एस-400 की खरीद पर अमेरिका ने भारत से जताई नाराजगी, रूस से सौदे को बताया खतरनाक

अमेरिका शुरू से ही रूस से एस-400 (S-400) खरीदने के भारत के फैसले के खिलाफ है। हालांकि इस बात के पूरे संकेत हैं कि एस-400 का मुद्दा भारत व अमेरिका के रिश्तों में कोई खास तनाव नहीं घोलेगा।

By Manish PandeyEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 09:37 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 09:37 AM (IST)
एस-400 की खरीद पर अमेरिका ने भारत से जताई नाराजगी, रूस से सौदे को बताया खतरनाक
अमेरिका ने किसी भी देश के लिए एस-400 की खरीद को बताया खतरनाक।

नई दिल्ली, ब्यूरो। रूस से एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 ( S-400 missile systems) खरीदने के मुद्दे पर अमेरिका ने एक बार फिर अपनी शिकायत भारत के समक्ष दर्ज करवाई है। भारत के दौरे पर आई अमेरिका की उप विदेश मंत्री वेंडी शरमन ने इस मुद्दे को बुधवार को भारत के विदेश सचिव हषर्ष श्रृंगला के साथ द्विपक्षीय बैठक में उठाया। वैसे तो इस वार्ता में तमाम द्विपक्षीय मुद्दों पर बात हुई, लेकिन एस-400 की खरीद पर अमेरिका के रवैये ने भारत की चिंता बढ़ा दी है।

भारत रूस से इस हथियार प्रणाली को खरीदने की प्रक्रिया के अंतिम चरण में है और माना जा रहा है कि कुछ महीनों के भीतर इसकी पहली खेप भारत पहुंच जाएगी। एक दिन पहले ही भारतीय वायु सेना के नए प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने कहा था कि एस-400 की आपूर्ति समय पर होगी।

शरमन ने भारतीय मीडिया के साथ एक बैठक में कहा कि किसी भी देश के लिए एस-400 की खरीद काफी खतरनाक है और इससे किसी का भी हित नहीं होने वाला है। इस बारे में जब भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों से पूछा गया तो उनका जवाब था, 'एस-400 की खरीद का मुद्दा दोनों देशों के बीच हुई बैठक में निश्चित तौर पर उठा है और हम आगे भी इस पर बात करने को सहमत हैं। लेकिन इस पर अमेरिका की कितनी आपत्ति है, यह स्पष्ट नहीं है।'

अमेरिका शुरू से ही रूस से एस-400 खरीदने के भारत के फैसले के खिलाफ है। हालांकि इस बात के पूरे संकेत हैं कि एस-400 का मुद्दा भारत व अमेरिका के रिश्तों में कोई खास तनाव नहीं घोलेगा। शरमन ने बताया कि पीएम मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की पहली मुलाकात काफी अच्छी रही है। उन्होंने भारत को अमेरिका के एक ऐसे साझेदार की संज्ञा दी जिसे अलग नहीं किया जा सकता।

बातचीत में अफगानिस्तान व पाकिस्तान के मुद्दों पर भी विमर्श हुआ। शरमन ने तालिबान को मान्यता देने के मुद्दे पर साफ कहा कि अमेरिका अभी इस विचार से काफी दूर है। भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान को सत्ता दिलाने व आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में बताया। शरमन भारत की यात्रा के बाद पाकिस्तान जाने वाली हैं। भारत ने चीन से सीमा विवाद के मौजूदा हालात के बारे में भी जानकारी दी।

शरमन और श्रृंगला के बीच हुई बैठक दोनों देशों के बीच होने वाली अन्य बैठकों की शुरुआत है। सूत्रों ने बताया कि इस हफ्ते रक्षा सचिव अमेरिका जा रहे हैं, जबकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अगले हफ्ते अमेरिका जाने वाली हैं। दोनों देशों के बीच कारोबारी वार्ता के लिए अमेरिका के उच्चस्तरीय दल पहले से ही भारत में हैं। इसके अलावा अंतरिक्ष व उच्च तकनीकी में सहयोग पर एक अन्य बैठक होने वाली है। आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों के बीच गठित समन्वय समिति की भी जल्द बैठक होने वाली है।

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