Border Disputes in Northeastern States: आखिर असम-मिजोरम सीमा पर क्यों हुआ फसाद, जानें इस विवाद की बड़ी वजहें
बड़ा सवाल यह है कि उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच सीमा को लेकर तनाव क्यों बढ़ जाता है। आखिर क्या हैं संवैधानिक और ऐतिहासिक पहलू। संवैधानिक और ऐतिहासिक सीमा को लेकर अलग-अलग समझ होने के चलते अक्सर ये राज्य आमने-सामने आ जाते हैं।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत और चीन के मध्य सीमा पर तनाव बने रहने के बीच भारत के दो उत्तर पूर्वी राज्यों असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद फिर भड़क उठा है। असम और मिजोरम के बीच तनाव इस हद तक बढ़ गया कि केंद्र सरकार को दखल करना पड़ा। हालात, फिलहाल काबू में बताए जा रहे हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच सीमा को लेकर तनाव क्यों बढ़ जाता है। आखिर इस विवाद के क्या हैं संवैधानिक और ऐतिहासिक पहलू। दरअसल, असम और मिजोरम के बीच सीमा निर्धारित नहीं है। संवैधानिक और ऐतिहासिक सीमा को लेकर अलग-अलग समझ होने के चलते अक्सर ये राज्य आमने-सामने आ जाते हैं। असम संवैधानिक सीमा के पालन की वकालत करता है, जबकि असम से कटकर अलग हुए दूसरे राज्य नगालैंड, मेघालय, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश ऐतिहासिक सीमाओं पर जोर देते हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवाद
1824-26 के एंग्लो-बर्मी युद्ध में असम को जीतकर ब्रिटिश अधिकारियों ने पहली बार पूर्वोत्तर भारत में प्रवेश किया था। युद्ध के बाद इस क्षेत्र को ब्रिटिश सरकार के नियंत्रण में लाया गया और वर्ष 1873 में ब्रिटिश सरकार ने बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन अधिनियम के रूप में अपनी पहली प्रशासनिक नीति लागू की। ब्रिटिश सरकार के मुताबिक इस अधिनियम का उद्देश्य इस क्षेत्र में स्वदेशी जनजातियों की संस्कृति और पहचान को सुरक्षित करना था। ब्रिटिश सरकार इस अधिनियम के माध्यम से पूर्वोत्तर के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रही थी। ब्रिटिश शासन ने इसी अधिनियम के माध्यम से ‘इनर लाइन परमिट’ की व्यवस्था की थी।
सीमा को लेकर उत्तर पूर्वी राज्यों कई बार हुए बवाल
उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच सीमा विवाद का मामला काफी पुराना है। अगस्त, 2014 में असम के गोलाघाट जिले के उरियमघाट में नगालैंड सीमा पर भी जबरदस्त तनाव हुआ था। इसमें 11 से अधिक लोग मारे गए थे। घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत के चलते हजारों लोग अपना घर छोड़कर सुरक्षित जगह निकल गए थे। नगा हिल्स 1957 तक अविभाजित असम का हिस्सा थी। 1993 में नगालैंड को अलग राज्य का दर्जा मिलने के बाद क्षेत्रीय विवाद शुरू हुआ था। 1971 से विवादित इलाकों में केंद्रीय बल तैनात है। केंद्र ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिए केवीके सुंदरम कमिशन गठित किया था, लेकिन पैनल की रिपोर्ट नगालैंड को मंजूर नहीं थी। इसके बाद असम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। दोनों राज्यों के बीच विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बाउंड्री कमिशन का गठन हुआ जो कि इस दिशा में काम कर रही है।