मध्य प्रदेश में हवाओं का रुख तय करता है मौसम का मिजाज, पहाड़ी पर होती भविष्यवाणी

आधुनिक दौर में मौसम का मिजाज जानने के लिए उपग्रह से लेकर तमाम उपकरणों का सहारा लिया जाता है लेकिन मध्यप्रदेश के विदिशा जिले में किसान आज भी भारत की पुरातन संस्कृति पर भरोसा करते हैं। पढ़ें पूरी खबर।

By Pooja SinghEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 12:53 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 05:35 PM (IST)
मध्य प्रदेश में हवाओं का रुख तय करता है मौसम का मिजाज, पहाड़ी पर होती भविष्यवाणी
मध्य प्रदेश में हवाओं का रुख तय करता है मौसम का मिजाज, पहाड़ी पर होती भविष्यवाणी

राजेंद्र शर्मा, विदिशा। आधुनिक दौर में मौसम का मिजाज जानने के लिए उपग्रह से लेकर तमाम उपकरणों का सहारा लिया जाता है लेकिन, मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में किसान आज भी भारत की पुरातन संस्कृति पर भरोसा करते हैं। यहां हर गुरु पूणिर्मा पर हवाओं के रुख से आने वाले मौसम की भविष्यवाणी की जाती है। जिले में पिछले 80 वर्षो से यह परंपरा चल रही है। इस बार रूठे मानसून और मौसम विभाग की सही न होती भविष्यवाणियों के बीच किसानों की उम्मीदें गुरुपूर्णिमा पर होने वाली भविष्यवाणी पर टिकी हैं।

विदिशा शहर के मध्य में स्थित करीब 100 फिट ऊंची लुहांगी की पहाड़ी पर शहर के धर्माधिकारी रहे परिवार की तीसरी पीढ़ी आज भी हर साल गुरुपूर्णिमा पर शाम के समय वायु परीक्षण की पंरपरा को निभा रही है। वराह मिहिर पद्धति से गणना कर अच्छी या सामान्य बारिश तथा उपज की पैदावार की भविष्यवाणी की जाती है। किसानों को भी बेसब्री से इसका इंतजार रहता है।

हालांकि, मौसम विज्ञानी इस भविष्यवाणी को विज्ञान सम्मत नीं मानते हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि यह भविष्यवाणी सटीक बैठती है, इसलिए वे इस पर भरोसा करते हैं। तीन पीढ़ियों से एक ही परिवार कर रहा वायु परीक्षण:इस वायु परीक्षण की शुरुआत करीब 80 साल पहले संस्कृत के प्रकांड विद्वान और धर्माधिकारी की उपाधि प्राप्त पंडित उमाशंकर शास्त्री ने की थी।

तब से यही परिवार वायु परीक्षण करता आ रहा है। तीसरी पीढ़ी के रूप में पंडित ब्रजराज चतुर्वेदी यह परंपरा निभा रहे हैं। इस पद्धति को कायम रखने के लिए वह संस्कृत पाठशाला के बटुकों को भी साथ रखते हैं ताकि प्राचीन संस्कृति कायम रह सके।

प्राचीन पद्धति पर भरोसा कायम

जिले के किसानों का इस प्राचीन पद्धति पर आज भी भरोसा कायम है। विदिशा तहसील के ग्राम जल्हरी के किसान शैलेंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि मौसम को लेकर यह भविष्यवाणी सटीक बैठती है। पिछले 30 वर्ष से इसी के आधार पर खेती की तैयारी करते हैं। उन्हें हर साल इस भविष्यवाणी का इंतजार रहता है। वहीं, ग्राम रावण के किसान बालमुकुंद तिवारी का कहना था कि इस पर अविश्वास का कोई कारण नहीं है। यह वैदिक ज्ञान पर आधारित भविष्यवाणी होती है। अब तक मौसम का मिजाज परखने में यह पद्धति गलत साबित नहीं हुई है। पिछले वर्ष खण्ड वर्षा की भविष्यवाणी की थी, जो सही सिद्ध हुई है।

प्रामाणिक होती है भविष्यवाणी

करीब 80 साल पहले दादाजी पंडित उमाशंकर शास्त्री ने इसकी शुरूआत की थी। उनके निधन के बाद पिता स्व. गोविंदप्रसाद शास्त्री लगातार वायु परीक्षण कर भविष्यवाणी करते रहे। वर्तमान में पिछले 36 साल से मैं स्वयं वायु परीक्षण कर भविष्यवाणी करता हूं। वैदिक शास्त्रों के आधार पर यह पूर्णत: प्रामाणिक होती है। पंडित बृजराज चतुर्वेदी, विदिशा ने यहां जानकारी दी।

सनातन ज्ञान पर आधारित है भविष्यवाणी

इसका वैदिक ग्रंथो में तो उल्लेख मिलता है लेकिन वर्तमान शिक्षा पद्धति में कहीं जिक्र नहीं होता, इससे इस पद्धति को खारिज नहीं किया जा सकता। भविष्यवाणी की सत्यता तो किसान ही बता सकते हैं। डा. एसएस तोमर, मौसम विज्ञानी, कृषि विज्ञान केंद्र, सीहोर ने यह जानकारी दी।

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