केंद्र की सख्ती के बाद नए आइटी नियम मानने को ट्विटर तैयार, रविशंकर प्रसाद ने बोला जमकर हमला

केंद्र सरकार की ओर से नए आइटी नियमों को लेकर सख्ती के बाद ट्विटर(Twitter) नए नियमों को मानने को तैयार हो गया है। इसके बाद केंद्र सरकार में मंत्री रविशंकर प्रसाद(Ravi Shankar Prasad) ने ट्विटर पर हमला बोलते हुए जमकर खरी-खोटी सुनाई है।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 12:10 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 12:10 PM (IST)
केंद्र की सख्ती के बाद नए आइटी नियम मानने को ट्विटर तैयार, रविशंकर प्रसाद ने बोला जमकर हमला
रविशंकर प्रसाद(Ravi Shankar Prasad) का ट्विटर पर हमला।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्र की लगातार चेतावनी के बावजूद इंटरनेट मीडिया के नए नियमों का पालन नहीं करने वाला ट्विटर(Twitter) सरकार की सख्ती के बाद अब नियमों को मानने को तैयार हो गया है। इंटरनेट मीडिया के नए नियमों का पालन नहीं करने पर सरकार ने आईटी ऐक्ट के तहत प्राप्त सुरक्षा का अधिकार ट्विटर से वापस ले लिया है। इसका मतलब था कि किसी प्रकार की शिकायत मिलने पर ट्विटर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है। सरकार की इस बड़ी कार्रवाई के बाद ट्विटर नियमों को मानने को तैयार हो गया है। ट्विटर ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह नए नियमों को मानने के लिए तैयार है। पांच जून को सरकार ने नए नियमों का पालन के लिए अंतिम चेतावनी दी थी।

ट्विटर के तेवर नरम पड़ने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर पर जमकर हमला बोला है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर आईटी ऐक्ट के तहत प्राप्त सुरक्षा का अधिकार  का हकदार है। हालांकि, इस मामले में साधारण तथ्य ये है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए दिशानिर्देशों का पालन करने में विफल रहा है। इसके अलावा, ट्विटर को इसका अनुपालन करने के लिए कई अवसर दिए गए थे, हालांकि इसने जानबूझकर इसे लागू नहीं करने का रास्ता चुना।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की संस्कृति अपने बड़े भूगोल की तरह बदलती रहती है। कुछ परिदृश्यों में इंटरनेट मीडिया के प्रसार के साथ, यहां तक ​​कि एक छोटी सी चिंगारी भी आग का कारण बन सकती है, खासकर फेक न्यूज़ के खतरे के साथ। इसी उद्देश्य के साथ नए आइटी नियम लाए गए थे।

उन्होंने ट्विटर पर हमला बोलते हुए कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि ट्विटर जो खुद को स्वतंत्र भाषण के ध्वजवाहक के रूप में चित्रित करता है, जब वह मध्यस्थ दिशानिर्देशों की बात करता है तो जानबूझकर इसे नहीं मानने का रास्ता चुनता है। उन्होंने आगे कहा कि इसके अलावा, चौंकाने वाली बात यह है कि ट्विटर देश के कानून द्वारा अनिवार्य प्रक्रिया को स्थापित करने से इनकार करके यूजर्स की शिकायतों को दूर करने में विफल रहता है। इसके अलावा,वह मीडिया में हेरफेर करता है, केवल तभी जब वह उपयुक्त हो, उसकी पसंद और नापसंद के साथ।

ट्विटर पर आगे हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि यूपी में जो हुआ वह फर्जी खबरों से लड़ने में ट्विटर की मनमानी का उदाहरण था। जबकि ट्विटर अपने तथ्य जाँच तंत्र के बारे में अति उत्साही रहा है। वह यूपी जैसे कई मामलों में कार्रवाई करने में विफल रहा है जो गलत सूचना से लड़ने में इसकी विफलता को दिखाता है।

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियां चाहे वह फार्मा हों, आईटी या अन्य जो संयुक्त राज्य अमेरिका या अन्य विदेशी देशों में व्यापार करने जाती हैं, स्वेच्छा से स्थानीय कानूनों का पालन करती हैं। फिर ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म दुर्व्यवहार और दुरुपयोग के शिकार लोगों को आवाज देने के लिए बनाए गए भारतीय कानूनों का पालन करने में अनिच्छा क्यों दिखा रहे हैं?

उन्होंने कहा कि कानून का शासन भारतीय समाज की आधारशिला है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को जी7 शिखर सम्मेलन में फिर से दोहराया गया। हालाँकि, यदि कोई विदेशी संस्था यह मानती है कि वे भारत में स्वतंत्र भाषण के ध्वजवाहक के रूप में खुद को देश के कानून का पालन करने से क्षमा करने के लिए चित्रित कर सकते हैं, तो ऐसे प्रयास गलत हैं।

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