कार छोड़ साइकिल पर चलने का समय, वायु प्रदूषण के मामले में मुख्य न्यायाधीश ने कहा

दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई दिनों से जारी वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है जब लोग अपनी चमचमाती कारों का मोह छोड़कर साइकिल पर चलना शुरू करें।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 05:07 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 05:07 PM (IST)
कार छोड़ साइकिल पर चलने का समय, वायु प्रदूषण के मामले में मुख्य न्यायाधीश ने कहा
कार छोड़ साइकिल पर चलने का समय। मुख्य न्यायाधीश ने कहा।

नई दिल्ली, प्रेट्र। पराली जलाए जाने से दिल्ली-एनसीआर में पिछले कई दिनों से जारी वायु प्रदूषण के मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब समय आ गया है, जब लोग अपनी चमचमाती कारों का मोह छोड़कर साइकिल पर चलना शुरू करें।

इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ की अगुआई करते हुए शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने हमे बताया कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के लिए अकेले पराली जिम्मेदार नहीं है। हम चाहेंगे कि आप कार का मोह छोड़ें। आप इसकी जगह मोटरबाइक नहीं बल्कि साइकिल पर चलना शुरू करें। जो शायद आप नहीं करेंगे।

इसी पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा जस्टिस एएस बोपन्ना और वी. रामासुब्रह्ममण्यन भी शामिल हैं। पीठ के समक्ष सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई है। इसे लागू भी किया जा चुका है। इस पर बेंच ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि वायु प्रदूषण से कोई बीमार नहीं होना चाहिए। यदि कोई बीमार होता है तो हम आपको जिम्मेदार ठहराएंगे। कोर्ट इस मामले पर अब 6 नवंबर को सुनवाई करेगी।

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए केंद्र और दिल्ली सरकार हरसंभव कदम उठा रही हैं। इसी क्रम में बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अध्यादेश के जरिए एक नया कानून बनाया। यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। केंद्र के अध्याधेश को कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट एन एनसीआर एंड अजॉइनिंग एरियाज ऑडिनेंस 2020 कहा जाएगा। नए अध्यादेश को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की तरफ से मंजूरी मिल गई है। केंद्र के नए कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एक करोड़ रुपये या पांच साल की जेल या फिर दोनों (जेल और जुर्माना) हो सकता है।

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