जल्द टीबी मुक्त होगा भारत, आजादी के समय बीमारियों से मौत का बड़ा कारण थी ये बीमारी

Tuberculosis News वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीबी मुक्त भारत अभियान का शुभारंभ किया था जिसमें 2025 तक टीबी के पूर्ण उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। इसका एकमात्र उद्देश्य भारत को टीबी मुक्त करना है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 04:07 PM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 04:07 PM (IST)
जल्द टीबी मुक्त होगा भारत, आजादी के समय बीमारियों से मौत का बड़ा कारण थी ये बीमारी
अब जल्द ही भारत होगा इसके संक्रमण से मुक्त...

नई दिल्‍ली, जेएनएन। आजादी के दौरान स्वास्थ्य समस्याओं में टीबी की बीमारी मौत का बड़ा कारण थी, लेकिन अब जल्द ही भारत होगा इसके संक्रमण से मुक्त... आजादी के समय स्वास्थ्य समस्याएं सबसे बड़ी चुनौती थीं। संक्रामक और जटिल बीमारियों की बाढ़ थी तो वहीं उपचार के संसाधन न के बराबर थे। टीबी की बीमारी से जनजीवन बेहाल था। टीबी का संक्रमण अमीर या गरीब सभी के लिए नासूर साबित हो रहा था। इसकी वजह थी कि न तो इसका पुख्ता इलाज था और न ही लोगों को इस संक्रमण से बचाव के बारे में समुचित जानकारी थी।

यदि घर का कोई सदस्य टीबी की बीमारी से ग्रसित होता था तो भयग्रस्त लोग उसके रहने की व्यवस्था घर से दूर कर देते थे। संक्रमित व्यक्ति को बगीचे या खेत में झोपड़ी बनाकर परिवार से अलग रखा जाता था और वहीं खाना-पानी आदि की व्यवस्था की जाती थी। माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली इस बीमारी से मौतों का आंकड़ा अन्य बीमारियों की तुलना में कहीं अधिक था जो संपन्न लोग थे, वे इसके उपचार के लिए विदेश का रुख करते थे। फिर भी यह निश्चित नहीं था कि संक्रमित व्यक्ति ठीक होकर वापस आएगा या नहीं। आजादी के करीब के वर्षों की बात करें तो आमजन के अतिरिक्त राजघरानों से लेकर राजनेता, अभिनेता, साहित्यकार आदि की बड़ी संख्या रही जो अल्पायु में ही इस बीमारी से चल बसे।

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और अब स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो चुकी हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इसके उपचार व उन्मूलन पर तेजी से काम कर रहा है। अगर समय पर इसके संक्रमण का पता चल जाए और उपचार में लापरवाही न बरती जाए तो हड्डी, लिवर, किडनी, आंत, स्पाइन, ब्रेन आदि किसी भी अंग की टीबी हो, इलाज पूरी तरह संभव है। अब संक्रमितों को नजदीकी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में पंजीकृत करके निश्शुल्क जांच व पूर्ण उपचार की सुविधा देने के साथ ही सरकार 500 रुपये की धनराशि बैंक खाते के माध्यम से पौष्टिक आहार के लिए प्रदान कर रही है। पहले इसकी जांच में समय लगता था, लेकिन अब स्वदेशी टूनेट मशीन के आ जाने से थोड़े समय में संक्रमण की जानकारी मिल जाती है।

सरकार की ओर से इसे नियंत्रित करने के लिए नेशनल ट्यूबरकुलोसिस इलिमिनेशन प्रोग्राम जैसी योजनाएं बड़े पैमाने पर चलाई जा रही हैं। टीबी की रोकथाम के लिए सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से टीबी उन्मूलन अभियान चलाया जा रहा है।

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