समझ में आया पेड़ का महत्व तो बना दी नवजीवन फोर्स, बेटी का जन्म होने पर रोपते हैं 21 पौधे

मध्य प्रदेश विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की दूसरी बटालियन ग्वालियर में पदस्थ आरक्षक गिरीश शर्मा बताते हैं कि 2013 बैच के जवानों को 2018 में मुरैना जिले में कड़ी धूप में ड्यूटी करनी पड़ी थी। आसपास छांव के लिए कोई पेड़ नहीं था।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 08:39 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 10:10 PM (IST)
समझ में आया पेड़ का महत्व तो बना दी नवजीवन फोर्स, बेटी का जन्म होने पर रोपते हैं 21 पौधे
2200 पौधे और पेड़ बन दे रहे लोगों को राहत

अब्बास अहमद, भिंड। मध्य प्रदेश के कई जिलों में तैनात पुलिस आरक्षक एक अलग मायने में सूत्र वाक्य देशभक्ति-जनसेवा को चरितार्थ कर रहे हैं। इन्होंने 200 साथियों के साथ मिलकर नवजीवन सहायतार्थ फोर्स का गठन किया। यह समूह (फोर्स) ड्यूटी के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने के लिए भी काम कर रहा है। इसमें शामिल लोग अपने या दोस्त के यहां बेटी का जन्म होने पर 21 पौधे रोपते हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ बेटियों को भी मान मिलता है। अन्य अवसरों पर भी पौधे रोपे जाते हैं। 2018 से अब तक 24 सौ से ज्यादा पौधे रोपे गए हैं।

मध्य प्रदेश विशेष सशस्त्र बल (एसएएफ) की दूसरी बटालियन ग्वालियर में पदस्थ आरक्षक गिरीश शर्मा बताते हैं कि 2013 बैच के जवानों को 2018 में मुरैना जिले में कड़ी धूप में ड्यूटी करनी पड़ी थी। आसपास छांव के लिए कोई पेड़ नहीं था। इससे पेड़ों का महत्व समझ में आया। जब ये साथी ग्वालियर लौटे तो तय किया कि एक ऐसा समूह बनाया जाए जिसके माध्यम से पौधे रोपे जाएं। गिरीश कहते हैं, उन्हें और साथियों को मालूम था कि हाल-फिलहाल तो नहीं लेकिन कुछ वर्ष बाद ये पौधे पेड़ बनकर सुकून देंगे। इसी विचार के साथ नवजीवन सहायतार्थ फोर्स का गठन हुआ। इसमें 2013 बैच के प्रदेश भर के आरक्षक जुड़े। अब एक दर्जन से ज्यादा सब इंस्पेक्टर, वन विभाग के कर्मचारी और सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी जुड़ चुके हैं। समूह के माध्यम से किए जाने वाले कार्यो को सभी साथी इंटरनेट मीडिया पर अपलोड भी करते हैं। भुवनेश्वर, जयपुर और दूसरे शहरों के जवान भी जुड़ गए। ये लोग प्रशिक्षण के दौरान संपर्क में आए थे। ये भी अपने राज्यों में पौधे रोपने का कार्य कर रहे हैं।

समूह उठाता है पौधे रोपने का खर्च

गिरीश शर्मा ने बताया कि पौधे रोपने का खर्च समूह की ओर से दिया जाता है। जगह का चयन स्थानीय साथी करते हैं। किसी सदस्य के घर बेटी के जन्म लेने पर 21 पौधे रोपे जाते हैं। बेटे का जन्म होने पर भी 11 पौधे रोपे जाते हैं। अब इसका दायरा जन्मतिथि और छोटे-मोटे अन्य खुशी के अवसरों तक बढ़ गया है। समूह आपस में धन संग्रह कर एक फंड इसके लिए तैयार रखता है।

इन जिलों में सदस्य

फोर्स में जुड़े 200 जवान, सब इंस्पेक्टर, वनकर्मी और समाजसेवी मध्य प्रदेश के इंदौर, रीवा, रतलाम, भोपाल, भिंड, मुरैना, बालाघाट, राजगढ़ और ग्वालियर में रहते हैं। इन्ही स्थानों पर पौधारोपण करते हैं।

भिंड के चौधरी दिलीप सिंह कन्या महाविद्यालय के प्रोफेसर इकबाल अली ने बताया कि नवजीवन सहायतार्थ फोर्स पुलिस के जवानों की अनूठी पहल है। प्रकृति को बचाना सभी का कर्तव्य है। ये लोग अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं। भिंड के चंदूपुरा में ही इनके रोपे पौधे अब पेड़ बन चुके हैं।

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