जिधर का सोचा, उधर ही चल पड़ेगी व्हील चेयर, जानें कैसे आइआइटी विशेषज्ञों ने किया बड़ा बदलाव
जिधर की ओर चलने की सोचा व्हील चेयर उधर ही चल पड़ी। गड्ढा खतरा व अन्य किसी अवरोध पर रुकने-चलने का निर्णय भी स्वयं ले सकेगी। व्हील चेयर में ये क्रांतिकारी परिवर्तन किया है आइआइटी के विशेषज्ञों ने।
शशांक शेखर भारद्वाज, कानपुर। जिधर की ओर चलने की सोचा, व्हील चेयर उधर ही चल पड़ी। गड्ढा, खतरा व अन्य किसी अवरोध पर रुकने-चलने का निर्णय भी स्वयं ले सकेगी। व्हील चेयर में ये क्रांतिकारी परिवर्तन किया है आइआइटी के विशेषज्ञों ने। उन्होंने मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और कई तरह के सेंसरयुक्त व्हील चेयर बनाई है। ये लिडार, सेंसर और थ्रीडी कैमरे से लैस है। इसे इलेक्ट्रोड्स के हेलमेट से जोड़ा गया है। यह हेलमेट व्हील चेयर सवार को पहनना अनिवार्य है। हेलमेट की मदद से ये दिमाग से जुड़कर सोचने पर मूव करती है। यह दिव्यांग और अन्य तरह की न्यूरो की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बहुत काम की है। यह बैट्री से संचालित होगी। इसमें रिजनरेटिंग ब्रेक लगा हुआ है, जो कि बैट्री को चार्ज भी करते हैं। इस तकनीक के पेटेंट की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
एक बार में 20 किमी का सफर
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एमटेक छात्र अशोक कुमार चौधरी ने प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा के निर्देशन में व्हील चेयर डिजाइन की है। यह एक बार चार्ज होने पर 20 किमी तक का सफर तय कर सकती है। अधिकतम क्षमता 100 किग्रा निर्धारित की गई है। वजन को अधिक बढ़ाया भी जा सकता है। अशोक ने बताया कि यूएसए, स्वीडन और चीन ऐसी व्हील चेयर बना चुके हैं, लेकिन उनके रेट 10 गुणा अधिक हैं। इस व्हील चेयर की लागत एक से डेढ़ लाख रुपये के बीच आई है। अधिक संख्या में बनाने पर कीमत और कम हो जाएगी।
ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक पर काम
प्रो. बेहरा ने बताया कि यह व्हील चेयर ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस तकनीक पर काम करती है, जिसमें सोचते ही व्हील चेयर निर्देश मानने लगती है। इलेक्ट्रोड युक्त हेलमेट दिमाग के न्यूरांस से सिग्नल लेकर व्हील चेयर में लगे टेबलेट को भेजता है। यह प्रक्रिया वाई फाई या ब्लू टूथ के माध्यम से हो सकती है। टेबलेट व्हील चेयर के नेविगेशन कमांड सिस्टम से कनेक्ट रहता है। यह सिस्टम व्हील चेयर से लगे हुए लिडार सेंसर और थ्रीडी कैमरे से जुड़ा रहता है। सभी सिस्टम मिलकर व्हील चेयर को संचालित करने में मदद करते हैं। टेबलेट में चूज योर डेस्टिनी का विकल्प रहेगा, जिसमें बोलकर या टाइप किया जा सकता है। व्हील चेयर अपने आप वहां तक पहुंच जाएगी।
दूसरे चरण में आवाज से हो सकेगी संचालित
छात्र आशीष ने बताया कि व्हील चेयर के दूसरे चरण में यह आवाज की तकनीक पर काम करेगी। इसको बोलकर संचालित किया जा सकेगा। अभी का माडल घर के अंदर या परिसर के लिए मुफीद है, जबकि दूसरे चरण की व्हील चेयर भीड़भाड़ वाली जगह के लिए तैयार की जाएगी।
क्या है लिडार सेंसर, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग
लिडार सेंसर : लिडार अथवा लेसर अवरक्त रेडार सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी है जो दूरी के मापन के लिए लक्ष्य पर लेसर प्रकाश भेजता है और परावर्तित प्रकाश का विश्लेषण करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग
हम जैसा सोचते हैं, वह हमारी बुद्धिमत्ता है। हमारे जैसा ही मशीन भी सोचे ये आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) है। मशीन लर्निंग (मशीन का पढऩा) वह सिस्टम है कि जैसे हम गूगल पर कार सर्च करना चाहते हैं तो कार शब्द डालते हैं और कई कारों की पूरी जानकारी आ जाती है।