कोरोना वायरस के संक्रमण से मुकाबले के लिए 'हर्ड इम्युनिटी' की तरफ बढ़ता देश

विशेषज्ञों के अनुसार यदि कोरोना वायरस को सीमित रूप से फैलने का मौका दिया जाए तो इससे सामाजिक स्तर पर कोविड-19 को लेकर एक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 12 May 2020 10:18 AM (IST) Updated:Tue, 12 May 2020 03:58 PM (IST)
कोरोना वायरस के संक्रमण से मुकाबले के लिए 'हर्ड इम्युनिटी' की तरफ बढ़ता देश
कोरोना वायरस के संक्रमण से मुकाबले के लिए 'हर्ड इम्युनिटी' की तरफ बढ़ता देश

नई दिल्ली। लॉकडाउन 3 में कई तरह की गतिविधियों को छूट दी गई है। इसके बाद भी कुछ कदम आगे बढ़ते हुए 12 मई से सरकार रेल सेवाओं को फिर से शुरू करने जा रही है। दिल्ली में पार्क खोले जा रहे हैं। इससे यह सवाल उठ रहा है कि सरकार कहीं देश को हर्ड इम्युनिटी के लिए तैयार तो नहीं कर रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और महामारी से निपटने के लिए उपाय सुझाने वाले विद्वानों का एक वर्ग मानता है कि कोरोना वायरस से मुकाबले के लिए देश के पास इकलौता हथियार हर्ड इम्युनिटी है।

क्या है हर्ड इम्युनिटी : हर्ड इम्युनिटी का हिंदी में अनुवाद सामूहिक रोग प्रतिरोधक क्षमता है। वैसे हर्ड का शाब्दिक अनुवाद झुंड होता है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि कोरोना वायरस को सीमित रूप से फैलने का मौका दिया जाए तो इससे सामाजिक स्तर पर कोविड-19 को लेकर एक रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी।

लॉकडाउन न होता तो ज्यादा बुरी स्थिति : इन आंकड़ों से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि लॉकडाउन असफल रहा है। यदि लॉकडाउन नहीं होता तो भारत इससे भी बुरी स्थिति में होता। डीम्ड यूनिवर्सिटी इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन साइंसेज (आइआइपीएस) का अध्ययन बताता है कि कोविड-19 भारत में 30 लाख संक्रमितों की संख्या के साथ समाप्त हो सकता है। वहीं यदि लॉकडाउन नहीं लगाया जाता तो यह संख्या बढ़कर 1.71 करोड़ होती। यह बताता है कि लॉकडाउन भारत के लिए आवश्यक रणनीति थी। यद्यपि यह समाधान नहीं है। लॉकडाउन के दौरान मामलों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। हालांकि इस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने अपनी क्षमताओं में काफी इजाफा किया है।

जबरदस्त सरकारी तैयारियां : भारत ने कोविड-19 रोगियों के लिए करीब 1.35 लाख अस्पताल बैड, आइसीयू ऑक्सीजन सहायता के साथ अलग रखे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार अभी तक सिर्फ 1.5 फीसद का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा शेष कोविड-19 मरीज आइसोलेशन सेंटर्स में हैं। करीब 6.5 लाख आइसोलेशन बैड की व्यवस्था की गई है। देश में सिर्फ 1.1% मरीजों को वेंटीलेटर और अतिरिक्त 3.3% को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होती है। वहीं 5 फीसद से कम को आइसीयू की जरूरत पड़ती है।

जापान का उदाहरण सामने : कोविड-19 से निपटने की सबसे अच्छी रणनीति का उदाहरण जापान है। तुलनात्मक जनसंख्या घनत्व में जापान और भारत (336 और 384) ने लॉकडाउन किया। हालांकि जापान ने अपने प्रांतों में लॉकडाउन के दौरान प्रतिबंधों में ज्यादा छूट दी। यह कोविड-19 संक्रमितों की संख्या को 16 हजार से कम रखने में कामयाब रहा है। भारत में अपेक्षाकृत सख्त लॉकडाउन है। 24 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के समय तक कई राज्य पहले ही लॉकडाउन की घोषणा कर चुके थे। उस वक्त भारत में 600 से भी कम मामले थे। वहीं लॉकडाउन का पहला चरण पूरा होने के तक भारत में 12 हजार से कुछ मामले सामने आ चुके थे। वहीं दूसरे चरण के आखिर तक यह आंकड़ा 40 हजार को पार कर चुका था। वहीं कोरोना वायरस के तीसरे चरण के पहले सप्ताह में भारत में करीब 27 हजार नए मामले सामने आ चुके हैं।

मानदंडों में बदलाव : सरकार ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए कहा है कि हल्के और मध्यम लक्षण वाले रोगियों को अस्पताल से छुट्टी के लिए जांच कराने की आवश्यकता नहीं है। पूर्व में कोरोना वायरस मरीज को डिस्चार्ज स्लिप हासिल करने के लिए 24 घंटे के अलावा लगातार दो नमूनों का नकारात्मक आना जरूरी था। हालांकि यह निर्णय देश में जांच किट की कमी से भी जुड़ा हुआ माना जा रहा है। वहीं गंभीर मामलों में कोरोना वायरस के लिए जांच नकारात्मक आने के बाद छुट्टी दी जा सकती है। यदि तीन दिनों तक बुखार नहीं पाया जाता है तो इन मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की तारीख के बजाय लक्षण पाए जाने के 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जा सकता है। इससे पहले किसी को भी छुट्टी नहीं दी जाती थी। जब तक की डॉक्टर परीक्षण नमूनों के आधार पर आश्वस्त नहीं हो जाते थे।

संशोधित मानदंडों के अनुसार, छुट्टी पाने के बाद 7 दिन आइसोलेशन/ क्वारंटाइन में रहना जरूरी है। वहीं पहले यह 14 दिन के लिए जरूरी था। हालांकि इसमें यह जोखिम भी है कि डिस्चार्ज किए गए रोगियों द्वारा कोरोना वायरस नए व्यक्तियों में में फैल सकता है। रोजाना कई रोगी ठीक हो रहे हैं, ऐसे में यह रणनीति हर्ड इम्युनिटी को बढ़ा रही है।

सरकारी कदमों से मिलते हर्ड इम्युनिटी के संकेत : दिल्ली में 25 मार्च से पार्क बंद कर दिए गए थे। जिन्हें अब खोलने की अनुमति दी जा रही है। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही कह चुके हैं कि लोगों को कोरोना वायरस के साथ जीना सीखना होगा। वहीं सबसे बड़ा संकेत सरकार द्वारा सतर्कता से ट्रेन सेवाओं को बहाल करने का फैसला है। दिल्ली को देश के 15 बड़े शहरों से जोडऩे वाली ट्रेनों को तीसरे चरण के पूरा होने से पहले ही शुरू कर दिया जाएगा। सोमवार को श्रमिक विशेष रेलों के दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है। जिसमें कहा गया है कि अब ट्रेन अपनी पूरी बर्थ क्षमता के अनुसार चल सकती है और तीन स्टेशनों पर रुक सकती है। हालांकि पहले यह एक बार चलने के बाद गंतव्य स्टेशन पर ही रुकती थी।

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