खान मार्केट से आया केंद्रीय मंत्री के घर वैक्स कोटेड सेब, कम था वजन, जानिए फिर क्या हुआ...

केंद्रीय मंत्री के घर दिल्ली के हाई प्रोफाइल खान मार्केट से जो सेब आया था उसपर काफी मात्रा में वैक्स लगा था ताकि वह ज्यादा ताजा दिखे।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Wed, 18 Sep 2019 10:12 PM (IST) Updated:Wed, 18 Sep 2019 10:12 PM (IST)
खान मार्केट से आया केंद्रीय मंत्री के घर वैक्स कोटेड सेब, कम था वजन, जानिए फिर क्या हुआ...
खान मार्केट से आया केंद्रीय मंत्री के घर वैक्स कोटेड सेब, कम था वजन, जानिए फिर क्या हुआ...

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान के घर आए वैक्स कोटेड सेब की जांच शुरु हो गई है। संबंधित विभागों ने अपनी जांच के साथ कार्रवाई शुरू कर दी है। जबकि सेब के ऊपर वैक्स लगाने की जांच का काम स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया गया है। मंत्रालय के लीगल मेट्रोलॉजी विभाग ने इसके लिए सेब का सैंपल फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसआई) के पास भेज दिया है।

हाई प्रोफाइल खान मार्केट से आया सेब

दरअसल पासवान के घर दिल्ली के हाई प्रोफाइल खान मार्केट से जो सेब आया था उसपर काफी मात्रा में वैक्स लगा था ताकि वह ज्यादा ताजा दिखे। पासवान ने इसकी शिकायत की थी। उपभोक्ता मंत्रालय खुद उनके ही पास है। बताते हैं कि लीगल मेट्रोलॉजी विभाग मंगलवार को ही सक्रिय हो गया था। खान मार्केट की संबंधित फल की दुकान पर छापा मारकर उसके बाट व माप की जांच की गई। बताया जा रहा है कि खरीदा गया सेब भी निर्धारित वजन से कम पाया गया और इसके लिए दुकान मालिक को चालान काट दिया गया है।

संबंधित विभागों को सौंपा गया मामला

केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री पासवान के कार्यालय के अफसरों ने बताया कि इस मामले को संबंधित विभागों को सौंप दिया गया है। एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट के साथ कार्रवाई का ब्यौरा दाखिल करने को कहा गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय से संबद्ध एफएसएसएआई सेब के उपर लगाये गये वैक्स की क्वालिटी के साथ मात्रा भी जांचेगा।

सिर्फ तीन तरह का वैक्स की अनुमति

एफएसएसएआई के एक अधिकारी ने बताया कि आमतौर पर आयात होने वाले फलों पर वैक्स लगा होता है, जो खाने की कटेगरी वाला होना चाहिए। जो नियम है उसके तहत सिर्फ तीन तरह का वैक्स लगाया जा सकता है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता है। सामान्यतया सिर्फ एक से दो बूंद वैक्स ही लगाए जाते हैं। ये वैक्स जैविक तरीके से तैयार होते हैं जिसमें मधुमक्खी के छत्ते से भी वैक्स तैयार किया जाता है। यह जरूरी है कि वैक्स कोटेड फल पर लेबल लगाकर इसकी जानकारी दी जाए। पासवान के घर जो सेब आया था उस पर कोई लेबल भी नहीं था।

धड़ल्ले में वैक्स लगे फलों की बिक्री 

लेकिन हैरानी इस बात की है कि देश में धड़ल्ले में वैक्स लगे फलों की बिक्री होती है, जिसकी कोई जांच नहीं होती है। दरअसल, देश में खाद्य संरक्षा और मानक प्राधिकरण के साथ लीगल मेट्रोलॉजी विभाग राज्यों के स्तर पर कारगर तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के हार्टिकल्चर पोस्ट हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी सेंटर के निदेशक डाक्टर आरके सिंह का कहना है कि आमतौर पर विकसित देशों में वैक्सिंग तकनीक बेझिझक अपनाई जाती है। निर्यात किये जाने वाले फलों पर अनिवार्य रूप से वैक्स कोटिंग की जाती है। लेकिन उन्होंने एक सवाल के जवाब में सचेत किया कि घरेलू बाजारों में सब्जियां और फलों को चमकाने के लिए पेट्रोलियम लुब्रिकेंट्स लगाये जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। इस पर फूड सेफ्टी विभाग को सख्ती बरतनी चाहिए।

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