पति की जान बचाने के लिए महिला ने पीएम केयर्स फंड के तहत आर्थिक मदद पाने के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

मध्य प्रदेश की रहने वाली एक महिला ने जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे पति के इलाज के लिए पीएम केयर्स फंड के तहत आर्थिक मदद पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इलाज में अब तक महिला ने 1.4 करोड़ खर्च कर दिए है।

By Avinash RaiEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 12:04 AM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 12:10 AM (IST)
पति की जान बचाने के लिए महिला ने पीएम केयर्स फंड के तहत आर्थिक मदद पाने के लिए खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा
पति के इलाज में 1.4 करोड़ खर्च कर चुकी महिला ने पीएम केयर्स फंड से मांगी मदद

माला दीक्षित, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की रहने वाली एक महिला ने जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे पति के इलाज के लिए पीएम केयर्स फंड के तहत आर्थिक मदद पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। महिला ने कोर्ट से आग्रह किया है कि जब तक मामले की सुनवाई नहीं होती है तब तक अस्पताल उनके पति का इलाज जारी रखें।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा, अभी भी कोरोना पीड़ित पति के इलाज में है एक करोड़ का खर्च
महिला के पति कोरोना संक्रमण के बाद से फेफड़ों में फाइब्रोसिस यानी फेफड़ों के सिकुड़न की समस्या से जूझ रहे है, इन्हें तत्काल फेफड़ों के ट्रांसप्लांट की जरूरत है। जिसका खर्चा लगभग एक करोड़ तक हो सकता है। वह इस समय अस्पताल के इसीएमओ (एक्स्ट्राकारपोरियल मेम्बरेन आक्सीजेनेशन) सपोर्ट पर रखा गया है। इसीएमओ मशीन से मरिज के फेफड़ों और दिल के ठीक से काम न करने पर शरीर में बाहर से खून और आक्सीजन पंप करता हैं।

याचिकाकर्ता शीला मेहरा मध्य प्रदेश के होशंगाबाद की रहने वाली है और उनके पति मनीष कुमार गोहिया इस समय अस्पताल में जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैं। दोनों पति-पत्नी आईटी कंपनी में साफ्टवेयर डेवलपर और दोनोे की शादी पिछले साल 19 जून को हुई थी। याचिकाकर्ता शीला के पति इस वक्त तेलंगाना के सिकंदराबाद स्थित कृष्णा इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस में भर्ती हैं। पैसों के अभाव में याचिकाकर्ता ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है। याचिकाकर्ता शीला मेहरा का कहना है कि अभी तक उनके पति के इलाज में एक करोड़ चालीस लाख रुपये खर्च हो चुके हैं।

डाक्टरों ने बताया है कि इलाज में अभी एक करोड़ रुपये का खर्च और होगा। मनीष इसीएमओ सपोर्ट पर हैं जिस पर रोजाना दो लाख रुपये का खर्च आता है। इसके अलावा 15 से 20 दिन मे जब ऑक्सिजनेटर बदला जाता है उस दिन चार लाख रुपये का खर्च आता है। जहां डाक्टरों का कहना है कि इलाज और फेफड़ों के ट्रांसप्लांट के बाद मनीष ठीक हो जाएंगे।

याचिकाकर्ता शीला ने बताया कि चार मई को मनीष को कोरोना हुआ, ऑक्सीजन लेबल गिरने के बाद नौ मई को उन्हें होशंगाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया। ज्यादा तबियत खराब होने पर उन्हें 14 मई को एम्स भोपाल में भर्ती किया गया। मगर एम्स में इसीएमओ मशीन के सपोर्ट सुविधा नहीं होने पर उन्हें एयर एंबुलेंस से हैदराबाद ले जाया गया। मंहगे इलाज में सारे पैसे और बीमा खत्म होने के बाद परिवार ने इलाज के लिए मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री राहत कोष से मदद की गुहार लगाई। वहां से दो लाख रुपये की मदद का भरोसा दिया गया लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। शीला ने पति के इलाज के लिए पीएमओ से मदद की गुहार लगाने दिल्ली आई। पीएम फंड से तीन लाख रुपये की मदद का भरोसा दिया गया।

chat bot
आपका साथी