Omicron Variant News: चिंता का सबब बनता ओमिक्रोन वैरिएंट, सामुदायिक सजगता ही हथियार
WHO द्वारा वैरिएंट आफ कंसर्न घोषित किया गया कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ‘ओमिक्रोन’ फिर से जीवन सहेजने के मोर्चे पर मुश्किलें खड़ी करता दिख रहा है। डेल्टा वैरिएंट जितना करीब 100 दिनों में फैला था ओमिक्रोन उतना 15 दिनों में ही फैल चुका है।
योगेश कुमार गोयल। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन (बी.1.1.529) ने फिर से चिंता का माहौल बना दिया है। यह बोत्सवाना में मिला है। कोरोना ने लाखों लोगों को अपना शिकार बनाने के अलावा लगभग सभी देशों की अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। इसी के कारण करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। आर्थिक विषमता की खाई बहुत चौड़ी हो गई है। अभी तक कोरोना की सबसे खतरनाक बात यही सामने आती रही है कि यह वायरस स्वयं को मानव शरीर के आटो इम्यून सिस्टम से बचाने के लिए बार-बार अपना रूप बदल लेता है।
वायरस में म्युटेशन के जरिये जितने ज्यादा वैरिएंट बनते हैं, वे उतने ही अधिक खतरनाक होते हैं। ऐसा ही ओमिक्रोन के मामले में भी देखा जा रहा है। इसके स्पाइक प्रोटीन में वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में अधिक परिवर्तन पाया गया है। स्पाइक में होने वाले बदलावों के कारण ही यह वैक्सीन को भी आसानी से चकमा देने में सक्षम है। यह वजह है कि ओमिक्रोन को लेकर दुनियाभर में दहशत का माहौल है।
ओमिक्रोन ग्रीक वर्णमाला का 15वां शब्द है। वैरिएंट का नाम विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ग्रीक वर्णमाला के शब्दों के अनुसार ही रखता है। इससे पहले कोरोना के कुल चार वैरिएंट्स अल्फा (बी.1.1.7), बीटा (बी.1.351), गामा (पी.1) तथा डेल्टा (बी.1.617.2) थे। ओमिक्रोन के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि यह हवा से भी फैल सकता है। इसीलिए चिंता का सबसे बड़ा कारण यही है कि ऐसे में शारीरिक दूरी जैसे नियम भी इस वैरिएंट से निपटने में फेल हो सकते हैं।
ओमिक्रोन को डेल्टा के मुकाबले बहुत ज्यादा खतरनाक इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि बड़ी तबाही लाने वाले डेल्टा वैरिएंट में जहां स्पाइक प्रोटीन में दो म्युटेशन हुए थे, वहीं ओमिक्रोन में अब तक 50 से ज्यादा म्युटेशन मिल चुके हैं, जिनमें से 32 म्युटेशन केवल इसके स्पाइक प्रोटीन में ही हुए हैं। एक ही वैरिएंट में इतने सारे म्यूटेंट का पाया जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि यह कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। माना जा रहा है कि ओमिक्रोन वैरिएंट किसी ऐसे एचआइवी या एड्स रोगी से विकसित हुआ है, जिसका इलाज नहीं हुआ हो।
कोरोना वायरस शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए स्पाइक प्रोटीन का ही सहारा लेता है। चूंकि नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में ही बहुत ज्यादा म्युटेशन हुए हैं इसीलिए संभावना व्यक्त की जा रही है कि यह कोरोना रोधी टीकों को बेअसर करने में सक्षम हो सकता है। इन धारणाओं को इसलिए भी बल मिलता है, क्योंकि नए वैरिएंट से संक्रमित कुछ ऐसे मरीज मिले हैं, जिनमें से कुछ ने वैक्सीन की पूरी डोज ले ली थी और कुछ ने तो बूस्टर डोज भी ली थी। डेल्टा वैरिएंट जितना करीब 100 दिनों में फैला था, ओमिक्रोन उतना 15 दिनों में ही फैल चुका है। अर्थात यह डेल्टा के मुकाबले करीब सात गुना तेजी से फैल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में यह वैरिएंट जिस प्रकार कहर बरपा रहा है और अन्य देशों में जिस तेजी से फैल रहा है, उसी के मद्देनजर डब्ल्यूएचओ द्वारा ओमिक्रोन को वैरिएंट आफ कंर्सन घोषित किया जा चुका है।
जिस प्रकार दुनियाभर में ओमिक्रोन के मामले बढ़ रहे हैं, ऐसे में भारत में भी इसके मामले बढ़ते हैं तो ये तीसरी लहर का बड़ा कारण बन सकते हैं। भारत ने लापरवाहियों के चलते कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तबाही का जो मंजर देखा है, ऐसे में अभी से ऐसे ठोस कदम उठाए जाने की सख्त जरूरत है, ताकि हालात फिर से भयावह न होने पाएं। दरअसल हमारे यहां कोरोना को लेकर लगभग सभी पाबंदियां अब केवल कागजों तक ही सीमित दिखती हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)