राज्य सरकारों के हलफनामे पर UGC की सुप्रीम कोर्ट में दलील, अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षाएं अहम
यूजीसी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विद्यार्थी के अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षा महत्वपूर्ण होती है। राज्य सरकारें यह नहीं कह सकती कि परीक्षा कराने संबंधी उसके निर्देश बाध्यकारी नह
नई दिल्ली, पीटीआइ। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विद्यार्थी के अकादमिक करियर में अंतिम परीक्षा महत्वपूर्ण होती है और राज्य सरकार यह नहीं कह सकती कि कोरोना के मद्देनजर 30 सितंबर तक विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से परीक्षा कराने को कहने वाले उसके छह जुलाई के निर्देश बाध्यकारी नहीं हैं। यूजीसी ने कहा कि छह जुलाई को उसके द्वारा जारी दिशा-निर्देश विशेषज्ञों की सिफारिश पर अधारित हैं और उचित विचार-विमर्श करके यह फैसला लिया गया है।
छात्रों के भविष्य को अपूरणीय क्षति होगी
आयोग ने कहा कि यह दावा गलत है कि दिशा-निर्देशों के अनुसार अंतिम परीक्षा कराना संभव नहीं है। पूर्व में महाराष्ट्र सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे पर जवाब देते हुए यूजीसी ने कहा कि एक ओर राज्य सरकार (महाराष्ट्र) कह रही है कि छात्रों के हित के लिए शैक्षणिक सत्र शुरू किया जाना चाहिए, वहीं दूसरी ओर अंतिम वर्ष की परीक्षा रद करने और बिना परीक्षा डिग्री देने की बात कर रही है। इससे छात्रों के भविष्य को अपूरणीय क्षति होगी। इसलिए यह साफ है कि राज्य सरकार के तर्क में दम नहीं है।
हलफनामे पर दाखिल किया जवाब
यूजीसी ने दिल्ली सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे पर भी अपना जवाब दाखिल किया। उल्लेखनीय है कि 10 अगस्त को यूजीसी ने कोरोना के चलते दिल्ली और महाराष्ट्र सरकारों द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों की परीक्षा रद करने के फैसले पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह नियमों के विपरीत है। महाराष्ट्र सरकार के हलफनामे का जवाब देते हुए यूजीसी ने कहा कि यह कहना पूरी तरह गलत है कि छह जुलाई को जारी उसके संशोधित दिशा-निर्देश राज्य सरकार और उसके विश्वविद्यालयों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं।
राज्य सरकारें आयोग के नियमों को नहीं बदल सकतीं
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने कहा कि दिशा-निर्देश में विश्वविद्यालयों या संस्थानों द्वारा अंतिम वर्ष की परीक्षा या अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा के लिए पर्याप्त ढील दी गई है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 10 अगस्त को शीर्ष अदालत से कहा कि राज्य सरकारें आयोग के नियमों को नहीं बदल सकती हैं, क्योंकि यूजीसी ही डिग्री देने के नियम तय करने के लिए अधिकृत है। मेहता ने कोर्ट को बताया कि करीब 800 विश्वविद्यालयों में 290 में परीक्षाएं हो चुकी हैं जबकि 390 परीक्षा कराने की प्रक्रिया में हैं।