मतांतरण रोकने को कर्नाटक में चर्च और पादिरयों का होगा सर्वे, जिलाधिकारियों को शिकायत पर केस दर्ज कराने के निर्देश
जबरन मतांतरण को लेकर कर्नाटक सरकार ने बड़ा कदम उठाया हैै। कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण संबंधी विधायी समिति ने जबरन मतांतरण की शिकायतों पर अधिकृत और अनधिकृत चर्च उनके पादरियों का सर्वे करने और मामले दर्ज करने का आदेश दिया है।
बेंगलुरु, पीटीआइ। कर्नाटक में पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण संबंधी विधायी समिति ने जबरन मतांतरण की शिकायतों पर अधिकृत और अनधिकृत चर्च, उनके पादरियों का सर्वे करने और मामले दर्ज करने का आदेश दिया है। समिति के एक सदस्य गुलिहट्टी शेखर ने शुक्रवार को बताया कि हमने जिला अधिकारियों से अधिकृत और अनधिकृत चर्च और पादरियों की संख्या के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
होसादुर्गा के भाजपा विधायक शेखर ने बुधवार को समिति के अध्यक्ष दिनकर केशव शेट्टी की अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता की थी। जिला अधिकारियों, विशेष रूप से यादगीर, चिद्रदुर्ग और विजयपुरा जिलों को निर्देश दिया गया था, जहां कथित तौर रूप से बड़े पैमाने पर मतांतरण होता है। भाजपा विधायक ने कहा कि हमने पुलिस को सर्वे के दौरान अधिकारियों के साथ जाने का भी निर्देश दिया है क्योंकि अधिकारियों पर कई बार भी हमले हुए हैं।
इसके साथ ही जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि जब भी मतांतरण की कोई शिकायत की जाए तो मामला जरूर दर्ज किया जाए। शेखर ने कहा कि अब तक धर्म परिवर्तन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वालों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था लेकिन हमने पुलिस से शिकायत मिलने पर मामला दर्ज करने और निष्पक्ष जांच करने को कहा है। बैठक का तीसरा बिंदु अनुसूचित जाति के उन लोगों को दोहरे लाभ से वंचित करना था जो ईसाई धर्म अपना चुके हैं।
शेखर ने कहा कि मतांतरण करने वाले अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक का दोहरा लाभ नहीं ले सकते हैं। ऐसे लोग केवल एक श्रेणी का ही लाभ ले सकेंगे। उन्होंने बोवी समुदाय की एक महिला का उदाहरण दिया, जो ईसाई बन गई हैं। उन्होंने अनुसूचित जाति के टिकट पर पंचायत चुनाव लड़ा, इसे जीता और पंचायत अध्यक्ष बनीं।
वह महिला अनुसूचित जाति के साथ-साथ अल्पसंख्यकों को मिलने वाली सुविधा का भी लाभ उठा रही है। शेखर ने समझाया कि इस चलन के कारण, वास्तविक अनुसूचित जाति के लोगों को लाभ नहीं मिल पाता। भाजपा विधायक ने यह भी दावा किया कि सामाजिक रूप से कमजोर वर्गों, विशेष रूप से बोवी और लमानी समुदायों के बीच मतांतरण बड़े पैमाने पर हुआ है।
कांग्रेस एमएलसी पीआर रमेश ने बैठक में कहा था कि संवैधानिक प्रविधान किसी को भी किसी भी धर्म को मानने या अपनी पसंद के धर्म को चुनने से प्रतिबंधित नहीं करते हैं। रमेश ने कहा कि मैंने सदस्यों से कहा कि अगर वे चाहते हैं कि यह प्रथा बंद हो, तो उन्हें पहले हिंदू धर्म को मजबूत करना चाहिए और संविधान में संशोधन भी लाना चाहिए।