ट्रेन-18 गणतंत्र दिवस से पहले बनारस से दिल्ली चलाकर दिखाएगी

रेलवे बोर्ड के अधिकारी फिलहाल ट्रेन-18 की पहली यात्रा की तैयारियों के साथ फरवरी में होने वाले अंतरराष्ट्रीय हाईस्पीड सम्मेलन का इंतजार कर रहे हैं।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Fri, 18 Jan 2019 09:32 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jan 2019 09:32 PM (IST)
ट्रेन-18 गणतंत्र दिवस से पहले बनारस से दिल्ली चलाकर दिखाएगी
ट्रेन-18 गणतंत्र दिवस से पहले बनारस से दिल्ली चलाकर दिखाएगी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रेन-18 का निर्यात होगा। भारत की इस पहली सेमी-हाईस्पीड ट्रेन के प्रति विश्व के अनेक देशों ने गहरी रुचि दिखाई है। इनमें खाड़ी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के अलावा अमेरिका और यूरोप के विकसित देश शामिल हैं। इसे देखते हुए रेल मंत्रालय ट्रेन-18 के निर्यात योग्य विभिन्न विकल्प तैयार करने पर विचार कर रहा है।

रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ट्रेन-18 का अपने बूते निर्माण कर भारत ने हाई-स्पीड ट्रेनों के विशिष्ट समूह में जगह बना ली है। इससे भारतीय रेल का इंजीनियरिंग कौशल तो साबित हुआ ही है। साथ ही इस तथ्य की पुन: पुष्टि हुई है कि तकनीक के मामले में श्रेष्ठ किंतु किफायती विकल्प देने में भारत का कोई सानी नहीं है। इसी चीज ने ट्रेन-18 के प्रति विभिन्न देशों की उत्सुकता को बढ़ा दिया है और वे इसे भारत से आयात करने की इच्छा प्रकट कर रहे हैं।

इस विषय में पूछे जाने पर रेलवे बोर्ड के सदस्य-रोलिंग स्टॉक, राजेश अग्रवाल ने कहा, 'ट्रेन-18 हमारी नवीनतम उपलब्धि है। इसे हासिल करने में हमें मात्र 18 महीने का समय लगा। हमें खुशी के साथ गर्व है कि यह स्वदेशी उत्पाद विदेशों में इतनी उत्सुकता पैदा कर रहा है। रोलिंग स्टॉक का वैश्विक बाजार 200 अरब डालर का है और हम इसमें बड़ी हिस्सेदारी हासिल करना चाहते हैं। इसलिए अब हमारा एकमात्र उद्देश्य ट्रेन-18 को सफलतापूर्वक चलाना है।'

सूत्रों के मुताबिक यूरोप और अमेरिका में ट्रेन-18 जैसी ट्रेन तैयार करने में ढाई-तीन सौ करोड़ रुपये का खर्च आता है। जबकि भारत ने इसे मात्र सौ करोड़ रुपये में तैयार करके दिखा दिया है। चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार इस ट्रेन का जब भविष्य में उत्पादन बढ़ेगा तो लागत और कम होगी। इसी तरह थोड़ी सी अतिरिक्त लागत से हम ट्रेन को और अधिक सुविधासंपन्न बना सकते हैं। मसलन, पैंट्री के लिए अधिक जगह के साथ इसकी सारी सीटों में पुशबैक की सुविधा दी जा सकती है।

रेलवे बोर्ड के अधिकारी फिलहाल ट्रेन-18 की पहली यात्रा की तैयारियों के साथ फरवरी में होने वाले अंतरराष्ट्रीय हाईस्पीड सम्मेलन का इंतजार कर रहे हैं। जिसमें उन्हें इन ट्रेन की मार्केटिंग के साथ अपनी इंजीनियरिंग क्षमताओं का प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा। इसके लिए ट्रेन-18 को गणतंत्र दिवस से पहले बनारस-दिल्ली रूट पर चलाने के इंतजाम पुख्ता किए जा रहे हैं। मुख्य संरक्षा आयुक्त ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है। माना जाता है कि संचालन को वैश्विक स्वरूप देने के लिए ट्रेन-18 का उपयोग प्रवासी भारतीयों को इलाहाबाद से दिल्ली लाने में किया जाएगा।

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