महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और पंजाब के कोरोना प्रभावित जिलों में नियमों का पालन नहीं, केंद्र ने दिए ये सुझाव
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने महाराष्ट्र पंजाब और छत्तीसगढ़ को पत्र लिखकर वहां कोविड-19 की जांच अस्पतालों के बुनियादी ढांचे स्वास्थ्य सेवा कार्यबल और टीकाकरण के संबंध में आई रिपोर्ट पर सुधारात्मक उपाय करने को कहा है।
नई दिल्ली, एजेंसियां। नई दिल्ली, एजेंसियां। केंद्र सरकार ने कहा है कि महाराष्ट्र, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह से प्रभावित 50 से ज्यादा जिलों में महामारी से बचाव के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। इन राज्यों के दौरे पर गई केंद्रीय टीमों ने सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। इसे गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर इन राज्यों को वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है।
स्वास्थ्यकर्मियों की कमी पर जताई चिंता
केंद्रीय दलों से मिली जानकारी के आधार पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन राज्यों को पत्र लिखा और ज्यादा संक्रमित मामलों वाले क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन बनाने और संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की पहचान करने में बरती जा रही लापरवाही का उल्लेख करते हुए तीनों राज्यों से वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है। केंद्र सरकार ने कम जांच और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी को लेकर भी चिंता जताई है।
स्टाक की उपलब्धता पर दिया जोर
इन 50 जिलों में पंजाब के 30, छत्तीसगढ़ के 11 और पंजाब के नौ जिले शामिल हैं। राज्यों को भेजे पत्र में स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि केंद्र ने टीकों की उपलब्धता के मुद्दों पर भी गौर किया है। स्टाक की उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।
टीकाकरण को गति देने के लिए दिए सुझाव
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि टीम की तरफ से मिली जानकारी के आधार पर जांच, अस्पताल की सुविधाओं और टीकाकरण को गति देने के लिए कुछ सुधारात्मक कार्रवाई करने के सुझाव दिए गए हैं।
मानकों के पालन में कमी
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य सचिव को भेजे पत्र में भूषण ने कहा है कि राज्य के सतारा, सांगली और औरंगाबाद जिलों में कंटेनमेंट जोन के मानकों के पालन में कमी देखी गई है। वायरस को नियंत्रित करने के लिए जरूरी उपाय नहीं किए गए और इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के मामलों पर सक्रिय तरीके से निगरानी नहीं रखी गई।
जरूरी कदम उठाने के निर्देश
इन जिलों के साथ ही बुलढाणा, नांदेड़ में स्टाफ की कमी के चलते संक्रमितों के संपर्क में आने वाले लोगों की पहचान करने और निगरानी रखने में कोताही हुई। इसी तरह भूषण ने छत्तीसगढ़ और पंजाब के स्वास्थ्य सचिवों को भेजे पत्र में कमियों का उल्लेख किया और उन्हें दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाने का सुझाव दिया है।
राजेश टोपे ने वैक्सीन की कमी का उठाया था मुद्दा
गौर करने वाली बात है कि ये तीनों ही राज्य गैर भाजपा शासित है। हाल ही में महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने राज्य में कोरोना रोधी वैक्सीन का सीमित स्टाक होने का हवाला दिया था। बीते बुधवार को उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के ज्यादातर टीकाकरण केंद्रों पर वैक्सीन की पर्याप्त खुराकें नहीं हैं। टोपे ने यह भी कहा था कि अस्पतालों में बेड एवं आक्सीजन की भी बेहद कमी महसूस की जा रही है। इस पर केंद्र सरकार ने वैक्सीन के स्टाक की पर्याप्त मात्रा होने की बात कही थी।
सोनिया गांधी ने भी बोला था हमला
यही नहीं महाराष्ट्र के कई मंत्रियों और नेताओं ने भी राज्य में वैक्सीन की कमी की बात कही है और केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाया था। वैक्सीन के स्टॉक कम होने की शिकायतों पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी केंद्र सरकार पर हमला बोला था। उन्होंने इसके लिए कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा था कि पहले अपने नागरिकों को वैक्सीन दी जाए और उसके बाद ही दूसरे देशों को इसकी आपूर्ति की जाए। कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वर्चुअल बैठक में सोनिया गांधी ने कहा था कि सबसे पहले भारत में टीकाकरणपर ध्यान देना होगा।
केंद्र ने दिया था मदद का भरोसा
वहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शनिवार को कहा था कि महाराष्ट्र को अब तक कोरोना वैक्सीन की कुल 1.10 करोड़ डोज दी गई है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान और गुजरात को भी वैक्सीन की एक करोड़ से ज्यादा डोज दी गई है। केंद्रीय मंत्री ने भरोसा दिया था कि कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र को अगले तीन दिन के भीतर 1,100 और वेंटीलेटर मुहैया करा दिए जाएंगे। हालांकि वैक्सीन की कमी को लेकर हो रही राजनीति पर जावडेकर ने टिप्पणी करने से इन्कार करते हुए कहा था कि यह राजनीति का समय नहीं है।