सात अलग सरकारी कंपनियों में बंटेगा आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड, रक्षा उत्‍पादन के क्षेत्र में बड़ा कदम

केंद्रीय कैबिनेट ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित सुधार के लिए आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को पेशेवर मैनेजमेंट के साथ अलग-अलग सात सरकारी कंपनियों में बांटने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जानें सरकार के इस फैसले से क्‍या होगा लाभ...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 10:02 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 11:36 PM (IST)
सात अलग सरकारी कंपनियों में बंटेगा आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड, रक्षा उत्‍पादन के क्षेत्र में बड़ा कदम
केंद्रीय कैबिनेट ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित सुधार के लिए बड़ा फैसला लिया है।

संजय मिश्र, नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने रक्षा उत्पादन क्षेत्र के बहुप्रतीक्षित सुधार के लिए आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को पेशेवर मैनेजमेंट के साथ अलग-अलग सात सरकारी कंपनियों में बांटने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सरकार के इस बड़े कदम से रक्षा उत्पादन से जुड़ी इन नवगठित कंपनियों को अधिक स्वायत्तता मिलेगी जिससे इनकी कार्यक्षमता में सुधार होगा और जवाबदेही बढ़ेगी।

मंत्रियों का समूह अब लेगा फैसला 

आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड की उत्पादकता बढ़ाने और इसे लाभकारी बनाने के मकसद से इन सुधारों को मूर्त रूप दिया गया है ताकि इसकी विशेषज्ञता में इजाफा हो और यह ज्यादा प्रतिस्पर्धी बने। इस फैसले के सहज क्रियान्वयन के लिए सरकार ने कैबिनेट के अधिकार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अधीनस्थ अधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह को सौंपने का भी फैसला किया है। मंत्रियों का यह समूह ही कार्यान्वयन से संबंधित मामलों और अन्य प्रासंगिक मामलों पर अब निर्णय लेगा।

सात सरकारी कंपनियों का समूह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया कि आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड जो अभी तक रक्षा मंत्रालय के एक विभाग के रुप में काम कर रहा था अब उसके अधीनस्थ सात सरकारी कंपनियों का समूह होगा। ओएफबी की कार्यप्रणाली में बदलाव और सुधार के लिए बीते दो दशक से लगातार अध्ययन किया जा रहा था और इसके लिए गठित कई उच्चस्तरीय समितियों ने इसके कामकाज में सुधार की सिफारिशें की थीं।

सरकार ने उठाया यह कदम 

रक्षा मंत्रालय ने इसके अनुरूप ही आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड को कंपनियों के रूप में तब्दील किया है ताकि इन्हें सशस्त्र सेनाओं की रक्षा तैयारियों के लिए आत्मनिर्भरता के मुख्य आधार के रूप में स्थापति किया जा सके। सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि बोर्ड के मौजूदा केंद्र सरकार के कर्मचारियों की सेवा शर्तें सुरक्षित रहेंगी।

41 फैक्ट्रियों को किया जाएगा शामिल 

ओएफबी की सात अलग-अलग कंपनियों के अधीन 41 फैक्टि्रयों को शामिल किया जाएगा जिसमें आयुध और विस्फोटक समूह मुख्य रूप से गोला-बारूद और रिवाल्वर आदि के उत्पादन में लगे होंगे। इसका मकसद आयात पर निर्भरता कम करने के साथ निर्यात की संभावनाओं की ओर भी देखना होगा। वाहन समूह मुख्य रूप से रक्षा आवाजाही और लड़ाकू वाहन जैसे टैंक, ट्राल्स, बारूदी सुरंग रोधी वाहन आदि के उत्पादन के दायरे में रहेगा। सरकार को उम्मीद है कि यह कंपनी घरेलू बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाने के साथ विश्व बाजार में भी अपने लिए कारोबारी संभावनाओं की तलाश करेगा।

उत्पादकता में होगी बढ़ोतरी

हथियार व उपकरण समूह की कंपनी छोटे, मध्यम और बड़े कैलिबर गन्स का उत्पादन करेगी। निर्यात घटाने के साथ घरेलू रक्षा बाजार में उत्पादों की विविधता के जरिए अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने पर यह फोकस करेगी। ओएफबी से बनाई गई अन्य कंपनियों में ट्रुप्स कंफर्ट आइटम समूह, एंसिलियरी समूह, ओप्टो-इलेक्ट्रानिक्स समूह और पैराशूट समूह कंपनी है। सरकार को उम्मीद है कि इस पुनर्गठन से ओएफबी की उत्पादकता और प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी होगी और खर्च में भी गुणात्मक सुधार होगा।

स्‍पष्‍ट की प्रतिबद्धता 

ओएफबी में इस सुधार को लागू करने में सरकार ने इसके कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता स्पष्ट कर दी है। निर्णय लिया गया है कि उत्पादन यूनिट से संबंधित ओएफबी के सभी कर्मचारियों (ग्रुप ए, बी और सी) को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के रूप में उनकी सेवा शर्तो में बदलाव किए बिना शुरू में दो साल की अवधि के लिए स्वत: प्रतिनियुक्ति पर स्थानांतरित किया जाएगा। इतना ही नहीं सेवानिवृत्त और मौजूदा कर्मचारियों की पेंशन का बोझ सरकार वहन करती रहेगी।

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