DATA STORY : खत्म होता जा रहा कोरल रीफ को बचाने का वक्त, जानें- इनकी रक्षा क्यों जरूरी है

जलवायु परिवर्तन के चलते कोरल रीफ पर यह खतरा है। हालांकि कुछ रीफ समुद्र का जलस्तर बढ़ने पर भी अभी अपनी विस्तार करने में सक्षम हैं लेकिन अगर रीफ नष्ट होने का यही रफ्तार जारी रही तो इस सदी के अंत तक यह पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 08:27 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 12:45 PM (IST)
DATA STORY : खत्म होता जा रहा कोरल रीफ को बचाने का वक्त, जानें- इनकी रक्षा क्यों जरूरी है
रीफ कैल्शियम कार्बोनेट से से अपना विस्तार करते हैं। यह कैल्शियम कार्बोनेट प्रवाल जीवों द्वारा छोड़े जाते हैं।

नई दिल्ली, विनीत शरण। दुनिया भर के समुद्र में मौजूद कोरल रीफ (मूंगे की चट्टानें) को बचाने के लिए अभी उम्मीद की किरण बाकी है लेकिन यह वक्त तेजी से खत्म होता जा रहा है। जेम्स कुक यूनिवर्सिटी के एआरसी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कोरल रीफ्स स्टडी के हालिया शोध में यह दावा किया गया है। इस अध्ययन में कोरल रीफ की वृद्धि दर की जांच की गई। यह शोध साइंस डेली में प्रकाशित हुआ है।

शोधकर्ता प्रोफेसर मार्गन प्रैटचेट ने कहा कि जब तक कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भारी कमी नहीं होती है, तब तक मूंगा भित्तियों का विकास अवरुद्ध हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन के चलते कोरल रीफ पर यह खतरा है। हालांकि कुछ रीफ समुद्र का जलस्तर बढ़ने पर भी अभी अपनी विस्तार करने में सक्षम हैं लेकिन अगर रीफ नष्ट होने का यही रफ्तार जारी रही तो इस सदी के अंत तक यह पूरी तरह नष्ट हो जाएंगे। जैसे-जैसे समुद्र गर्म होगा, वैसे-वैसे नष्ट हो जाएंगे।

रीफ कैल्शियम कार्बोनेट से से अपना विस्तार करते हैं। यह कैल्शियम कार्बोनेट समुद्र के भीतर स्थित प्रवाल जीवों द्वारा छोड़े जाते हैं। इस प्रक्रिया को कैल्सिफिकेशन कहते हैं लेकिन गर्म सतह होने से इसमें गिरावट आती है। वहीं गर्म समुद्र का मतलब होता है ज्यादा हीट वेव आना। ये हीट वेव भी कोरल ब्लीचिंग का कारण बनती हैं। इस शोध के लिए 233 जगहों से 183 तरह की कोरल रीफ का डाटा लिया गया। इसमें से 49 फीसद, 39 हिंद महासागर और 11 फीसद प्रशांत महासागर में हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम रहता है तो 63 फीसद रीफ सन 2100 तक बढ़ेंगी। अगर प्रभाव बेहद ज्यादा रहता है तो 2050 तक ही 94 फीसद रीफ नष्ट हो जाएंगी।

बचाना क्यों जरूरी है

समुद्री पर्यावरण में कोरल रीफ की हिस्सेदारी एक फीसदी से भी कम है। इसके बावजूद लगभग 25 फीसदी समुद्री जीवन इन्हीं कोरल रीफ पर निर्भर करता है। प्रवाल भित्तियों को विश्व के सागरीय जैव विविधता का हॉटस्पॉट माना जाता है तथा इन्हें समुद्रीय वर्षावन भी कहा जाता है। इनका इस्तेमाल औषधियों में भी होता है। भारत में भी कई जगहों पर प्रवाल भित्तियां पाई जाती हैं। भारत में प्रवाल भितियां 3,062 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में विस्तृत हैं। इसलिए रीफ को बचाने के लिए ग्रीन हाउस गैस और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन रोकना जरूरी है। 

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