विंदेश्वरी मंदिर, जहां 30 साल से है अनुसूचित जाति की महिला पुजारी, सर्वसमाज को एकजुटता की डोर में है बांधे

विंदेश्वरी माता मंदिर अनुसूचित जाति के परिवार ने बनवाया था। पुजारी पार्वती बताती हैं कि मंदिर की स्थापना के पीछे मकसद सर्वसमाज को जोड़ना था। उनका मायका बांदा में है। करीब 40 साल पहले उनकी शादी कस्बा के सुरेश के साथ हुई थी।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 10:40 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 10:40 PM (IST)
विंदेश्वरी मंदिर, जहां 30 साल से है अनुसूचित जाति की महिला पुजारी, सर्वसमाज को एकजुटता की डोर में है बांधे
विंदेश्वरी माता मंदिर अनुसूचित जाति के परिवार ने बनवाया था

मोहम्मद शफीक, महोबा। ज्यादातर मंदिरों में पुजारी का काम पुरुष ही देखते हैं, लेकिन चरखारी स्थित देवी मंदिर में इससे इतर व्यवस्था है। यहां करीब 150 साल पुराने विंदेश्वरी (विंध्यवासिनी) मंदिर में पूजन का काम अनुसूचित जाति की महिला पुजारी पार्वती देख रहीं हैं। मंदिर उनके ससुराल पक्ष के पूर्वजों ने बनवाया था। उनसे पहले मंदिर में पूजन का काम उनके ससुर के जिम्मे था। फिलहाल, 30 साल से पार्वती ही यहां पूजन का जिम्मा संभाले हुए हैं। सर्वसमाज के लोग मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं।

विंदेश्वरी माता मंदिर अनुसूचित जाति के परिवार ने बनवाया था। पुजारी पार्वती बताती हैं कि मंदिर की स्थापना के पीछे मकसद सर्वसमाज को जोड़ना था। उनका मायका बांदा में है। करीब 40 साल पहले उनकी शादी कस्बा के सुरेश के साथ हुई थी। शादी के समय ससुर सुखलाल मंदिर की पूजा व्यवस्था संभालते थे। उनका निधन होने पर परिवार से इतर व्यक्ति को पुजारी नियुक्त किया गया था। इस दौरान वह स्वयं भी बीमार हो गईं। ससुराल के लोग उन्हें देवी मंदिर ले गए। स्वस्थ होने पर अपनी अंतरात्मा की आवाज पर उन्होंने मंदिर में पूजन का काम संभाल लिया।

परिवार से मिला सहयोग 

पार्वती कहती हैं कि उनके पति और स्वजन का उन्हें इस काम में भरपूर सहयोग मिला। उनके पति किराना की दुकान संभालते हैं। बड़ा बेटा जीतेंद्र 2011 में पुलिस में भर्ती हो गया था। दूसरा बेटा भूपेंद्र अभी पढ़ाई कर रहा है।

हर सोमवार को लगता दरबार

पूरे साल हर सोमवार को मंदिर में माता का दरबार लगता है। इसमें दूसरे जिले के लोग भी मन्नत मांगने और चढ़ावा चढ़ाने पहुंचते हैं। नवरात्र के दौरान विशेष भीड़ रहती है। इस बार कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या कम रही।

क्या कहते हैं लोग

स्थानीय निवासी इमामी लश्गरी ने कहा कि परिवार में कोई शादी-विवाह मुंडन कार्यक्रम होता है तो विंदेश्वरी मंदिर में पूजन को आते हैं, क्षेत्र के लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी है।

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