यौन अपराध के मामलों पर त्वरित सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट पर जोर, 17 राज्यों में इन अदालतों ने शुरू किया कामकाज
केंद्र सरकार ने राज्यों से यौन अपराध के मामलों पर त्वरित सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट के संचालन पर एक फिर जोर दिया है। मौजूदा वक्त में 17 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने निर्धारित सभी विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट में कामकाज शुरू कर दिया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र सरकार ने राज्यों से यौन अपराध के मामलों पर त्वरित सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट के संचालन पर एक फिर जोर दिया है। दो वर्ष पहले गांधी जयंती के मौके इस तरह के मामलों के जल्द निपटारे के लिए केंद्र ने फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट स्थापित करने को मंजूरी दी थी। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु और नगालैंड सहित 17 राज्य ऐसे हैं जिन्होंने निर्धारित सभी विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट में कामकाज शुरू कर दिया है।
31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थापित होनी थी अदालतें
बता दें कि 2018 में आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम पारित होने के बाद 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 1,023 फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) स्थापित होने थे। इनमें से 389 अदालतें पाक्सो कानून के उल्लंघन से संबंधित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए थीं।
56,267 मामलों का निपटारा किया
27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 367 पाक्सो अदालतों सहित 674 एफटीएससी ने काम करना शुरू कर दिया है। कोरोना महामारी के चलते लागू लाकडाउन के बावजूद इस साल अगस्त तक इन अदालतों ने 56,267 मामलों का निपटारा किया।
सरकार ने राज्यों को फिर से पत्र भेजे
सूत्रों के अनुसार 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एफटीएससी के लिए अपनी सहमति दी है। बंगाल, जिसके लिए 123 ऐसी अदालतें निर्धारित की गई थीं उसने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है। जिन राज्यों ने इन कोर्ट को स्थापित करने की अनुमति नहीं दी, उन राज्यों को फिर से पत्र भेजे गए हैं।
यह है राज्यों में मौजूदा स्थिति
आंध्र प्रदेश ने ऐसी 18 में से नौ अदालतों का संचालन शुरू किया है। बिहार को 54 एफटीएससी निर्धारित की गई थीं, लेकिन अब तक 45 अदालतें ही शुरू हो पाई हैं। इसी तरह, 138 के कोटे के साथ महाराष्ट्र ने अब तक 33 ऐसी अदालतों का संचालन शुरू किया है।