मौसम की तल्खी से झुलस सकते हैं किसानों के अरमान, जानिए किन फसलों पर पड़ सकता है बुरा प्रभाव
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम का तेवर हफ्ते भर भी बरकरार रहा तो देर से बोई गई रबी फसलों को क्षति हो सकती है। 15 दिसंबर के बाद लगी गेहूं की फसल में अभी बाली निकलने और दाने पुष्ट होने की ही प्रक्रिया चल रही है।
जागरण टीम, नई दिल्ली। समय से पहले तापमान में तेजी से खेतों में खड़ी रबी की फसलों पर खतरा पैदा हो गया है। बिहार और मध्य प्रदेश में गेहूं और दलहन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा है और कम उत्पादन की आशंका जताई जा रही है। पंजाब में मौसम के बदले मिजाज का असर अभी तो नहीं दिख रहा है, लेकिन राज्य के कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च में तापमान ज्यादा रहने पर उत्पादन कम होने की आशंका रहती है।
बिहार में शुरू में मौसम अनुकूल होने से किसान रबी फसलों के बेहतर उत्पादन को लेकर आश्वस्त थे। राज्य सरकार ने इस बार 65 लाख मीट्रिक टन से अधिक गेहूं का उत्पादन होने का अनुमान लगाया था। मगर एकाएक तापमान में आई तेजी ने उम्मीदों को झटका दे दिया। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि मौसम का तेवर हफ्ते भर भी बरकरार रहा तो देर से बोई गई रबी फसलों को क्षति हो सकती है। 15 दिसंबर के बाद लगी गेहूं की फसल में अभी बाली निकलने और दाने पुष्ट होने की ही प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में फसलों की उत्पादकता पर 20 से 25 फीसद तक असर पड़ सकता है। उनके दाने छोटे रह सकते हैं। हालांकि अगात बोई गई फसलों को कोई नुकसान नहीं होगा। राहत की बात यह है कि अभी रात के तापमान में ज्यादा उछाल नहीं है और हवा का रुख भी पुरवइया है। अगर पश्चिम की ओर से हवा चलने लगेगी तो नुकसान बढ़ सकता है।
मध्य प्रदेश में पहले ही पक गई फसल
मध्य प्रदेश में इस बार गेहूं और चने की फसल जलवायु के विपरीत प्रभाव (फोर्स मेच्युरिटी) का शिकार हो गई है। गेहूं और चने का दाना कमजोर है। जिस तरह नौ महीने के पहले जन्म लेने वाले बच्चा प्री-मेच्योर और कमजोर माना जाता है, उसी तरह फसल चक्र पूरा होने के पहले ही फसल पकने की वजह से दाना कमजोर हो गया है।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर के प्रभारी कुलपति आरके सोहाने ने बताया कि रबी फसलों पर तीन तरफा खतरा हो सकता है। पहला तापमान में तेजी, दूसरा हवा का रुख और तीसरा लाही का असर। चार-पांच दिनों में तापमान में चार से पांच डिग्री तक इजाफा हो गया है। हवा अभी पुरवइया चल रही है। फिर भी पांच से दस फीसद तक फसलों को क्षति पहुंच सकती है।
मार्च में तापमान ज्यादा होने पर कम उत्पादन की आशंका
पंजाब के लुधियाना से कृषि विशेषज्ञ डॉ गुरदीप सिंह ने बताया कि मार्च में तापमान ज्यादा होने पर कम उत्पादन की आशंका रहती है, लेकिन अभी तापमान उतना नहीं बढ़ा है कि फसल को नुकसान पहुंचे।
भोपाल के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक रतनदीप सोनी ने कहा कि गर्मी बढ़ने से पत्तियों से पानी का उत्सर्जन तेजी से होता है। इससे खेतों में नमी भी कम हो जाती है। नमी कम होने से नाइट्रोजन और फास्फोरस का अवशोषण रुक जाता है। इसके चलते फसल के दाने का पूरा विकास नहीं हो पाता। ज्यादा दिनों तक सामान्य से अधिक तापमान रहे तो पैदावार कम होती है।