केंद्रीय मंत्री ने कहा- एंफोटेरिसिन-बी दवा की कोई कमी नहीं, देश में ब्लैक फंगस के 27,142 सक्रिय मामले

केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश में ब्लैक फंगस से होने वाले संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली एंफोटेरिसिन-बी दवा की कोई कमी नहीं और जरूरत पड़ने पर उसकी उपलब्धता बढ़ाई जाएगी। देश में ब्लैक फंगस से संक्रमण के 27142 सक्रिय मामले हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 01:15 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 01:15 AM (IST)
केंद्रीय मंत्री ने कहा- एंफोटेरिसिन-बी दवा की कोई कमी नहीं, देश में ब्लैक फंगस के 27,142 सक्रिय मामले
16 जून तक देश में ब्लैक फंगस से संक्रमण के 27,142 सक्रिय मामले

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि देश में ब्लैक फंगस से होने वाले संक्रमण के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली एंफोटेरिसिन-बी दवा की कोई कमी नहीं और जरूरत पड़ने पर उसकी उपलब्धता बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में ब्लैक फंगस से संक्रमण के 27,142 सक्रिय मामले हैं।

16 जून तक देश में ब्लैक फंगस से संक्रमण के 27,142 सक्रिय मामले

मांडविया ने ट्वीट कर कहा कि 16 जून तक देश में म्यूकोरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस के कुल 27,142 एक्टिव मामले थे। अगर भविष्य में इसके मामले बढ़ते हैं तो एंफोटेरिसिन-बी समेत अन्य दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा- एंफोटेरिसिन-बी के घरेलू उत्पादन में पांच गुना वृद्धि

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने कहा कि एंफोटेरिसिन-बी के घरेलू उत्पादन में भी पांच गुना वृद्धि हुई है। अप्रैल में लिपोसोमल एंफोटेरिसिन-बी का उत्पादन जहां 62,000 वायल था, इसके जून में बढ़कर 3.75 लाख वायल से भी ज्यादा होने का अनुमान है।

कोविशील्ड की पहली डोज लेने के दूसरे और तीसरे महीने ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है

एस्ट्राजेनेका के मुख्य खोजकर्ता ने कोविशील्ड की दो डोज के बीच अंतराल को बढ़ाकर 12-16 हफ्ते किए जाने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि पहली डोज लेने के दूसरे और तीसरे महीने यह ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है।

ब्रिटेन और भारत की टीकाकरण नीति की तुलना नहीं की जानी चाहिए

एक वेबसाइट के साथ बातचीत में प्रोफेसर एंड्र्यू पोलार्ड ने कहा कि ब्रिटेन और भारत की टीकाकरण नीति की तुलना नहीं की जानी चाहिए। भारत के मौजूदा हालात के मद्देनजर ज्यादा से ज्यादा लोगों को टीके की कम से कम एक डोज देने की नीति सही है। भारत में लगाई जा रही कोविश्लीड वैक्सीन एस्ट्राजेनेका और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ही विकसित की है।

एक डोज बेहतर, लेकिन प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए दूसरी डोज जरूरी: पोलार्ड

आक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के निदेशक और प्रमुख विज्ञानी पोलार्ड ने कहा कि भारत में ऐसे समय में ज्यादातर लोगों को टीके की एक डोज भी नहीं लगी है, जब डेल्टा वैरिएंट तेजी से फैल रहा है। पोलार्ड ने यह भी कहा कि सिंगल डोज वैक्सीन पर एस्ट्राजेनेका काम नहीं कर रही है। एक डोज बेहतर हो सकती है, लेकिन प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए दूसरी डोज जरूरी है।

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