी अपनी अलग छाप छोड़ जाते हैं। होशंगाबाद के फैज भी उनमें से एक हैं। फैज के नाना शायर थे और भोपाल की रियासत में मुंशी के पद पर तैनात थे। उनसे उनकी मां और मां से उन्होंने शायरी करना सीखी। फिलहाल वे किसी उस्ताद की तलाश में है। खास बात यह रही कि फैज की एक शायरी ने इस देश की गंगा-जमुनी तहजीब की याद ताजा कर दी। बिग बी ने कहा भी कि जब तक फैज जैसे नौजवान है इस देश की संस्कृति को कोई खतरा नहीं है। फैज के जिस शेर ने सबका ध्यान खींचा वह कुछ यूं हैः

"वक्त बेवक्त अपनी वफादारी का इम्तेहान हूं मैं, 

दोस्तों में यारों में यारी का इम्तेहान हूं मैं. 

नमाज की, रोजे की, अजान की पहचान हूं, 

और कितना खुशनसीब हूं कि इस मुल्क का मुसलमान हूं...

मैंने अशफाक उल्ला से वतन पर मरना सीखा, 

मौलाना कलाम से वतन के लिए कुछ करना सीखा. 

और मेजर उस्मान की तरह हर हाल में वतन पर कुर्बान हूं, 

कितना खुशनसीब हूं कि इस मुल्क का मुसलमान हूं."

पेशे से टीचर फैज ने साढ़े 12 लाख जीतने के बाद गेम छोड़ दिया। 25 लाख रुपये के लिए अगला सवाल था कि किस संस्था को तीन बार नोबेल पुरस्कार मिला है। गेम छोड़ने के बाद फैज ने जो जवाब दिया वह बिल्कुल सही था। बता दें कि रेड क्रॉस संस्था को तीन बार नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया है। कार्यक्रम के दौरान फैज ने बताया कि वे गरीब बच्चों के लिए एक संस्थान खोलना चाहते हैं ताकि उन्हें भविष्य की जिंदगी की राह दिखा सकें।

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